तुला - बड़ी संयमित और संतुलित सेक्स जीवन जीने वाली यह राशि है। इसकी कामोत्तेजना का क्षेत्र नाभि है। नाभि में अंगुली डालने या गुदगुदाने पर स्त्री काम पीड़ित तथा स्खलित हो जाती है। तत्त्व इसका आकाश है। अतएव घुटन-भरे वातावरण में किये गए संभोग में न ही इसे आनंद प्राप्त होता है और न ही इसे यह पसंद है। राशि रूप चर है। अतएव मैथुन अस्थिर रूप में करता है। राशि शीर्षोदय होने से दिन में विशेष सुख मिलता है। पश्चिम की ओर मुख करने से ज़्यादा सुख मिलता है।
इस राशि के स्त्री-पुरुष दोनों का सेक्स अत्यंत नपा-तुला होता है। पूर्ण रूप से एक-दूसरे को संतुष्ट करते हैं। जाति वैश्य होने से इनके संभोग में शालीनता होती है। द्विपद होने से मानवोचित संभोग लीला करते हैं। इस राशि की स्त्री अपने प्रेमी/पति से जबरदस्त प्यार करने वाली होती है। वह अत्यंत चरित्रवान, पतिव्रता, आज्ञाकारिणी होती है। अपना सारा कार्य संतुलित ढंग से करती है। तुला राशि की महिला प्रायः घर को स्वर्ग बना देती है। इस राशि की महिलाएं काफी बुद्धिमान भी होती हैं। निवासस्थान बाज़ार/हाट होने के कारण घूमना-फिरना बहुत पसंद होता है। रंग रंग-बिरंगा है। इस कारण बनाव-श्रृंगार में विशेष रूचि रखते हैं। इस राशि की महिला को पति की उपस्थिति में (परदेस न गया हो) बिना श्रृंगार के देख पाना मुश्किल है। अपने श्रृंगार का हमेशा ध्यान रखती है।
इस राशि के पुरूष का भी वही व्यवहार होता है। बड़ा नाप-जोख़ कर मैथुन करता है। परिवार नियोजन का प्रबल अनुगामी होता है। कामुकता उचित मात्रा में रहती है। इसका माह कार्तिक (अक्टूबर/नवंबर) है। प्रायः प्रसव व गर्भधारण इसी माह में होता है।
इसका चिन्ह (सौरमण्डलीय आकार) तुला (तराजू) होने के कारण प्यार में सौदा करना इसका एक स्वभाव होता है। प्रायः यह मैथुन से पूर्व चुम्बन-आलिंगन की बाज़ी लगाया करती है। प्रेमिका/पत्नी के साथ या प्रेमी/पति के साथ। द्यूत-क्रीड़ा (जुआ) खेलना, बाजी लगाना इसको बड़ा पसंद आता है। इसमें स्वार्थी भाव ज़्यादा होते हैं। मैथुन करते समय केवल आवश्यक/अनिवार्य ध्वनियां होती हैं तथा उचित समय पर मैथुन करता है। पूर्व में कुछ मनोरंजन और समाप्ति पर प्रायः एक-दूसरे को ठगते हैं। इस राशि की महिला अपने पति से संभोग समाप्त के उपरान्त कुछ न कुछ फरियाद अवश्य करेगी। ........... यह ला दो.......... वह ला दो। पुरुष भी कुछ न कुछ मांग बैठता है। इस राशि के जातक साफ़-सुथरा और स्तरीय मैथुन करना पसंद करते हैं।
वायु तत्त्व के कारण मैथुन की नाना प्रकार की हवाई कल्पनाएँ प्रेमिका/प्रेमी के ख्याल में डूबकर करते हैं, पर कामयाब एक भी नहीं होती है। अपना मैथुन किसी पर प्रकट नहीं होने देते हैं। बहुत गोपनीय ढंग से इस कार्य को करते हैं।
तुला राशि की महिला भाग्यशाली होती है। वह अपने पति के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला देती है। रंक से राजा बना देती है। राशि योग बैठ गया तो तुला राशि के पति-पत्नी का सेक्स और दांपत्य जीवन अत्यंत ही सुखमय होता है। पति-पत्नी एक आदर्श जोड़ी माने जाते हैं। कलह से सर्वथा पर रहते हैं तथा बड़ा ही संतुलित जीवन-यापन करते हैं। हर परिस्थिति के अनुकूल अपने को बना लेते हैं।
