Saturday, July 16, 2016

बृहस्पति जी का कन्या राशि में गोचर (Jupiter Transit in Virgo)


बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति सामान्यतः आकाश में सबसे चमकदार निकाय है। देवगुरु बृहस्पति जी का रंग पीला है जो धन और ज्ञान से जुड़े मामलों को नियंत्रित करते हैं।इनके सिर  पर स्वर्णमुकुट और गले में सुंदर माला है और यह कमल के आसन पर विराजमान हैं। इनके चार हाथों में क्रमशः दण्ड, रुद्राक्ष की माला, पात्र और वरमुद्रा सुशोभित है। मनुष्य जीवन पर बृहस्पति गहरा असर छोड़ते हैं। अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर हों तो परेशानियां बढ़ती चली जाती हैं क्योंकि कहा जाता है कि किसी भी चीज़ को यह विशाल रूप देते हैं।  नवग्रहों में बृहस्पति जी को गुरु और मंत्रणा का कारक माना गया है। यह स्वभाव से नम्र ग्रह है। कालपुरुष की सिद्धांतनुसार बृहस्पति को सातवें व नवें घर का कारक माना गया है। बृहस्पति कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच का प्रभाव देते हैं। 

बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और इनकी महादशा १६ वर्ष की होती है। किसी भी राशि पर इनका गोचर लगभग १३ मास के लिए होता है। देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन ज्योतिष के दृष्टिकोण से एक बड़ा बदलाव होता है।

बृहस्पति गोचर में ११ अगस्त २०१६ (गुरुवार) को २२:२४ पर अपने परम मित्र सूर्य की सिंह राशि को छोड़कर वैचारिक शत्रु बुध की कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और १२ सितम्बर २०१७ (मंगलवार) ७:५९ पर्यन्त इसी में भ्रमण करेंगे। बृहस्पति जी इस दौरान अपने तीन मित्र नक्षत्रों में गोचर करेंगे। यह तीन नक्षत्र हैं - उत्तराफ़ाल्गुनी (सूर्य का नक्षत्र), हस्त (चन्द्र का नक्षत्र) और चित्रा  (मंगल का नक्षत्र)। यह ग्रह-नक्षत्र स्थिति/संबंध  विभिन्न तरीकों से शुभाशीश प्रदान करेगी:-

बृहस्पति-सूर्य संबंध - करियर में वृद्धि (Career Growth) के लिए उत्तम है। 
बृहस्पति-चन्द्र संबंध - आर्थिक प्रबंध और धन-संपत्ति (Finance & Wealthके लिए उत्तम है। 
बृहस्पति-मंगल संबंध - विषयी प्रसन्नता (Material Happinessप्रदान करने में सक्षम होगा।  

बृहस्पति जी कन्या राशि में होने के बावजूद अनुकूल परिणाम प्रदान करने में पूर्ण रूप से सक्षम होंगे। अन्य ग्रहों के नकारात्मक परिणामों को बृहस्पति जी की कृपा प्राप्त कर के दूर करने का यह सर्वोचित समय है। 

बृहस्पति जी का कन्या राशि में गोचर चन्द्र राशि वृषभ, सिंह, वृश्चिक और मकर के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा। चन्द्र राशि धनु और मीन के लिए सामान्य फल  प्रदान करेगा।  चन्द्र राशि मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला और कुम्भ के लिए इसके परिणाम अत्यन्त अनुकूल नहीं होंगे। 

विभिन्न राशियों पर इस गोचर का प्रभाव :-

मेष राशि - मेष राशि वाले जातकों में बृहस्पति का गोचर छठे भाव में हो रहा है। वर्ष पर्यन्त आपको आपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। बृहस्पति यहाँ बैठकर कर्म, व्यय तथा धन स्थान को देख रहे है अतः सफलता मेहनत के बाद ही प्राप्त होगी। आपके पराक्रम में वृद्धि व विरोधियों से संघर्ष करने की क्षमता का विकास होगा। किसी के द्वारा भड़काने पर शीघ्र उत्तेजित न हो और यथा-संभव वाद-विवाद से बचने का प्रयास करें। आर्थिक एवं पारिवारिक मामलों के लिए समय अनुकूल रहेगा। आकस्मिक धन लाभ की संभावना है। नए कर्जें लेने से बचें। लम्बे समय से चले आ रहे कर्ज़ों या देनदारियों के निपटान के प्रबल योग हैं। लम्बी दूरी की यात्राएँ लाभदायक सिद्ध होंगी।  

