Saturday, December 13, 2014

ज्योतिष शास्त्र के अचूक उपाय

संसार में  बहुत से लोग हैं जिन्हे अपने जन्म समय, जन्म तिथि और जन्म स्थान के बारे में न तो पता है न ही उन्होंने कभी अपनी जन्मपत्रिका ही बनवाई  है।  ऐसी स्थिति में ज्योतिष विद्या मानव जीवन की अनेक समस्याओं का हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।  इस के उपायों के द्वारा बेहद अचूक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

धन प्राप्ति के उपाय
  • नमक को कभी भी खुले बर्तन में न रखे। 
  • प्रतिदिन पीपल की जड़ में जल डालें। 
  • अपने घर के प्रत्येक दरवाज़े के कब्ज़े में तेल लगाये ताकि उनमें से 'चू चू'  की आवाज़ ना आये। 
  • भोजन तैयार करते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकले। 
  • जब भी अपनी बहन या बुआ को घर पर आमंत्रित करें तो उसे खाली हाथ न भेजें । 
  • जब भी घर का फ़र्श साफ़ करें तो उसमे थोड़ा सा नमक मिला लें।

धन के ठहराव के लिए उपाय
  • नोटों की गिनती कभी भी उँगलियों पर थूक लगा कर न करें।
  • कभी भी सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाये। 
  • बुधवार के दिन किसी भी किन्नर को हैसियत दान दे कर उससे कुछ पैसे वापिस ले लें। 
  • बुधवार को किसी को भी पैसे उधार न दें।

शीघ्र विवाह हेतु उपाय 
  • हमेशा अपने से बड़े व्यक्तियों और बुज़ुर्गों का सम्मान करें। 
  • जब भी आप स्नान करें तो उसमें थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिला लें। 
  • अगर हो  सके तो अपने घर पर एक खरगोश पाले और हर बुधवार को उसे हरी घास खाने को दें। 
  • नव-विवाहित व्यक्ति के पुराने वस्त्रों का उपयोग करें। 
  • देवगुरु बृहस्पति का  पूजन करें। 
  • जब कभी भी आप के माता-पिता आपके लिए वर देखने जाएं उस दिन लाल वस्त्र धारण करें और उनके वापिस लौटने तक अपने बाल खुले रखें। 
  • रात को सोने से पूर्व अपने सिर के पास आठ खजूर और प्रातःकाल उसे चलते पानी में बहा दें। 
  • शनिवार की रात्रि चौराहे पर नया बंद ताला चाभी के साथ रख आयें। 

सुखी विवाहित जीवन के लिए उपाय
  • अपने जीवन साथी को कम आय के लिए कभी भी ताने न मारें। 
  • प्रतिदिन प्रातः केले और पीपल के पेड़ का पूजन करें।
  • हमेशा अपना मासिक वेतन अपनी पत्नी को दें और उससे कह दें कि इसका उपयोग करने से पहले एक बार इसे तिजोरी में रख ले। 
  • अपनी पत्नी का सम्मान सदैव 'लक्ष्मी' की भाँति ही करें।
  • पति के भोजन करने के उपरान्त पत्नी को पति की जूठी  थाली में से कुछ भोजन ग्रहण करना चाहिए। 

बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी कुछ उपाय 
  • बच्चों को ११ तुलसी-पत्र के रस में मिश्री मिलाकर दें इससे उनकी एकाग्रता में वृद्धि होगी। 
  • प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। 
  • प्रतिदिन २१ बार गायत्री मंत्र का उच्चारण करें।
  • विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में विद्या की देवी माँ सरस्वती का चित्र लगायें। 
  • इमली की २२ पत्तियाँ लें उनमें से ११ पत्तियाँ सूर्य देवता को अर्पित कर दें और शेष अपनी पुस्तक में रख लें। 
  • रात्रि सोने से पूर्व ११ बार "ॐ ऐं  सरस्वत्यै नमः" मंत्र का उच्चारण करें। 
  • अपने अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगायें।   

स्वयं में विश्वास उत्पन्न करने के लिए उपाय 
  • रविवार को लाल रंग के बैल को गुड़ खिलायें। 
  • अपने घर के मंदिर में लाल रंग के बैल का खिलौना रखें। 
  • प्रतिदिन अपने दांत फिटकरी पाउडर से साफ़ करें। 
  • शक्कर मिश्रित जल सूर्य भगवान को अर्पित करें। 

रोगों से छुटकारा पाने हेतु उपाय 
  • दवाइयाँ  शुरु करने से पहले उन्हें कुछ समय के लिए शिव मंदिर में रख दें। 
  • अपनी शयन करने की चारपाई के चारों पाँवों में चांदी की कील लगायें। 
  • जब भी जल पिएं उसमे थोड़ा सा गंगा जल दाल लें। 
  • प्रतिदिन प्रातः हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। 
  • अपने बुरे कर्मों के  पिता परमेश्वर से क्षमा याचना करें। 

व्यवसाय में वृद्धि हेतु उपचार
  • एक लाल रंग के कपड़े में थोड़ा सा लाल चन्दन पाउडर बांधे और उसे अपनी तिजोरी में रखें। 
  • अपने व्यवसाय में अपनी पत्नी को हिस्सेदार बनाये। 
  • आप अपने पहले ग्राहक से जो भी धनराशि कमाते हैं उसमें से कुछ धनराशि किसी जरूरतमंद को अवश्य दान करें। 
  • प्रातः अपने घर से आप जब व्यवसाय वाले स्थान पर जाने के लिए निकले तो रास्ते में कही और न रुक कर सीधा अपने व्यवसाय वाले स्थान पर ही जाएं ।

नौकरी प्राप्त करने हेतु उपाय 
  • "ॐ  श्रीं  श्रीं  क्री ग्लो गं गणपतये वर वरदाय मम  नमः" इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करें।
  • रोजगार हेतु साक्षात्कार के लिए जाते समय एक चम्मच दही-शक्कर खा कर जाएँ। 
  • साक्षात्कार के लिए घर से निकलते समय पहले दाहिना पैर बाहर  निकालें और अपने परिवार के सदस्य से आपके ऊपर से साबुत मूंग घुमा कर बाहर फैंकने  के लिए कहें। 
  • जब भी साक्षात्कार के लिये जायें तो जो भी मंदिर पहले आप के रास्ते में आये वहां पर नारियल चढ़ाये। 
  • शीघ्र नौकरी प्राप्त करने के लिए शनि सम्बन्धी कुछ उपाय करें। 

कर्ज़ से छुटकारा पाने हेतु उपाय
  • अपने घर और व्यवसाय के स्थान का मध्य स्थान खाली और साफ़ रखें।
  • अपने घर में ख़राब हुई वस्तुएँ जैसे बिजली का ख़राब सामान, ख़राब घड़ियाँ और अन्य ख़राब सामान न रखें। 
  • अपने ऋण के बारें में बार-बार बात न करें। 
  • अपने घर के गंदे जल का निकास उत्तर पूर्व की ओर रखें। 
  • अपने कर्मचारियों का ध्यान रखे और सम्मान करें। 
  • रविवार को प्रातः नदी में नारियल विसर्जित करें।

Friday, December 12, 2014

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार (अ और आ) - Dreams Interpretation

ईश्वर ने सम्पूर्ण सृष्टि  केवल मनुष्य को ही प्रदान किये हैं। मनुष्य के वास्तविक जीवन में जो अभिलाषाएं पूर्ण नहीं हो पाती, वह एक स्वप्न के द्वारा पूर्ण हो जाती हैं। सूर्योदय के कुछ पूर्व अथवा ब्रह्म मुहूर्त्त में देखे गये स्वप्न क फल दस दिनों में, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल एक वर्ष के पश्चात, रात्रि के दसरे प्रहर में देखे गए का फल छः मास में, तृतीय प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल तीन के बाद, रात्रि के अन्तिम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल एक मास में प्रकट होता है, जबकि दिन में देखे गए  स्वप्न विश्वसनीय नहीं होते हैं। जो स्वप्न रोग अथवा परेशानी की हालत में आते हैं, उन पर विश्वास नही करना चाहिए। स्वस्थ मन और शरीर की सामान्य स्थिति में देखे गए स्वप्नों के फल पर ही विचार करने चाहिए। अशुभ स्वप्न के कुप्रभाव के निवारण हेतु गायत्री मन्त्र का जाप, गुरुमंत्र का जाप, स्नानदानादि, अनुष्ठानादि शुभ कर्मों का सम्पादन करना चाहिए। 