राशि योग न बैठने पर भी तालमेल बिठा लेते हैं और जीवन की गाड़ी को खींच ही ले जाते हैं। सब प्रकार की राशियों में तुला एक आदर्श राशि है।
वृश्चिक - यह बिच्छू के समान डंक मारने वाली राशि है। इस राशि का पुरूष हमेशा बिच्छू के डंक जैसी पीड़ा देने के समान अपना मैथुन शुरू कर देता है। स्त्री के साथ कब वह क्रीड़ा कर दे कहा नहीं जा सकता। एक प्रकार से अपना हर संभोग यह बलात्कार से शुरू करता है। इस राशि की महिला भी ऐसा ही व्यवहार ज़्यादातर पसंद करती है। इसका निवास स्वयं गुप्तांग (योनि, इंद्रिय, नितम्ब, गुदा) है, इस कारण इन्ही क्षेत्रों में इनकी उत्तेजना का भी निवास है। इन्ही अंगों को सहलाने या चुम्बन से इनको उत्तेजना मिलती है।
बिलकुल घुटन-भरे वातावरण में मैथुनप्रिय है। राशि कीट है। निम्न स्तरीय मैथुन है। स्वभाव नर है। अस्थिर रूप से मैथुन करते हैं। पश्चिम की ओर मुख करने में ज़्यादा सुख मिलता है। जाति ब्राह्मण है परन्तु गंदगी प्रिय है।
इस राशि के पुरूषों की कामना बहुत जहरीली होती है। प्रायः टांगें उठा कर काफी देर तक क्रियारत रहते हैं। इस राशि के स्त्री की वासना शांत होने में काफी समय लगता है। तत्त्व जल है। योनि कीट है। इस कारण स्खलन बहुत होता है। इस राशि के महिला का मासिक धर्म अधिक रक्त स्राव करता है। मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) में इस राशि के स्त्री-पुरूष की कामुकता बढ़ जाती है। इस समय गर्भाधान होता है या प्रसव होता है। वृश्चिक राशि के पुरूष का मैथुन कर्क-मकर राशि की ही महिला झेल सकती है अथवा कुंभ सिंह की, पर अन्य राशि की महिला को बराबर इस राशि के पुरूष के मैथुन से कष्ट होगा।
वृश्चिक राशि की महिला अगर कन्या राशि के पुरूष के पल्ले पड़ गयी तो कन्या राशि का पुरुष पनाह मांग जाएगा।
अपनी कामुकता के साथ इस राशि के स्त्री-पुरुष मैथुन के दौरान डंक (व्यंग्य-बाण) अवश्य मारेंगे। ऐसा व्यंग्य बाण मार देंगे कि मैथुन का सारा सुख जाता रहेगा और कलह की शुरुआत हो जाएगी। मैथुन से पूर्व इस राशि के स्त्री-पुरूष को अपनी पति-पत्नी के गुप्तांगों से खेलने का शौक होता है तथा दर्पण में या ऐसे आसनों में जिसमें अंगों की कर्म लीला दिखाई पड़े, में इनको बड़ा आनंद आता है। एक-दूसरे के गुप्तांगों की क्रिया देखकर मैथुन करना इस राशि का स्वभाव होता है तथा ध्वनियां बराबर करते रहते हैं। इनको लोकलाज का भय नहीं होता है। मैथुन की समाप्ति पर यह तुरंत अलग हो जाते हैं।
उलटा चलने से बिच्छू स्वभाव के कारण इस राशि का जातक विपरीत रति में बड़ा सुख पाता है और सबसे प्रिय आसन मानता है। पुरूष में पूर्ण पौरुष और स्त्री में पूर्ण स्त्रीत्व होता है। दांपत्य जीवन सुखमय तो रहता है पर अपने बिच्छू स्वभाव के कारण कलह बराबर होती है। पर पुरूष/स्त्री सम्बन्ध सरलता से बनते हैं पर स्त्री का सम्बन्ध टूट जाता है। उसका स्वभाव बड़ा बाधक बनता है। लाल कपड़ों से भी इनको बड़ी उत्तेजना मिलती है। लाल ब्रा, कला पेटीकोट, लाल चूड़ियाँ, माथे पर लाल बिंदिया, महाबर हाथ-पैरों का, मांग का सिन्दूर - सब कुछ इनको उत्तेजना देता है।