वृषभ राशि - बृहस्पति का गोचर आपके पंचम भाव में होने जा रहा है। पंचम भाव लक्ष्मी, संतान, बुद्धि, प्यार, शेयर मार्किट इत्यादि का भाव है अतः जातक को इनसे संबंधित शुभ-अशुभ दोनों समाचार मिलेंगे।  संतान और शिक्षा से जुड़े मामलों में भी अनुकूलता रहेगी। ग़लत निर्णय परेशानियों में डाल सकते है। महत्त्वपूर्ण गतिविधियों में विलम्ब हो सकता है। सफलता आप के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगी। बृहस्पति जी के अष्टमेश होने के कारण परिश्रम करने से, कुछ अड़चनों के बाद, अच्छी धन प्राप्ति भी संभावित है। अष्टमेश की प्रथम भाव पर दृष्टि पेट व पाँव में कुछ तकलीफ दे सकती है लेकिन कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा तथा नए मित्र भी बनेगे। धर्म स्थलों पर जाने तथा धार्मिक कार्यों से जुड़ने का अवसर भी मिल सकता है। अविवाहित जातकों को ईश्वर की अनुकम्पा से जीवन साथी मिल सकता है। जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार रहे। यह गोचर आपके मान-सम्मान को बढ़ाने वाला होगा। 

मिथुन राशि - मिथुन राशि के जातकों के लिए यह गोचर चतुर्थ भाव में होगा। अतः चतुर्थ भाव संबंधित फल जैसे नई गाड़ी, नया घर इत्यादि दृष्टिगोचर होंगे। घर परिवार में सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहेगा। आपके सामाजिक तथा पारिवारिक मान-सम्मान, कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी तथा मेहनत का पूर्ण फल मिलेगा। यदि आप नौकरी या व्यापर में कुछ बदलाव या और भी पूँजी लगाने की सोच रहे हैं तो समय इसके लिए अनुकूल है। बड़े अधिकारियों और शक्तिसंपन्न व्यक्तियों से जुड़ाव होगा। मान-सम्मान में वृद्धि संभावित है। माँ के स्वास्थ्य, ड्राइविंग से अपनी संभावित दुर्घटना और खर्चों पर नियंत्रण इत्यादि ध्यान देने योग्य विषय हैं। 

कर्क राशि -  बृहस्पति का यह गोचर आपके तीसरे भाव में हो रहा है।आप मेहनत से भाग्य का निर्माण करने में सफल होंगे। यह आप के छठे एवं नवम भाव का स्वामी है। अतः आपके भीतर नए कार्यों के प्रति रूचि बढ़ेगी।एक नए आत्मविश्वास का संचार होगा, लेकिन अत्यधिक आत्मविश्वास में आकर पड़ोसियों व भाईयों से विवाद करने से बचें। अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही यात्रा का निर्णय लें। मित्र-भाईयों व सहयोगियों से ज़रुरत पड़ने पर सहयोग मिलेगा। तृतीय भाव से बृहस्पति अपनी पंचम दृष्टि से सप्तम भाव को देख रहा है अतः अविवाहित जो विवाह की इच्छा रखते हैं उनके विवाह के योग बनेंगे। विवाहितों का जीवन सुखद रहेगा।  मामा के यहाँ कोई शुभ कार्य होने पर आपको वहां जाने का अवसर प्राप्त होगा। 