 
  1. अंक देखना (सम) - अशुभ 
  2. अंक देखना (विषम) - शुभ 
  3. अख़बार पढना या खरीदना - वाद विवाद 
  4. अगरबत्ती देखना - धार्मिक अनुष्ठान हो 
  5. अगरबत्ती जलती देखना - दुर्घटना हो 
  6. अगरबत्ती अर्पित करना - शुभ हो 
  7. अंगीठी जलती देखना - अशुभ 
  8. अंगीठी बुझी देखना - शुभ 
  9. अग्नि देखना - पित्त सम्बन्धी रोग, ग़लत तरीके से धन की प्राप्ति होना 
  10. अग्नि उठाना - परेशानी हो
  11. अग्नि से वस्त्र जलना - अनेक दुःख मिले, आँखों का रोग  
  12. अग्नि जलाकर भोजन बनाना - धन लाभ, नौकरी में तरक्की 
  13. अस्त्र देखना - दुःख निवारण
  14. अस्त्र से स्वयं को कटे हूए देखना - शीघ्र कष्ट मिले 
  15. अपने दांत गिरते देखना - बंधु-बांधव का कष्ट हो 
  16. अंगूठी पहनना - सूंदर स्त्री प्राप्त करना  
  17. आम खाना - धन प्राप्त होना 
  18. अनाज देखना - चिंता मिले
  19. अंगूर खाना - स्वास्थय लाभ 
  20. अनार देखना - धन प्राप्ति के योग 
  21. अनार खाना (मीठा) - धन मिले 
  22. अनार के पत्ते खाना - शीघ्र विवाह हो 
  23. अनार का रस पीना - प्रचुर धन प्राप्त होना 
  24. अदरक खाना - मान सम्मान बढे 
  25. अमरुद खाना - धन मिले 
  26. अनानास खाना - पहले परेशानी फिर राहत मिले 
  27. अमलतास के फूल देखना - पीलिया या कोड़  का रोग होना 
  28. अरहर देखना - शुभ 
  29. अरहर खान - पेट में दर्द 
  30. अरबी देखना - सर दर्द या पेट दर्द
  31. अचार खाना, बनाना - सिर दर्द, पेट दर्द 
  32. अस्थि देखना - संकट टलना 
  33. अंजन देखना - नेत्र रोग 
  34. अन्तेष्टि देखना - परिवार में मांगलिक कार्य 
  35. अंगुली काटना - परिवार में कलेश 
  36. अंगूठा चूसना - पारिवारिक सम्पत्ति में विवाद  
  37. अंग दान करना - उज्जवल भविष्य, पुरस्कार 
  38. अंग कटे देखना - स्वास्थय लाभ 
  39. अंगरक्षक देखना - चोट लगने का खतरा
  40. अंगारों पर चलना - शारीरिक कष्ट  
  41. अपमान देखना - चिंताएं दूर होना 
  42. अतिथि देखना - आकस्मिक विपत्ति 
  43. अजग़र देखना - शुभ 
  44. अजनबी मिलना - अनिष्ट की पूर्व सूचना 
  45. अजवाइन खाना - स्वास्थय लाभ 
  46. अपनी शादी देखना - संकट आवे 
  47. अँधा देखना - कार्य में रूकावट आये 
  48. अँधेरा देखना - दुःख मिले 
  49. अपहरण देखना - दीर्घ आयु होना 
  50. अप्सरा देखनी - धन और मान सम्मान की प्राप्ति 
  51. अस्त्र देखना - संकट से रक्षा 
  52. अखरोट देखना - धन की वृद्धि होना व भरपेट भोजन मिलना 
  53. अंग गिरना - शुभ समाचार 
  54. अध्यापक देखना/देखनी - सफलता मिले 
  55. अर्थी देखना - धन लाभ हो 
  56. अमावस्या देखना - दुःख संकट से छुटकारा 
  57. अलमारी बंद  देखनी - धन की प्राप्ति हो 
  58. अलमारी खुली देखनी - धन की हानि हो 
  59. अभिमान करना - अपमानित होना 
  60. अपठनीय अक्षर पढ़ना - दुःखद समाचार मिले 
  61. अट्ठहास करना - दुःखद समाचार मिले
  62. अर्धचन्द्र देखना - औरतों से सहयोग मिले 
  63. अध्ययन करना - असफलता मिले  
  64. अध्यक्ष बनना - मान हानि 
  65. आभूषण देखना - कोई कार्य पूर्ण होना 
  66. अर्थी देखना - बीमारी से छुटकारा 
  67. आकाश देखना - पुत्र प्राप्ति 
  68. आँखों में काजल लगाना - शारीरिक पीड़ा होना 
  69. आसमान में बिजली देखना - कार्य व्यवसाय में स्थिरता 
  70. अपने आप को मार खाते देखना -  फेल हो जाना
  71. अपने आप को मरते हुए देखना - सभी चिंताओं से मुक्ति
  72. अपने को मृत देखना - आयु वृद्धि  
  73. अपने आप को अकेले देखना - लम्बी यात्रा 
  74. अपने पर दूसरों का हमला देखना - लम्बी उम्र हो
  75. अपना विवाह होते देखना - परेशानी आना 
  76. अपने आप को दूध पीते देखना - इज़्ज़त मिलना 
  77. अपने आप को पानी पीते देखना - भाग्य उदय 
आ  
  1. आईना देखना - इच्छा पूर्ण हो, अच्छा दोस्त मिले 
  2. आईने में अपना चेहरा देखना - नौकरी में परेशानी, पत्नी से परेशानी 
  3. आक देखना - शारीरिक कष्ट 
  4. आकाश देखना - तरक्की होना 
  5. आकाश में स्वयं को देखना - अच्छी यात्रा का संकेत 
  6. आकाश से गिरना - मान हानि, चिंता, व्यापार में हानि 
  7. आकाश में उड़ते देखना (अपने आप को) - सफलता प्राप्त हो 
  8. आम का वृक्ष देखना - संतान प्राप्ति 
  9. आम खाते देखना - धन और सन्तान का सुख 
  10. ऑपरेशन देखना - रोग के चिन्ह 
  11. आलिंगन (स्त्री से) - धन लाभ, काम सुख की प्राप्ति 
  12. आलिंगन ( पुरुष से) - पति से बेवफ़ाई की सूचना 
  13. आलिंगन ( पुरुष का पुरुष से) - शत्रुता बढ़ना 
  14. आलिंगन ( स्त्री का स्त्री से) - धन प्राप्ति का संकेत 
  15. आज़ाद होते देखना - अनेक चिंताओं से मुक्ति 
  16. आलू देखना - मुसीबत आना, भरपेट भोजन मिले  
  17. आरा चलते हुए देखना - संकट शीघ्र समाप्त होवे 
  18. आरा रुके हुए देखना - नया संकट आने का संकेत 
  19. आवेदन करना या लिखना - लम्बी यात्रा हो 
  20. आँवला देखना - उदर रोग, मनोकामना पूर्ण न होना 
  21. आँवला खाते देखना - मनोकामना पूर्ण होना 
  22. आँचल देखना - प्रतियोगिता में विजय 
  23. आँचल से आंसू पोछना - अच्छा समय आने वाला है 
  24. आँचल में मुँह छुपाना - मान सम्मान की प्राप्ति 
  25. आवारा भटकना - नौकरी मिलना, धन लाभ हो  
  26. आवाज़ सुनना - अच्छा समय आने वाला है 
  27. आड़ू देखना - प्रसन्नता प्राप्त हो 
  28. आत्महत्या देखना (करना) - दीर्घ आयु 
  29. आंधी देखना - संकट से छुटकारा 
  30. आंधी में गिरना - सफलता मिलेगी 
  31. आंसू देखना - परिवार में मंगल कार्य हो 
  32. आश्रम देखना - व्यापार में घाटा 
  33. आटा देखना - कार्य पूर्ण हो 
  34. आइसक्रीम खाना - सुख शान्ति मिले 

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( इ, ई, उ, ऊ, औ और ऐ ) - Dreams Interpretation