इस राशि का पुरूष प्रायः मासिक धर्म/गर्भावस्था में भी अपनी पत्नी को नहीं छोड़ता है। इस राशि के जातक में समलैंगिक मैथुन की भी तीव्र भावना होती है। कुल मिलाकर प्रचंड संभोग के साथ यह अपना दाम्पत्य जीवन पूरा कर लेता है। वृश्चिक राशि के संतान ज़्यादा होती है।
धनु - यह राशि मैथुन के सम्बन्ध में एकदम 'युद्धस्थल' है। द्विपद, चतुष्पद दोनों हैं। हर तरह से मारकाट करती और अपने धनु से बराबर बाण बरसाती है। इसके अंधाधुंध तीरों की मार से विपरीत पक्ष घबरा जाता है। इसकी जंघाएं शेर की रान के समान बलिष्ठ होती हैं और रात्रिकालीन क्रिया पसंद हैं। प्रायः बड़ा समय इस राशि के जातक को लगता है।
वर्ण क्षत्रिय और स्वभाव क्रूर है। इस कारण बहुत निर्भयता के साथ व्यवहार करता है। मैथुन के समय बिना रक्तपात किए मन नहीं भरता। इसका अंग जांघ है। अतएव यहीं स्पर्श से इसका काम जागता है। इस राशि के जातक का अपनी जांघ में बड़ी गुदगुदी लगती है।
जातक बड़ा कामुक और उत्तेजक मैथुन करता है। इसको गोपनीयता पसंद नहीं है। खुलकर यह लड़ाई लड़ता है। इसका तत्त्व अग्नि है। इस कारण यह हर समय 'गरम' रहता है। विवाह के बाद रात-दिन वह इसी में रूचि रखता है। कई-कई बार अपना धनु संभालता है। यह थकता नहीं है और होंठों से नाना प्रकार की ध्वनियाँ हुंकार के समान निकालता है।
इस राशि की स्त्री में भी वासना अधिक होती है। अपने प्रेमी/पति से यह तीर के समान टकराती है और अपने हाव-भाव से हर पल चुनौती देती है। परपुरूषगामी प्रायः नहीं होती है। पर असंतुष्ट होने पर नफ़रत करने लगती है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में अपना रुख कर वह जातक विशेष सुख पाता है।
इस राशि का पुरूष प्रायः परस्त्रीगामी होता है। इसके बावजूद अपनी स्त्री से विशेष लगाव रखता है। इस राशि के संतान काफी होती है। स्वभाव में उग्रता के कारण प्रायः पति-पत्नी में खिंचाव सा रहता है। यह राशि तुनकमिज़ाज़ है।
इसकी कामुकता दिसंबर-जनवरी (पौष) माह में अधिक बढ़ जाती है। प्रसव/गर्भाधान का यही माह है। इस राशि को पीला रंग पसंद है और पीले वस्त्रों से बड़ी उत्तेजना मिलती है। पीट वर्णीय (सोने की चमक) वाली स्त्रियों पर वह जातक विशेष रूचि रखता है। इस राशि की महिला का गुप्त प्रेम प्रायः प्रकट नहीं होता है। मैथुन से पूर्व या मैथुन के समय अथवा बाद में इस राशि के जातक कोई क्रीड़ा नहीं करते हैं। हाँ, दन्त-नख का भी खूब प्रयोग करते हैं।
इस राशि के जातक स्त्री-पुरूष का मैथुन बड़ा कठोर होता है। पसीने से लथपथ हो जाने के बाद भी नहीं रुकता है। अपनी पूर्ण संतुष्टि करने के बाद ही एक-दूसरे के पास से हटते हैं। इनकी यह विशेषता है। आपस में प्रगाढ़ प्यार भी होता है।