सिंह राशि - बृहस्पति का यह गोचर आपके दूसरे भाव में हो रहा है। आपके पांचवें व आठवें भाव के स्वामी होने से बृहस्पति आर्थिक मामलों में आपके मददगार बनेंगे। आप धन की बचत कर सकेंगे, साथ ही कही से अचानक धन की प्राप्ति भी संभावित है। रुका हुआ धन भी मिल सकता है। घर में किसी बच्चे के जन्म लेने का योग बन रहा है। कोई मांगलिक कार्य भी हो सकता है। प्रेम-प्रसंगों में अनुकूलता रहेगी। वाहन सावधानी से चलाएं।  आँख और दांत संबंधी परेशानी हो सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है इससे उनके कार्यक्षेत्र पर भी असर पड़ सकता है। 

कन्या राशि - बृहस्पति आपके पहले भाव में आ रहे हैं और यह आपके चतुर्थ और सप्तम भाव के स्वामी भी हैं अतः आपको मानसिक प्रसन्नता प्रदान करेंगे। आप अपने कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णयों के कारण घर-परिवार के माहौल को बेहतर बना पाएंगे। आय में वृद्धि होगी परन्तु कभी-कभी रूकावट भी आयेगी। विवाह की आयु है और आप अगर अविवाहित हैं तो विवाह के योग बनेंगे। प्रेम-प्रसंग के लिए भी गोचर अनुकूलता लिए हुए है। परिवार में कोई शुभ संस्कार भी हो सकता है। कार्यस्थल पर उच्च अधिकारियों का सहयोग भी मिलेगा जिससे कार्यक्षेत्र में वृद्धि व पदोन्नति के योग भी बनेगे। किसी पर अन्धविश्वास न करें विशेष रूप से किसी भी क़ानूनी काग़ज़ात पर हस्ताक्षर करने से पूर्व अच्छे से सोच लें। किसी की जमानत लेने से बचें। 

तुला राशि - बृहस्पति आप के तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं।  यह गोचर आपके बारहवें भाव में हो रहा है जो अधिक शुभ नहीं माना गया है। कुछ लोग बेवजह आप को परेशान कर सकते हैं। आत्मविश्वास की कमी रह सकती है। आलस्य और नकारात्मक सोच बढ़ेगी परिणामस्वरूप आप मानसिक रूप से परेशान होंगे। भागदौड़ अधिक हो सकती है। व्यर्थ की लम्बी दूर की यात्राओं के योग हैं जो लाभ देने में अक्षम होंगी। पास-पड़ोस में संबंध बना कर रखें। व्यर्थ के खर्चों से बचें। अनैतिक संबंध बन सकते हैं जिससे  पत्नी से अकारण विवाद हो सकता है। अगर साझेदारी में हों तो धैर्य बना कर रखे अन्यथा परिणाम भयंकर हो सकते हैं। ईश्वर आराधना कल्याणकारी सिद्ध होगी। 

वृश्चिक राशि - बृहस्पति जी का यह गोचर आपके लाभ भाव में हो रहा है। आपके दूसरे और पांचवे भाव के स्वामी होने के कारण आर्थिक मामलों के लिए यह गोचर काफ़ी अनुकूलता संजोए हुए है। प्रबल धन योग बन रहा है अतः धन कमाने का कोई नया रास्ता मिल सकता है। यदि अपनी शिक्षा या संतान के लिए कुछ करने की सोच रहे हैं तो उसमे सफलता मिलने के योग बन रहे हैं। आपके बड़े भाई का सहयोग मिलेगा। इस अवधि में आप में दार्शनिकता की झलक भी देखने को मिलेगी। यदि विवाह की आयु है तो उसमें सफलता मिलने के योग बन रहे हैं अथवा घर में कोई मांगलिक कार्य होने की संभावना प्रबल है। बहुत ज़्यादा उम्मीदें निराशा का कारण हो सकती हैं। बचत करने में  परेशानी हो  सकती है। मित्रों का पूर्ण समर्थन शायद प्राप्त न हो सके। 