इ  
  1. इमली का पेड़  देखना - स्वास्थय में गिरावट  
  2. इमली खाते देखना  - स्त्री के लिये शुभ (पुत्र प्राप्ति) पर पुरुष के लिये अशुभ  
  3. इंद्रिय देखना - संतान प्राप्ति 
  4. इन्द्रधनुष देखना - संकट बढ़े, धन हानि हो 
  5. इमारत देखना - मान सम्मान बढ़े, धन लाभ हो
  6. इमारत बनाना - धन लाभ हो, तरक्की  
  7. इश्तहार पढ़ना - धोखा मिले चोरी हो  
  8. इडली सांभर खाते देखना - सभी से सहयोग मिले 
  9. इत्र लगाना - अच्छे फल की प्राप्ति, मान सम्मान बढ़ेगा 
  10. इष्टदेव की मूर्ति चोरी होना - मृत्युतुल्य कष्ट आये 
  11. इक्का देखना-हुकुम का  - दुःख व निराशा मिले 
  12. इक्का देखना- ईंट का  - कष्टकारक स्थिति 
  13. इक्का देखना- पान का - पारिवारिक क्लेश 
  14. इक्का देखना- चिड़ी का - गृह क्लेश, अतिथि आने की सूचना
ई   
  1. ईंजन देखना - योजनाएं असफ़ल 
  2. ईंजन चलते देखना - यात्रा हो, शत्रु से सावधान  
  3. ईंट  देखना - कष्ट मिलेगा  
उ   
  1. उल्लू देखना - रोग, शोक हो (दुःखों का संकेत)
  2. उलटा लटकना  - अपमान मिले   
  3. उपवन देखना - बीमारी की पूर्व सूचना 
  4. उस्तरा देखना - धन हानि, चोरी का भय 
  5. उस्तरा प्रयोग करना - यात्रा में धन लाभ हो 
  6. उधार लेते या देते देखना - धन लाभ का संकेत 
  7. उल्टे कपड़े  पहनना - अपमान हो   
  8. उजाला देखना - भविष्य में सफलता क संकेत  
  9. उजले कपड़े देखना - मान-सम्मान में वृद्धि, विवाह हो  
  10. उबासी लेना - दुःख मिले  
  11. उदास देखना - शुभ समाचार मिले 
  12. उड़ते देखना (स्वयं को)  - लम्बी यात्रा हो, गंभीर दुर्घटना की पूर्व सूचना 
  13. उजाड़ देखना  - दूर स्थान की यात्रा हो 
  14. उदघाट्न देखना - अशुभ संकेत 
  15. उठना और गिरना - संघर्ष बढ़ेगा 
  16. उलझे बाल या धागे देखना-परेशानियाँ बढ़ेगी 
  17. उछलते देखना - दुःखद समाचार मिलने का संकेत 
  18. उड़ता हुआ पक्षी देखना - इज़्ज़त होना 
  19. उत्सव मनाते हुए देखना - शोक होना 
ऊ    
  1. ऊन देखना - धन लाभ हो 
  2. ऊंघना - धन हानि, चोरी का भय 
  3. ऊँट देखना - अंग घात, राज्य से भय होना  
  4. ऊँट की सवारी - रोगग्रस्त होना 
  5. ऊँचाई पर चढ़ना - तरक्की व मान 
  6. ऊँचाई  पर अपने को देखना - अपमानित होना 
  7. ऊँचाई  से गिरना - घर में किसी परेशानी का आना 
  8. ऊँचे वृक्ष देखना - मनोकामना पूरी होने में समय लगना  
  9. ऊँचे पहाड़ देखना - काफ़ी मेहनत के बाद कार्य सिद्ध हो 
औ     
  1. अौषधि देखना - ग़लत संगत में पड़ना 
ऐ     
  1. ऐनक लगते देखना - विद्या मिले, ख़ुशी/मान-सम्मान मिले 

Tuesday, November 18, 2014

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( क, ख, ग, और घ ) - Dreams Interpretation