इस राशि के जातक प्रायः भाग्यशाली होते हैं। अतएव दाम्पत्य जीवन में आर्थिक कठिनाई बहुत काम आती है। सुखमय जीवन होता है पर विपरीत साथी इसके मैथुन से दुःखी रहता है। इस राशि का मैथुन नीच ग्रहों की छाया में अत्यन्त विकृत और घृणित हो जाया करता है। फलतः कलह, वाद-विवाद बढ़ता है। इस राशि के जातक पुरूष को स्त्री बड़ी कठिनता से संभाल पाती है। फिर भी जीवन की गाड़ी दोनों ढकेलकर ले ही जाती हैं।
यह जानकारी ज्योतिष के विद्वान पंडित श्री राकेश शास्त्री जी की अनमोल कृति है। आशा है यह हम सभी का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी और हम सभी इस जानकारी से लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
इस राशि के पुरूष का भी वही व्यवहार होता है। बड़ा नाप-जोख़ कर मैथुन करता है। परिवार नियोजन का प्रबल अनुगामी होता है। कामुकता उचित मात्रा में रहती है। इसका माह कार्तिक (अक्टूबर/नवंबर) है। प्रायः प्रसव व गर्भधारण इसी माह में होता है।
इसका चिन्ह (सौरमण्डलीय आकार) तुला (तराजू) होने के कारण प्यार में सौदा करना इसका एक स्वभाव होता है। प्रायः यह मैथुन से पूर्व चुम्बन-आलिंगन की बाज़ी लगाया करती है। प्रेमिका/पत्नी के साथ या प्रेमी/पति के साथ। द्यूत-क्रीड़ा (जुआ) खेलना, बाजी लगाना इसको बड़ा पसंद आता है। इसमें स्वार्थी भाव ज़्यादा होते हैं। मैथुन करते समय केवल आवश्यक/अनिवार्य ध्वनियां होती हैं तथा उचित समय पर मैथुन करता है। पूर्व में कुछ मनोरंजन और समाप्ति पर प्रायः एक-दूसरे को ठगते हैं। इस राशि की महिला अपने पति से संभोग समाप्त के उपरान्त कुछ न कुछ फरियाद अवश्य करेगी। ........... यह ला दो.......... वह ला दो। पुरुष भी कुछ न कुछ मांग बैठता है। इस राशि के जातक साफ़-सुथरा और स्तरीय मैथुन करना पसंद करते हैं।
वायु तत्त्व के कारण मैथुन की नाना प्रकार की हवाई कल्पनाएँ प्रेमिका/प्रेमी के ख्याल में डूबकर करते हैं, पर कामयाब एक भी नहीं होती है। अपना मैथुन किसी पर प्रकट नहीं होने देते हैं। बहुत गोपनीय ढंग से इस कार्य को करते हैं।
तुला राशि की महिला भाग्यशाली होती है। वह अपने पति के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला देती है। रंक से राजा बना देती है। राशि योग बैठ गया तो तुला राशि के पति-पत्नी का सेक्स और दांपत्य जीवन अत्यंत ही सुखमय होता है। पति-पत्नी एक आदर्श जोड़ी माने जाते हैं। कलह से सर्वथा पर रहते हैं तथा बड़ा ही संतुलित जीवन-यापन करते हैं। हर परिस्थिति के अनुकूल अपने को बना लेते हैं।
राशि योग न बैठने पर भी तालमेल बिठा लेते हैं और जीवन की गाड़ी को खींच ही ले जाते हैं। सब प्रकार की राशियों में तुला एक आदर्श राशि है।
वृश्चिक - यह बिच्छू के समान डंक मारने वाली राशि है। इस राशि का पुरूष हमेशा बिच्छू के डंक जैसी पीड़ा देने के समान अपना मैथुन शुरू कर देता है। स्त्री के साथ कब वह क्रीड़ा कर दे कहा नहीं जा सकता। एक प्रकार से अपना हर संभोग यह बलात्कार से शुरू करता है। इस राशि की महिला भी ऐसा ही व्यवहार ज़्यादातर पसंद करती है। इसका निवास स्वयं गुप्तांग (योनि, इंद्रिय, नितम्ब, गुदा) है, इस कारण इन्ही क्षेत्रों में इनकी उत्तेजना का भी निवास है। इन्ही अंगों को सहलाने या चुम्बन से इनको उत्तेजना मिलती है।