धनु राशि - गुरु का गोचर आपके कर्म भाव यानि दसवें भाव में हो रहा है। आपकी राशि का स्वामी और चतुर्थेश होने के कारण कर्मों में तुलनात्मक रूप से शुद्धता का आना स्वाभाविक है जिससे आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। आपकी माँ का साथ और आशीर्वाद दोनों आपको प्राप्त होंगे। आप व्यापर-व्यवसाय में बहुत अच्छा करेंगे। व्यवसाय में विस्तार के लिए यह अनुकूल समय है। व्यवसाय और नौकरी को लेकर की गई यात्राएँ  सुखद रहेंगी। नौकरी में पदोन्नति भी मिलेगी। मान-सम्मान, घरेलु जीवन, वाहन व भूमि-भवन आदि के मामलों में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। नया मकान ले सकते हैं या पुराने का सौंदर्यकरण करा सकते हैं। स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा। परिवार का माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा। अत्यधिक तनाव से बचें। 

मकर राशि - बृहस्पति जी आपके द्वादश और तीसरे भाव के स्वामी हैं और इनका गोचर आपके नवम भाव (भाग्यस्थान) में हो रहा है अतः यह गोचर आपको मिले-जुले परिणाम ही दे पाएगा। एक ओर यह गोचर आपके भाग्योदय में सहायक बनकर आपके भीतर उत्साह और विश्वास जगाएगा वहीं कुछ मामलों में बेकार की भाग-दौड़ भी करवाएगा। यात्राएं करनी पड़ सकती है और इससे आप को लाभ ही होगा। हालांकि आप किसी धार्मिक या सामजिक क्षेत्र के मुखिया अथवा संत के संपर्क में आकर कुछ बेहतर कर सकते हैं। पड़ोसियों से संबंध सुधार कर साथ मिलकर किसी अच्छे कार्य को अंजाम दिया जा सकता है। भाग्यवादी होने के बजाय कर्म प्रधान बनें। विदेश प्रवास के लिए समय अनुकूल है प्रयास करें सफलता मिलेगी। मानसिक और बौद्धिक शान्ति के लिए योगाभ्यास करना लाभप्रद होगा। 

कुम्भ राशि - बृहस्पति जी आप के दूसरे और एकादश (लाभ) भाव के स्वामी हैं और इनका गोचर आप के अष्ठम भाव में हो रहा है। कार्यों में रूकावट आने से आपका मन अशांत रहेगा। धैर्य धारण करें समस्याओं का समाधान अवश्य निकलेगा। आप को आर्थिक  मामलों में बड़ी ही सावधानी से काम लेना होगा। अष्ठम भाव से धन भाव पर गुरु की दृष्टि होने से धन प्राप्ति की भी सम्भावना है परन्तु हो सके तो कोई बड़ा निवेश न करें न ही कोई बड़े निर्णय लें। परिजनों के साथ मनमुटाव से बचें। साधना करने के लिए यह समय अनुकूल है। तंत्र-मंत्र के जाल में फंस सकते हैं इससे बचना ही बेहतर विकल्प है। इस समय अध्यात्म की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। 

मीन राशि - बृहस्पति जी आप के राशि स्वामी होने के साथ-साथ कर्मेश भी हैं और इनका गोचर आपके सप्तम भाव में हो रहा है। साझेदारी के लिए यह समय उपयुक्त है। आपकी आकांक्षाओं की पूर्ति होगी। कार्यक्षेत्र में आप बेहतर कर पाएंगे। यदि किसी नये कार्य के बारे में सोच रहे हैं तो उसमें भी अनुकूलता ही प्राप्त होगी। विवाहित लोगों का विवाहित जीवन सुखी रहेगा। पत्नी का सहयोग मिलेगा आप भी उनकी ख़ुशी का ख्याल रखे और विश्वास बनाए रखें। विवाह की बात को आगे बढ़ाने में यह गोचर सहायक सिद्ध हो सकता है। आपकी साकारात्मक और निष्पक्ष बुद्धि-विवेक से यदि कोई वैवाहिक समस्या है तो शीघ्र ही दूर होगी। नवीन प्रेम की भी सम्भावना बनती नज़र आ रही है। मान-सम्मान में वृद्धि के योग भी प्रबल होंगे।

गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव सिर्फ एक चित्रण मात्र है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले किसी विद्वान ज्योतिष से अपनी जन्मपत्रिका का विवेचन अवश्य करवा ले। ग्रह स्थिति, महादशा, षड्बल इत्यादि भी अपना फल अवश्य देते हैं। 

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