क 
  1. कन्या देखना - उन्नति/तीर्थ यात्रा, धन वृद्धि हो   
  2. कोढ़ी देखना  - रोग सूचक 
  3. कमल का फूल देखना - धन की प्राप्ति 
  4. कलम देखना - ज्ञान की प्राप्ति 
  5. कली देखना - स्वास्थ्य ख़राब हो 
  6. कंगन/कड़ा देखना - धन हानि हो/अपमान हो  
  7. कबाब खाना - विवाद/अपयश 
  8. कोयला देखना - झूठा आरोप लगे  
  9. कैंची चलाना - व्यर्थ विवाद  
  10. कैंची देखना - स्त्री से कलह, अकारण किसी से वाद-विवाद होना , घर में विवाद होना 
  11. कटा सिर देखना - चिंता, परेशानी 
  12. कंघी करना - इच्छा पूर्ण हो 
  13. कुएं  में गिरना - परेशानी बढ़े  
  14. काला नाग  - राज्य सम्मान  
  15. कौवा बोलना - प्रिय से मिलाप  
  16. किला देखना - तरक्की/ख़ुशी प्राप्त होना    
  17. कुत्ते का काटना - शत्रु का भय 
  18. कबूतर देखना - प्रेमिका से मिलन, रोग से छुटकारा 
  19. कबूतरों का झुंड़ - शुभ समाचार 
  20. कपास देखना - सुख समृद्धि हो  
  21. कब्रिस्तान देखना - समाज में प्रतिष्ठा वृद्धि
  22. कब्र खोदना - धन की प्राप्ति, मकान बनाये 
  23. कफ़न देखना - आयु वृद्धि 
  24. कर्जा देना - ख़ुशहाली आये 
  25. कर्जा लेना - व्यापार में हानि 
  26. कर्पूर देखना - व्यापार में लाभ 
  27. कबाड़ी देखना - अच्छे दिनों की शुरुआत 
  28. कपास देखना - सुख समृद्धि हो 
  29. कंबल देखना - बीमारी आये 
  30. कान देखना - शुभ समाचार 
  31. कान साफ़ करना - अच्छी बातों का ज्ञान 
  32. कान कट जाना - अपनों से वियोग 
  33. कारखाना देखना - दुर्घटना में फसने की सूचना 
  34. काली बिल्ली देखना - लाभ हो 
  35. कुत्ता भौंकते देखना - लोगों द्वारा मज़ाक उड़ना 
  36. कुत्ता झपटे - शत्रु की हार 
  37. कुत्ते का काटना - शत्रु का भय 
  38. कील देखना/ठोकना - परिवार में बटवारा हो 
  39. केक देखना - अच्छी वस्तु मिले 
  40. कोहरा देखना - संकट समाप्त हो
  41. कोयल देखना / सुनना - शुभ समाचार, उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति  
  42. कौआ देखना - बुरी सूचना मिलना , किसी सम्बन्धी की मृत्यु का समाचार मिलना    
  43. कछुआ देखना - आशा से अधिक धन मिलना, शुभ समाचार मिले  
  44. कलश देखना - सफलता मिले 
  45. कंघी देखना - चोट लगना, दांत या कान मे दर्द 
  46. काला रंग देखना - शुभ फल 
  47. काली आँखे देखना - व्यापार में लाभ 
  48. कुमकुम देखना - कार्य में सफलता 
  49. कद्दू देखना - पेट में दर्द हो 
  50. काजू खाना - नया व्यापार शुरु हो 
  51. केला खाना या देखना - ख़ुशी हो, शुभ समाचार मिले  
  52. कोठी देखना - दुःख मिले 
  53. नर कंकाल देखना - उम्र बढ़ने का संकेत 
  54. कनस्तर भरा देखना - अशुभ 
  55. कनस्तर ख़ाली देखना - शुभ 
  56. कटोरा देखना - बनते काम बिगड़ना 
  57. कागज़ देखना (कोरा)- शुभ
  58. कागज़ देखना (लिखा हुआ)- अशुभ
  59. कुर्ता देखना (सफ़ेद) - शुभ
  60. कपड़े  पर ख़ून के दाग -  व्यर्थ बदनामी
  61. कपड़ा  बेचते देखना - व्यापार में लाभ
  62. कपास देखना - सुख समृद्धि घर आये 
  63. काला कुत्ता देखना - कार्य में सफलता
  64. काली कुत्तिया देखना - मान सम्मान बढ़े 
  65. कुत्ता काटना, कुत्ता पालना - संकट आना  
  66. काली बिल्ली देखना - शुभ समाचार मिले 
  67. पीली बिल्ली देखना -  अशुभ समाचार मिले  
  68. कुम्हार देखना - शुभ समाचार मिले 
  69. केतली देखना - दांपत्य जीवन में शान्ति हो 
  70. कोयला देखना - प्रेम जाल मे फँस कर दुःख पाये, झूठा आरोप लगे 
  71. कृपाण देखना - धार्मिक कार्य पूर्ण होने की सूचना
  72. क़ुरान देखना - सुख शान्ति की भावना बढ़े 
  73. कपड़े धोते देखना -  रूकावट के बाद लाभ होना 
  74. कुण्डल पहने देखना - संकट हो 
  75. कुर्सी खाली देखना - नौकरी मिले 
  76. कुर्सी पर स्वयं को बैठे देखना - नया पद, पदोन्नति 
  77. कुर्सी पर अन्य को बैठे देखना - अपमान होना 
  78. कूड़े का ढ़ेर देखना - कठिनाई के बाद धन मिले 
  79. केश संवारना - तीर्थ यात्रा  
  80. कैमरा देखना - अपने भेद चुप के रखे 
  81. कद लम्बा देखना - मृत्यु तुल्य कष्ट हो 
  82. कद घटना - अपमान हो 
  83. कमल ककड़ी देखना - सात्विक भोजन में आनंद मिले 
  84. करी खाना - विधवा/विदुर से विवाह 
  85. काना व्यक्ति देखना - अनुकूल समय न होना 
  86. कुबड़ा देखना - कार्य में विघ्न 
  87. कीड़ा देखना - शक्ति का प्रतीक 
  88. कुल्हाड़ी देखना - परिश्रम अधिक लाभ कम 
  89. कद अपना छोटा  देखना - अपमान सहना, परेशानी उठाना 
  90. कद अपना बड़ा देखना - भारी संकट आना 
  91. कटा सिर देखना - शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी 
  92. क़त्ल करना स्वयं का - बुरे कार्यों से बचे शुभ स्वप्न है 
  93. क़सम खाते देखना - संतान का दुःख भोगना 
  94. किसी उच्चे स्थान से कूदना - असफ़लता 
  95. कमंडल देखना - परिवार के किसी सदस्य से वियोग 
  96. काउंटर देखना - लेन -देन  मे लाभ हो 
  97. कसरत देखना - बीमारी आने की सूचना 
  98. करवाचौथ देखना - स्त्री देखे तो आजीवन सधवा और पुरुष देखे तो धन-धन्य सम्पूर्ण 
  99. कसीदा काढ़ना - पति से झगड़ा 
  100. किसी दुल्हन का चुम्बन लेते हुए देखना - शत्रुओं के साथ समझौता होना
  101. कुएँ में पानी देखना - धन लाभ  
  102. कुआँ देखना - सम्मान बढ़ना
  103. कमल का फूल देखना - रोग से छुटकारा  
  104. किसी रिश्तेदार को देखना - उत्तम समय की शुरुआत 