बिलकुल घुटन-भरे वातावरण में मैथुनप्रिय है। राशि कीट है। निम्न स्तरीय मैथुन है। स्वभाव नर है। अस्थिर रूप से मैथुन करते हैं। पश्चिम की ओर मुख करने में ज़्यादा सुख मिलता है। जाति ब्राह्मण है परन्तु गंदगी प्रिय है।
इस राशि के पुरूषों की कामना बहुत जहरीली होती है। प्रायः टांगें उठा कर काफी देर तक क्रियारत रहते हैं। इस राशि के स्त्री की वासना शांत होने में काफी समय लगता है। तत्त्व जल है। योनि कीट है। इस कारण स्खलन बहुत होता है। इस राशि के महिला का मासिक धर्म अधिक रक्त स्राव करता है। मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) में इस राशि के स्त्री-पुरूष की कामुकता बढ़ जाती है। इस समय गर्भाधान होता है या प्रसव होता है। वृश्चिक राशि के पुरूष का मैथुन कर्क-मकर राशि की ही महिला झेल सकती है अथवा कुंभ सिंह की, पर अन्य राशि की महिला को बराबर इस राशि के पुरूष के मैथुन से कष्ट होगा।
वृश्चिक राशि की महिला अगर कन्या राशि के पुरूष के पल्ले पड़ गयी तो कन्या राशि का पुरुष पनाह मांग जाएगा।
अपनी कामुकता के साथ इस राशि के स्त्री-पुरुष मैथुन के दौरान डंक (व्यंग्य-बाण) अवश्य मारेंगे। ऐसा व्यंग्य बाण मार देंगे कि मैथुन का सारा सुख जाता रहेगा और कलह की शुरुआत हो जाएगी। मैथुन से पूर्व इस राशि के स्त्री-पुरूष को अपनी पति-पत्नी के गुप्तांगों से खेलने का शौक होता है तथा दर्पण में या ऐसे आसनों में जिसमें अंगों की कर्म लीला दिखाई पड़े, में इनको बड़ा आनंद आता है। एक-दूसरे के गुप्तांगों की क्रिया देखकर मैथुन करना इस राशि का स्वभाव होता है तथा ध्वनियां बराबर करते रहते हैं। इनको लोकलाज का भय नहीं होता है। मैथुन की समाप्ति पर यह तुरंत अलग हो जाते हैं।
उलटा चलने से बिच्छू स्वभाव के कारण इस राशि का जातक विपरीत रति में बड़ा सुख पाता है और सबसे प्रिय आसन मानता है। पुरूष में पूर्ण पौरुष और स्त्री में पूर्ण स्त्रीत्व होता है। दांपत्य जीवन सुखमय तो रहता है पर अपने बिच्छू स्वभाव के कारण कलह बराबर होती है। पर पुरूष/स्त्री सम्बन्ध सरलता से बनते हैं पर स्त्री का सम्बन्ध टूट जाता है। उसका स्वभाव बड़ा बाधक बनता है। लाल कपड़ों से भी इनको बड़ी उत्तेजना मिलती है। लाल ब्रा, कला पेटीकोट, लाल चूड़ियाँ, माथे पर लाल बिंदिया, महाबर हाथ-पैरों का, मांग का सिन्दूर - सब कुछ इनको उत्तेजना देता है।
इस राशि का पुरूष प्रायः मासिक धर्म/गर्भावस्था में भी अपनी पत्नी को नहीं छोड़ता है। इस राशि के जातक में समलैंगिक मैथुन की भी तीव्र भावना होती है। कुल मिलाकर प्रचंड संभोग के साथ यह अपना दाम्पत्य जीवन पूरा कर लेता है। वृश्चिक राशि के संतान ज़्यादा होती है।