  105. कन्या को घर आते देखना - माँ लक्ष्मी की कृपा मिलना 
ख 
  1. ख़रगोश देखना - स्त्री से मिलाप   
  2. खिलौना देखना  - सुख-शान्ति  
  3. खेत देखना - संकट 
  4. ख़ून करना - संकट आना  
  5. खरबूजा देखना - धन लाभ हो , सफलता मिले  
  6. खिलौना देखना - सुख-शान्ति, आँखों का सुख मिले 
  7. खटमल देखना - जीवन में संघर्ष
  8. खटमल मारना - कठिनाई से छुटकारा   
  9. ख़त पढ़ना - शुभ समाचार 
  10. खोपड़ी देखना - बौद्धिक कार्यों में सफलता 
  11. ख़ाली बरतन देखना - काम में हानि 
  12. खाली थाली देखना - धन प्राप्ति के योग 
  13. ख़ुशी देखना - परेशानी बढ़े 
  14. खेत देखना - यात्रा हो, विद्या व धन की वृद्धि 
  15. खेत काटते देखना - पत्नी से मनमुटाव होना 
  16. खलिहान देखना - सम्मान बढ़े 
  17. ख़ाली खाट देखना - बीमार पड़ने की सूचना 
  18. ख़ून देखना  - धन मिले 
  19. ख़ून ख़राबा देखना - सौभाग्य में वृद्धि 
  20. ख़ून की वर्षा देखना - देश में अकाल पड़े 
  21. ख़ून में लोटना - धन संपत्ति प्राप्त होने का संकेत     
  22. खटाई खाना - धन हानि हो  
  23. खरोंच लगना - शरीर स्वस्थ हो 
  24. खुजली होना - रोग से छुटकारा पाने का संकेत 
  25. खुशबू लगाना - सम्मान बढ़े   
  26. खेलकूद में भाग लेना - भाग्योन्नति होना 
  27. खिल्ली उड़ाना - लोगों से निराशा मिले 
  28. खिलखिलाना - दुःखद समाचार मिलने के संकेत 
  29. खाई देखना - धन और प्रसिद्धि की प्राप्ति 
  30. खुला दरवाज़ा देखना - किसी व्यक्ति से मित्रता होगी 
  31. ख़च्चर दिखाई देना - धन सम्बन्धी समस्या
  32. खाली बैलगाड़ी देखना -नुकसान होना 
  33. खेत में पके गेहूँ देखना - धन लाभ होना
  34.  
ग 
  1. गुरु देखना - कार्य में सफलता मिलना  
  2. गेरुआ वस्त्र देखना - समय शुभ है 
  3. गायत्री पाठ करते देखना - मान सम्मान बढ़े (दुर्लभ स्वप्न)
  4. गुलाब देखना - सम्मान में वृद्धि 
  5. गेंदे का फूल देखना - मानसिक अशांति 
  6. गाय देखना - ख़ुशी प्राप्ति , धन लाभ हो 
  7. गाय या बैल (पीले रंग का) देखना - महामारी आने के लक्षण 
  8. गाय मिलना -    भूमि लाभ होना 
  9. गाय का बछड़ा देखना - कोई अच्छी घटना होना 
  10. ग्वाला/ग्वालिन देखना - शुभ फल 
  11. गीता देखनी  - समृद्धिदायक, कष्ट दूर हो  
  12. ग्रन्थ साहिब देखना - धार्मिक कार्यों में रुचि हो  
  13. गंगा देखनी - शेष जीवन सुखी, मोक्ष प्राप्ति 
  14. ग्रहण देखना - समाज में अप्रतिष्ठा , रोग व चिंता   
  15. गोता लगाते देखना - गुप्त धन मिले   
  16. गर्भपात देखना - गंभीर रोग  
  17. गोली चलते देखना - विपत्ति निवारण 
  18. गाज़र देखना - फ़सल अच्छी हो    
  19. गिलहरी देखना - बहुत शुभ  
  20. गुड़िया देखना - शीघ्र विवाह के संकेत 
  21. गेहूँ देखना - काफ़ी परिश्रम के बाद आय के संकेत 
  22. गेंद देखना - परेशानी होना  
  23. गमला देखना - ख़ाली देखने पर झंझट और फूल खिले देखने पर शुभ  
  24. गंजा सिर देखना - परीक्षा में पास हो, सम्मान बढ़े  
  25. गरम पानी देखना - बुख़ार या अन्य बीमारी आये  
  26. गधा देखना - प्यार मिले  
  27. गधे की सवारी करना  - शुभ समाचार मिले 
  28. गधे की चीख सुनना - दुःख हो  
  29. गधा लदा हुआ  देखना - व्यापार में लाभ हो 
  30. गवाही देना - अपराध में फसना       
  31. गिलास देखना - घरेलू खर्चों मे कमी हो 
  32. गिरगिट देखना - झगड़े मे फंसने का संकेत 
  33. गीदड़ देखना - शत्रु से भय मिले 
  34. गुड खाना - सफलता मिले, अच्छा समय आने का संकेत     
  35. गाड़ी देखना - यात्रा सार्थक हो  
  36. गलीचा देखना या उस पर बैठना - शोक मे शामिल होना 
  37. गिनती करना - काम में हानि 
  38. गुठली खाना या फेंकना - काफी धन आने की सूचना 
  39. गीली वस्तु देखना - लम्बी बीमारी आने के संकेत 
  40. गली देखना - सुनसान गली देखने से लाभ, भीड़ वाली गली देखने से मृत्यू का समाचार 
  41. गालियां देते देखना - बदनामी हो 
  42. गर्दन अकड़ जाना - धन की प्राप्ति होना 
  43. गोबर देखना - पशुओं के व्यापर में लाभ 
घ  
  1. घड़ी देखना - नौकरी में पदोन्नति यात्रा पर जाना  
  2. घड़ी गुम हो जाना - यात्रा का कार्यक्रम स्थगित हो जाना  
  3. घर देखना (सजा हुआ) - संपत्ति में हानि 
  4. घर देखना (खंडहर) - संपत्ति में लाभ  
  5. घर देखना (सोने का) - घर में आग लगने का संकेत 
  6. घर देखना (लोहे का) -  मान-सम्मान में वृद्धि 
  7. घर में आग देखना - सरकार से लाभ हो 
  8. घर में किसी और का प्रवेश देखना - शत्रु पर विजय  
  9. घी देखना  - धन दौलत बढे    
  10. घास  देखना - लाभ हो  
  11. घाट देखना/बैठना/नहाना  - तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत 
  12. घायल देखना - संकट से छुटकारा   
  13. घंटाघर देखना - अशुभ समाचार    
  14. घंटे की आवाज़ सुनना - चोरी होने का संकेत   
  15. घुटने टेकना - वाद विवाद में सफलता मिले 
  16. घुंघरू की आवाज़ सुनना - मान सम्मान बढ़ेगा     
  17. घूँघट देखना - नया व्यापार शुरू हो   
  18. घड़ा भरा देखना - धन लाभ हो  
  19. घोड़ा देखना - चिंता हो 
  20. घोड़ा  (काला) देखना - मान सम्मान बढ़ेगा 
  21. घोड़ा (सजा हुआ) देखना -   कार्य में हानि होना  
  22. घोड़े या हाथी पर चढ़ना - पदोन्नति, व्यापार में उन्नति     
  23. घोड़े पर से गिरना - हानि होवे, पद छूटना 

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( च, छ, ज और झ ) - Dreams Interpretation

च 
  1. चीखें मारना - संकट 
  2. चन्द्रमा देखना  - श्वेत धन प्राप्ति /प्रतिष्ठा प्राप्त हो 
  3. चाँद देखना (चौथ का) - बहुत अशुभ  
  4. चाँद टूटा देखना - तकलीफ़ हो
  5. चन्द्र-ग्रहण देखना - हाकिम पर आफ़त / सभी काम बिगड़े   
  6. चरख़ देखना - आर्थिक लाभ  
  7. चारपाई देखना - बीमारी का प्रतीक / हानि हो   
  8. चिराग़ देखना - सुख शान्ति  
  9. चौराहा देखना - आर्थिक हानि  
  10. चाय देखना - धन वृद्धि हो  
  11. चाय पीना - विवाद/अपयश 
  12. चोर देखना - धन हानि  
  13. चावल देखना - रंज दूर हो / कठिनाई से धन मिले   
  14. चावल खाना - शुभ समाचार   
  15. चीखें मारना - परेशानी व कष्ट   
  16. चौकीदार देखना - धनागमन  
  17. चट्टानें देखना - कार्य पूर्ति 
  18. चरखा देखना - आर्थिक लाभ   
  19. चींटी देखना  - मुसीबत पेश हो  / मान सम्मान में वृद्धि  
  20. चक्की देखना - मुसीबत में फंसे   
  21. चाकू देखना - अंत में विजय     
  22. चप्पल देखना/पहनना - यात्रा पर जाना  
  23. चम्मच देखना - नज़दीकी व्यक्ति से धोखा 
  24. चमगादड़ लटका देखना - अशुभ संकेत  
  25. चमगादड़ उड़ता देखना - लम्बी यात्रा हो  
  26. चित्र देखना - पुराने मित्र से मिलान हो 
  27. चिड़िया देखना - मेहमान आने का संकेत 
  28. चील देखनी -  अपमान हो 
  29. चींटी देखना - धन लाभ हो  
  30. चींटियाँ (बहुत अधिक) देखना - परेशानी आये 
  31. चींटी मारना - तुरंत सफलता मिले  
  32. चूहा देखना - औरत से धोखा  
  33. चूहा मरा देखना - धन लाभ  
  34. चूहा मारना - धन हानि  
  35. चूहा फंसा देखना - शरीर को कष्ट  
  36. चूहा चूहेदानी से निकलते देखना - कष्ट से मुक्ति  
  37. चुड़ैल देखना - धनहानि हो  
  38. चूड़ियाँ देखना (सफ़ेद) - धन  लाभ हो 
  39. चूड़ियाँ तोड़ना - पति दीर्घायु हो (स्त्री के लिए)  
  40. चौराहा देखना - यात्रा में सफलता 
  41. चोर पकड़ना - धन आने की सूचना  
  42. चौकीदार देखना - अचानक धन आये  
  43. चट्टान देखना (काली) - शुभ  
  44. चट्टान देखना (सफ़ेद) - अशुभ 
  45. चटनी खाना - दुखों में वृद्धि 
  46. चादर देखना (मैली) - धन लाभ हो
  47. चादर शरीर पर लपेटना - गृह कलेश बढ़े  
  48. चादर समेट कर रखना - चोरी होने का संकेत    
  49. चलते देखना (ज़मीन पर) -  नया रोज़गार मिले    
  50. चलते देखना (पानी पर)  - कारोबार में हानि 
  51. चलते देखना (आसमान में) - बीमारी आने का संकेत 
  52. चपत मारना - धनहानि  
  53. चपत खाना - शुभ फल की प्राप्ति   
  54. चमड़ा देखना - दुःख हो 
  55. चरबी देखना - आग लगने का संकेत  
  56. चरखा चलाना - मशीनरी ख़राब हो  
  57. चश्मा खोना - चोरी का संकेत   
  58. चश्मा लगाना - ज्ञान बढ़ना 
  59. चुम्बन लेना - आर्थिक समृद्धि हो 
  60. चुम्बन देना - मित्रता बढ़े 
  61. चंचल आँखें देखना - बीमारी आने की सूचना  
  62. चॉकलेट खाना - अच्छा समय आने वाला है  
  63. चेचक निकलना  - धन की प्राप्ति 
  64. चोटी पर देखना (स्वयं को)- हानि हो 
  65. चुंगी देना - चलते काम में रुकावट 
  66. चुंगी लेना - आर्थिक लाभ 
  67. चूर्ण खाना -  बीमारी में लाभ 
  68. चूल्हा देखना - उत्तम भोजन प्राप्त हो 
  69. चबूतरा देखना - मान सम्मान बढ़ेगा 
  70. चुटकी काटना -  परिवार में कलेश  
  71. चाँदी का सामान देखना - गृह कलेश बढ़े  
  72. चाँदी के बर्तन में दूध पीना - संपत्ति में वृद्धि हो 
छ  
  1. छत देखना - मकान बने 
  2. छड़ी देखना  - संतान से लाभ हो  
  3. छतरी लगा कर चलना - मुसीबतों से छुटकारा मिलना
  4. छत्र देखना - राज दरबार में सम्मान मिले
  5. छलनी देखना - व्यापार में हानि  
  6. छल्ला पहनना - शिक्षा में वृद्धि 
  7. छलांग लगाना - असफलता हाथ लगे 
  8. छम छम की आवाज़ आये - मेहमान का आगमन  
  9. छाज देखना - सम्मान बढ़े
  10. छाछ पीना - धन लाभ हो 
  11. छापाखाना देखना - धन लाभ हो
  12. छात्र समूह देखना - शिक्षा में लाभ 
  13. छिपकली देखना - शत्रु से कष्ट प्राप्त होना 
  14. छींक आना - अशुभ लक्षण
  15. छुआरा खाना - धन लाभ हो
  16. छुरा देखना - शत्रु से भय हो 
  17. छोटे बच्चे देखना  - इच्छा पूर्ण हो
ज  
  1. जप करना - विजय प्राप्त हो 
  2. जमघट देखना - किये कार्यों की प्रशंसा मिलना 
  3. जयकार सुनना - संकट में पड़ना 
  4. जलना  - मान सम्मान की प्राप्ति
  5. ज्योतिष देखना - संतान को कष्ट हो 
  6. जटाधारी साधू देखना - शुभ लक्षण 
  7. जहाज़ देखना - दुर्घटना में फसने का सूचक   
  8. जंजीर देखना - इलज़ाम लगेगा 
  9. जंजीर में स्वयं को जकड़े देखना  - समस्याओं से छुटकारा 
  10. जल देखना - संकट आएगा 
  11. जड़ें देखना - शुभ स्वप्न है
  12. जवालामुखी देखना - स्थान परिवर्तन की पूर्ण सूचना  
  13. जमीन खोदना - कठिनाई से लाभ हो  
  14. जंगल देखना - कष्ट दूर हो  
  15. जादू देखना या करना - धन हानि
  16. जलता घर देखना - बीमारी परेशानी बढ़े    
  17. जलता मुर्दा देखना - शुभ समाचार प्राप्त हो 
  18. जाल (मकड़ी का) देखना - शुभ लक्षण
  19. जाल (मछली का) देखना - संकट के संकेत 
  20. जामुन खाना या देखना - यात्रा पर जाना पड़े
  21. जुलूस देखना - नौकरी में उन्नति हो  
  22. जुएं देखना या मारना - मानसिक चिंता  
  23. जूते से पीटना - मान सम्मान बढ़े   
  24. जूते से पीटना (स्वयं को) - मान सम्मान मिले  
  25. जेब खाली देखना  - अशुभ संकेत
  26. जेब भरी देखना  - अधिक खर्च होने का सूचक
  27. जेल देखना - जग हंसी हो 
  28. जेल से छूटना -  कार्य में सफलता      
  29. जोकर देखना - समय बर्बाद हो
झ   
  1. झगड़ा देखना - शुभ समाचार 
  2. झाड़ू लगाना - घर में चोरी हो 
  3. झुनझुना देखना - परिवार में ख़ुशी हो 
  4. झरना देखना (ठन्डे पानी का) - शुभ 
  5. झरना देखना (गर्म पानी का) - रोग आये 
  6. झंडा देखना (सफ़ेद या मंदिर का) -  शुभ समाचार  
  7. झंडा देखना (हरा) -  यात्रा में कष्ट   
  8. झंडा देखना (पीला) -  बीमारी आये 