धनु - यह राशि मैथुन के सम्बन्ध में एकदम 'युद्धस्थल' है। द्विपद, चतुष्पद दोनों हैं। हर तरह से मारकाट करती और अपने धनु से बराबर बाण बरसाती है। इसके अंधाधुंध तीरों की मार से विपरीत पक्ष घबरा जाता है। इसकी जंघाएं शेर की रान के समान बलिष्ठ होती हैं और रात्रिकालीन क्रिया पसंद हैं। प्रायः बड़ा समय इस राशि के जातक को लगता है।
वर्ण क्षत्रिय और स्वभाव क्रूर है। इस कारण बहुत निर्भयता के साथ व्यवहार करता है। मैथुन के समय बिना रक्तपात किए मन नहीं भरता। इसका अंग जांघ है। अतएव यहीं स्पर्श से इसका काम जागता है। इस राशि के जातक का अपनी जांघ में बड़ी गुदगुदी लगती है।
जातक बड़ा कामुक और उत्तेजक मैथुन करता है। इसको गोपनीयता पसंद नहीं है। खुलकर यह लड़ाई लड़ता है। इसका तत्त्व अग्नि है। इस कारण यह हर समय 'गरम' रहता है। विवाह के बाद रात-दिन वह इसी में रूचि रखता है। कई-कई बार अपना धनु संभालता है। यह थकता नहीं है और होंठों से नाना प्रकार की ध्वनियाँ हुंकार के समान निकालता है।
इस राशि की स्त्री में भी वासना अधिक होती है। अपने प्रेमी/पति से यह तीर के समान टकराती है और अपने हाव-भाव से हर पल चुनौती देती है। परपुरूषगामी प्रायः नहीं होती है। पर असंतुष्ट होने पर नफ़रत करने लगती है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में अपना रुख कर वह जातक विशेष सुख पाता है।
इस राशि का पुरूष प्रायः परस्त्रीगामी होता है। इसके बावजूद अपनी स्त्री से विशेष लगाव रखता है। इस राशि के संतान काफी होती है। स्वभाव में उग्रता के कारण प्रायः पति-पत्नी में खिंचाव सा रहता है। यह राशि तुनकमिज़ाज़ है।
इसकी कामुकता दिसंबर-जनवरी (पौष) माह में अधिक बढ़ जाती है। प्रसव/गर्भाधान का यही माह है। इस राशि को पीला रंग पसंद है और पीले वस्त्रों से बड़ी उत्तेजना मिलती है। पीट वर्णीय (सोने की चमक) वाली स्त्रियों पर वह जातक विशेष रूचि रखता है। इस राशि की महिला का गुप्त प्रेम प्रायः प्रकट नहीं होता है। मैथुन से पूर्व या मैथुन के समय अथवा बाद में इस राशि के जातक कोई क्रीड़ा नहीं करते हैं। हाँ, दन्त-नख का भी खूब प्रयोग करते हैं।
इस राशि के जातक स्त्री-पुरूष का मैथुन बड़ा कठोर होता है। पसीने से लथपथ हो जाने के बाद भी नहीं रुकता है। अपनी पूर्ण संतुष्टि करने के बाद ही एक-दूसरे के पास से हटते हैं। इनकी यह विशेषता है। आपस में प्रगाढ़ प्यार भी होता है।
इस राशि के जातक प्रायः भाग्यशाली होते हैं। अतएव दाम्पत्य जीवन में आर्थिक कठिनाई बहुत काम आती है। सुखमय जीवन होता है पर विपरीत साथी इसके मैथुन से दुःखी रहता है। इस राशि का मैथुन नीच ग्रहों की छाया में अत्यन्त विकृत और घृणित हो जाया करता है। फलतः कलह, वाद-विवाद बढ़ता है। इस राशि के जातक पुरूष को स्त्री बड़ी कठिनता से संभाल पाती है। फिर भी जीवन की गाड़ी दोनों ढकेलकर ले ही जाती हैं।
यह जानकारी ज्योतिष के विद्वान पंडित श्री राकेश शास्त्री जी की अनमोल कृति है। आशा है यह हम सभी का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी और हम सभी इस जानकारी से लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
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