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( ट, ठ, ड, त, थ और द ) - Dreams Interpretation

  1. टंकी खाली देखना - शुभ लक्षण
  2. टंकी भरी देखना - अशुभ घटना का संकेत
  3. टाई  देखना (सफ़ेद) - अशुभ
  4. टाई  देखना (रंगीन) - शुभ 
  5. टेलीफोन करना - मित्रों की संख्या में वृद्धि 
  6. टोकरी देखना (खाली) - शुभ लक्षण 
  7. टोकरी देखना (भरी) - अशुभ घटना का संकेत
  8. टोपी उतारना - मान सम्मान में वृद्धि 
  9. टोपी सिर पर रखना - अपमान हो
  10. टूटा हुआ छप्पर देखना - गड़े धन की प्राप्ति के योग 
ठ  
  1. ठंड में ठिठुरना - सुख मिले
ड  
  1. डंडा देखना - दुश्मन से सावधान रहे
  2. डफली बजाना - घर में उत्सव की सूचना
  3. डाकखाना देखना - बुरा समाचार मिले
  4. डाकिया देखना - शुभ सूचना मिले
  5. डॉक्टर देखना - निराशा मिले 
  6. डाकू देखना - धन वृद्धि हो   
त   
  1. तरबूज़ देखना - धन लाभ हो
  2. तराजू देखना - कार्य निष्पक्ष पूर्ण हों
  3. तबला बजाना - जीवन सुखपूर्वक गुजरे
  4. तकिया देखना - मान सम्मान बढ़े
  5. तलवार देखना - शत्रु पर विजय
  6. तपस्वी देखना  -  मन शांत हो  
  7. तला हुआ पकवान देखना -  शुभ समाचार मिले
  8. तलाक़ देना -  धन वृद्धि हो 
  9. तमाचा मारना -  शत्रु पर विजय
  10. तराजू में तुलना -  भयंकर बीमारी हो 
  11. तव देखना (खाली) -  अशुभ लक्षण 
  12. तवे पर रोटी सेकना -  संपत्ति बढ़े
  13. तहख़ाना देखना या उसमें प्रवेश करना - तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत 
  14. ताम्बा देखना -  सरकार से लाभ मिले 
  15. तालाब में तैरना -  स्वास्थ्य लाभ 
  16. ताला देखना -  चलते काम में रूकावट 
  17. ताली देखना -  बिगड़े काम बनेंगे
  18. तांगा देखना -  सुख मिले, सवारी का लाभ हो 
  19. ताबीज़ देखना - शुभ समय का आगमन 
  20. ताबीज़ बांधना - कार्य में हानि हो
  21. ताश देखना - मित्र अथवा पड़ोसी से लड़ाई हो 
  22. तारा देखना - अशुभ
  23. तितली देखना - विवाह हो या प्रेमिका मिले
  24. तितली पकड़ना - नयी संतान हो 
  25. तितली उड़ कर दूर जाना - दाम्पत्य जीवन में क्लेश हो 
  26. तिल देखना - कारोबार में लाभ 
  27. तिराहा देखना - लड़ाई झगड़ा हो 
  28. त्रिशूल देखना - अच्छा मार्ग दर्शन मिले 
  29. त्रिमूर्ति देखना - सरकारी नौकरी मिले 
  30. तिजोरी बांध करना - धन वृद्धि हो 
  31.  तिजोरी टूटते देखना - कारोबार में वृद्धि हो
  32. तिलक करना - व्यापार में वृद्धि हो
  33. तूफ़ान देखना या उसमे फंसना - संकट से छुटकारा मिले 
  34. तेल या तेली देखना - समस्या बढ़े 
  35.  तोलना - महँगाई बढ़े 
  36. तोप देखना - शत्रु पर विजय
  37. तोता देखना - ख़ुशी मिले 
  38. तोंद बड़ी देखना - पेट में परेशानी हो 
  39. तौलिया देखना -स्वास्थ्य लाभ हो
थ   
  1. थप्पड़ मारना - झगड़े में फँसना
  2. थप्पड़ खाना - कार्य में सफलता
  3. थक जाना - कार्य में सफलता मिले
  4. थर थर काँपना - मान सम्मान बढ़े
  5. थाली भरी देखना - अशुभ 
  6. थाली खाली देखना - सफलता मिले 
  7. थूकना -  मान सम्मान बढ़े
  8. थैली देखना (भरी) -  जमीन ज़ायदाद में वृद्धि 
  9. थैली देखना (खाली ) -  जमीन ज़ायदाद के लिए झगड़ा हो
द    
  1. दरवाज़ा बंद देखना - चिंता बढ़े, धन हानि 
  2. दरवाज़ा खुला देखना - किसी व्यक्ति से मित्रता होगी 
  3. दरवाजा खोलना -   नया कार्य आरंभ हो
  4. दरवाजा गिरना -  अशुभ संकेत 
  5. दही देखना - धन लाभ हो 
  6. दलिया खाना या देखना -कुछ समय के लिए अस्वस्थ होना 
  7. दरार देखना - घर में फूट 
  8. दलदल देखना - काम में आलस्य हो
  9. दक्षिणा लेना या देना -  व्यापार में घाटा 
  10. दमकल चालना -  धन वृद्धि हो 
  11. दर्पण देखना -  मानसिक अशान्ति 
  12. दस्ताना पहनना -  शुभ समाचार 
  13. दहेज़ लेना या देना -  चोरी की सम्भावना 
  14. दर्ज़ी को काम करते देखना - कोर्ट से छुटकारा
  15. दवा खाना या खिलाना -  अच्छा मित्र मिले 
  16. दवा गिरना -  बीमारी दूर हो
  17. दांत टूटना -  शुभ 
  18. दांत में दर्द देखना -  नया कार्य शुरु हो 
  19. दाढ़ी देखना -  मानसिक परेशानी हो 
  20. दाढ़ी देखना (काली) - धन वृद्धि हो
  21. दाढ़ी देखना (सफ़ेद) - कार्य में रुकावट हो
  22. दाढ़ी बनाते हुए देखना - दाम्पत्य जीवन की सारी कठिनाई समाप्त हो जाना 
  23.  दादा-दादी देखना (जो मृत हों) - मान-सम्मान बढ़े 
  24. दान लेना - धन वृद्धि हो
  25. दान देना - धन हानि हो 
  26. दाह क्रिया देखना - सोचे हुए कार्य बनने के संकेत 
  27. दातुन करना - कष्ट मिटे 
  28. दान डालना (पक्षियों को) - व्यापार में लाभ हो 
  29. दाग़ देखना - चोरी हो 
  30. दामाद देखना - पुत्री को कष्ट हो 
  31. दाल कपड़ो पर गिरना - शुभ लक्षण 
  32. दाल पीना  - कार्य में रुकावट
  33. दियासलाई जलाना - दुश्मनी बढ़े 
  34. दीपक देखना - मान सम्मान में वृद्धि
  35. दीपक जलाना - नए अवसरों की प्राप्ति   
  36. दीपक बुझा देना - नया कार्य शुरू हो
  37. दीवाली देखनी - व्यापार में हानि 
  38. दूल्हा या दुल्हन बनना - मानहानि हो
  39. दूल्हा या दुल्हन बारात सहित देखना - बीमारी आये
  40. दुल्हन देखना - सुख मिले
  41. दुकान करना - मान सम्मान में वृद्धि
  42. दुकान खरीदना - धन का लाभ हो 
  43. दुकान बेचना - मानहानि हो 
  44. दुकान बंद होना - कष्टों में वृद्धि हो
  45. दुपट्टा देखना - स्वास्थ्य में सुधार हो
  46. दूरबीन देखना - मान सम्मान में हानि हो
  47. दूध देखना - आर्थिक लाभ मिले
  48. दुकान पर बैठना - प्रतिष्ठा बढे, धन लाभ हो
  49. दोना देखना - धन संपत्ति प्राप्त हो
  50. दोमुँहा सांप देखना - दुर्घटना हो या मित्र द्वारा विश्वासघात मिले
  51. दौड़ना - कार्य में सफलता
  52. देवता से मंत्र प्राप्त हो - नए कार्य में सफलता
  53. देवी-देवता देखना - सुख संपत्ति में वृद्धि होना
  54. देवी-देवता देखना (कृष्ण) - प्रेम संबंधों में वृद्धि
  55. देवी-देवता देखना (राम) - सफलता मिले 
  56. देवी-देवता देखना (शिव) - मानसिक शान्ति बढ़े
  57. देवी-देवता देखना (विष्णु) - सफलता मिले
  58. देवी-देवता देखना (ब्रह्मा) - अच्छा समय आने वाला है
  59. देवी-देवता देखना (हनुमान) - शत्रु का नाश हो 
  60. देवी-देवता देखना (दुर्गा) - रोग दूर हों 
  61. देवी-देवता देखना (सीता) - पहले कष्ट मिले फिर समृद्धि हो 
  62. देवी-देवता देखना (राधा) - शारीरिक सुख मिले
  63. देवी-देवता देखना (लक्ष्मी) - धन-धन्य की प्राप्ति हो 
  64. देवी-देवता देखना (सरस्वती) - भविष्य सुखद हो 
  65. देवी-देवता देखना (पार्वती) - सफलता मिले
  66. देवी-देवता देखना (नारद) - दूर से शुभ समाचार मिले

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( ध, न, प, फ, ब और भ) - Dreams Interpretation


  1. धमाका सुनना - कष्ट बढ़े 
  2. धतूरा खाना - संकट से बचना 
  3. धनिया देखना (हरा) - यात्रा पर जाना पढ़े 
  4. धनुष देखना - सभी कार्यों में सफलता मिले 
  5. धब्बे देखना - शुभ संकेत 
  6. धरोहर लाना या देखना - व्यापार में हानि हो 
  7. धार्मिक आयोजन देखना - शुभ संकेत
  8. धागा देखना - कार्य में वृद्धि हो 
  9. धुरी देखना - मान-सम्मान में वृद्धि हो 
  10. धुआँ देखना - कष्ट बढ़े, परेशानी में फंसना पड़े 
  11. धुंध देखना - शुभ समाचार मिले
  12. धुन सुनना - परेशानी बढ़े 
  13. धूमधाम देखना - परेशानी बढ़े
  14. धूल देखना - यात्रा हो
  15. धोबी देखना - कार्य में सफलता मिले 
  16. धोती देखना - यात्रा पर जाना पड़े
  17. धमाका होना - संकटों में वृद्धि 
  18. धार्मिक स्थल देखना - मंदिर -  शुभ कार्य में धन लगे
  19. धार्मिक स्थल देखना - गुरुद्वारा -  ज्ञान प्राप्त हो 
  20. धार्मिक स्थल देखना - मस्जिद -  समस्या का समाधान मिले
  21. धार्मिक स्थल देखना - चर्च -  मानसिक शान्ति में वृद्धि 
  22.  धर्म ग्रन्थ देखने का फल - रामायण - संघर्ष के बाद सफलता मिले 
न   
  1. नल खुला देखना - कार्य शीघ्र हो 
  2. नल बंद देखना - कार्य कठिनाई से हो 
  3. नरक देखना -  कठनाईयाँ बढ़े 
  4. नगीना देखना - सरकार से लाभ हो, शुभ समाचार मिले 
  5. नगाड़ा देखना - धन लाभ हो, प्रसिद्धि मिले
  6. नमाज़ पढ़ते देखना - कष्ट दूर हो, शांति मिलेगी
  7. नमक देखना - बीमारी दूर हो, व्यापार में लाभ हो
  8. नमक खाना - झगड़े में फँसना 
  9. नमकदानी देखना - गृहस्थी का सुख मिले
  10. नशे में स्वयं को देखना - धन वृद्धि हो पर परेशानियाँ भी बढ़े 
  11.  नर्गिस का फूल - पारिवारिक सुख मिले
  12. नदी नाले में गिरते देखना - अनेक संकट आने का संकेत 
  13. नाक कटा (नक्क्ता) मनुष्य देखना - धन तथा मान सम्मान बढ़े
  14. नक़ल करना - कार्य में असफलता मिले
  15. नक़ल करते देखना - यात्रा में रूकावट, काम बिगड़े 
  16. नक्शा बनाना - नयी योजनाएँ शुरू हों 
  17. नकसीर बहना - दिमाग़ी परेशानियाँ आएं 
  18. नकाब लगाना - गंभीर बीमारी आये 
  19. नट देखना - पारिवारिक सुख शान्ति मिले 
  20. नसवार सूंघना - मानसिक परेशानियां बढ़े
  21. नदी देखना - भविष्य सुखद हो 
  22. नदी में गिरना - संकट के बाद सुख मिले 
  23. नदी में स्नान करना - काम में सफलता मिले 
  24. नहर खोदना - कार्य सम्बन्धी योजनाये मिले 
  25. नंगा होना - विलासिता बढ़े 
  26. नदी, वृक्ष या पर्वत देखना - दुःख दूर हो, धन मिले
  27. नाटक देखना - भविष्य अनिश्चित हो 
  28. नाख़ून देखना - काम में परेशानी हो
  29. नाख़ून टूटना - सफलता देरी से मिले 
  30. नाक बहुत बड़ी देखना - मान सम्मान बढ़े, प्रमोशन हो 
  31. नाक से खून बहना - धन में वृद्धि हो
  32. नाटक देखना - गृहस्थी का सुख मिले 
  33. नाटक में भाग लेना - धोखा मिले 
  34. नारियल देखना - धन लाभ हो, अच्छा भोजन मिले 
  35. नाक पर चोट लगना - मान-सम्मान में हानि हो 
  36. नासूर देखना - बीमारी से छुटकारा मिले
  37. नापतोल करना - व्यापार में हानि 
  38. नाग के बिल में जाते देखना - धन संग्रह हो 
  39. नाग के बिल से बाहर आते देखना - धन हानि हो 
  40. नाग का डंक मारना - मान-सम्मान बड़े 
  41. नाग को घर में देखना - देखे गए स्थान की पवित्रता का संकेत
  42. नाग उठाये देखना - संपत्ति प्राप्ति का संकेत 
  43. नाना-नानी देखना - पारिवारिक सुख बढ़े 
  44. नाड़ा बंधना या टूटना - पारिवारिक क्लेश बढ़े 
  45. नल देखना - गहरा संकट आये 
  46. नाव देखना - गृहस्थी का सुख मिले 
  47. नाव में बैठना - अनेक संकट आये 
  48. नाई से हजामत बनवाना - धोखा मिले 
  49. नारियल देखना - शुभ संकेत, धार्मिक आयोजन हो 
  50. नाला देखना - कार्य में सफलता मिले 
  51. नाभि देखना - प्रगति तथा धन लाभ हो 
  52. निरादर देखना - मान-सम्मान बढ़े 
  53. निशाना लगाना - पुरानी इच्छा पूर्ण हो 
  54. नितम्ब देखना - गृहस्थी का सुख मिले 
  55. नीम का वृक्ष देखना - बीमारी दूर होना 
  56. नीलम देखना - शुभ समाचार मिले, दुश्मन परास्त हो
  57. नींद में सोना या नींद से उठना - धन लाभ हो 
  58. नीलकंठ देखना - मान सम्मान बढ़े, विवाह हो 
  59. नीम्बू काटना या निचोड़ना - धार्मिक कार्य हो 
  60. नुकीली चीज़ से चोट लगना - वाद-विवाद में फंसना 
  61. नुकीला जूता देखना - मान-सम्मान बढ़े 
  62. नेवला देखना - संकट समाप्त हो, स्वर्णाभूषण मिले
प   
  1. पहिया देखना - प्रगति तेज़ हो, यात्रा सफल हो    
  2. पहिया चलते देखना - कारोबार में उन्नति हो 
  3. परी देखना - सफलता मिले,स्वास्थ्य लाभ हो, मान-सम्मान और धन में वृद्धि हो
  4. पहाड़ देखना - शत्रु पर विजय हो 
  5. पहाड़ पर चढ़ना - मान-सम्मान और धन में वृद्धि हो
  6. पहाड़ से उतरना - व्यापार में मंदा हो
  7. पंप से पानी निकालना - व्यवसाय में रुकावट आये 
  8. प्रसाद बांटना - रोग काम हो, समृद्धि बढ़े
  9. परदेशी देखना - मनोकामना पूर्ण हो
  10. पटका बांधना - मान-सम्मान और धन में वृद्धि हो
  11. पटाखा देखना - ख़ुशी मिले
  12. पलंग देखना - अपमानित होना पड़े 
  13. पनघट सूना देखना - कहीं से निमंत्रण आये
  14. पनघट पर भीड़ देखना - परिवार में उत्सव हो 
  15. परिवार देखना - शुभ फल मिले
  16. पनीर खाना - धन वृद्धि हो 
  17. पपीता खाना - पेट ख़राब हो
  18. पहरेदार देखना - चोरी की सम्भावना
  19. पंजीरी खाना - बीमारी आने की सूचना
  20. परछाई देखना - अशुभ समाचार
  21. पगड़ी देखना - धन हानि हो
  22. पर्दा देखना (सफ़ेद) - मान-सम्मान में हानि
  23. पर्दा देखना (काला) - धन वृद्धि हो  
  24. पर्स देखना - गुप्त कार्य पूर्ण हो  
  25. पहिया देखना - धन हानि हो   
  26. पंडाल देखना - किसी बड़े उत्सव में शामिल होना  
  27. पत्तल देखना या उसमे खाना - शुभ लक्षण 
  28. पत्थर देखना या मारना - सरकार से लाभ हो
  29. पत्र लिखना - परेशानी हो 
  30. प्याज़ खाना या खिलाना - दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटे  
  31. प्रशंसा सुनना - अशुभ संकेत 
  32. प्रसाद बांटना - शुभ फल मिले 
  33. प्याऊ बनवाना - धन वृद्धि हो 
  34. परीक्षा में बैठना - कार्य में असफलता 
  35. पतंग उड़ाना - लम्बी यात्रा हो 
  36. पढ़ना या पढ़ाना - काम में सफलता 
  37. पकवान खाना या बनाना - दुखों में वृद्धि हो
  38. पूरी खाना - प्रसन्नता का समाचार मिलना 
  39. पालकी पर बैठना - स्वास्थ्य खराब हो 
  40. पालना देखना - पारिवारिक सुख मिले 
  41. पालना झुलाना - संतान के लिए कष्ट बढ़े 
  42. पार्सल लेना - अचानक लाभ मिले 
  43. पाताल देखना - मान-सम्मान बढ़े, प्रशंसा मिले 
  44. पाद मारना या अनुभव करना - व्यापार में लाभ हो, व्यावसायिक यात्रा 
  45. पार करना (तैरकर) - मान-सम्मान बढ़े
  46. पिटारा देखना - धन लाभ हो 
  47. पिंजरा देखना - स्वास्थ्य ख़राब हो 
  48. पिंजरा खाली देखना - धन वृद्धि हो 
  49. पिंजरे में पक्षी देखना - गृह क्लेश हो 
  50. पीपल देखना - शुभ सन्देश मिले
  51. पानी देखना - सुख समृद्धि बढ़े 
  52. पानी पीते देखना - धन वृद्धि हो 
  53. पॉलिश करना - नौकरी में तरक्की हो
  54. पान का वृक्ष देखना - संतान की समृद्धि हो 
  55. पीला रंग देखना - स्वास्थ्य ख़राब हो 
  56. पीठ देखना - मित्र से लाभ हो 
  57. पीतल के बर्तन देखना - धन लाभ हो, व्यापर बढ़े
  58. पीली सरसों देखना - सब प्रकार से शुभ हो 
  59. पुस्तक मिलना - मान सम्मान में वृद्धि हो
  60. पुस्तक खोना - मानहानि हो
  61. पुस्तकालय (लाइब्रेरी) देखना - समृद्धि बढ़े
  62. पुजारी बनना - जीवन में उन्नति हो 
  63. पुड़िया बंधना - शारीरिक कष्ट बढ़े 
  64. पुरस्कार मिलना - हानि हो
  65. पुल पार करना - धन लाभ हो
  66. पुल टूटते देखना - संकट से छुटकारा हो
  67. पूजा पाठ करना - सुख शान्ति तथा समृद्धि की सूचना, समस्याओं का अंत  
  68. पूर्वज देखना - शुभ स्वप्न, समृद्धि बढ़े 
  69. पूजा या प्रार्थना करना - मानसिक शांति मिले 
  70. प्रेम प्रस्ताव रखना - विवाह में विलम्ब हो 
  71. पेड़-पौधे देखना - कार्य में लाभ हो 
  72. पेटी खोलना - चोरी की सम्भावना 
  73. पेशाब करना - संकट दूर हो, धन प्राप्ति हो
  74. पेड़ा खाना - मुंह में रोग हो 
  75. पैर कटे देखना - शत्रु पर विजय हो 
  76. पैर खुजलाना - यात्रा शीघ्र हो 
  77. पैबंद लगाना - कष्ट के पूर्व सूचना 
  78. पैसा मिलना - मुफ्त का धन मिले 
  79. पेन-पेंसिल देखना - परीक्षा में उत्तीर्ण हों 
  80. पोछा लगाना - स्थान परिवर्तन हो 
  81. पोशाक पहनना - बीमारी आने का संकेत
  82. पलंग पर सोना - गौरव की प्राप्ति 
  83. पैर फ़िसल कर गिर जाना - अवनति होना 
फ    
  1. फलाहार करना - सुख समृद्धि बढ़े 
  2. फटे कपड़े देखना - धनहानि हो, चिंताएं बढ़े 
  3. फ़क़ीर देखना - काम में सफलता मिले 
  4. फरिश्ता देखना - मनोकामना पूर्ण हो 
  5. फंदा लगाना या देखना - मुसीबतों से छुटकारा मिले 
  6. फफोला फूटना -  मुसीबतें समाप्त हों 
  7. फ़व्वारा देखना -  सभी मुसीबतें दूर  हो, प्रसन्नता बढ़े 
  8. फ़ाटक  देखना -  मुक़द्द्मा समाप्त हो 
  9. फाटक पार करना -  सफलता मिले 
  10. फिटकरी देखना -  धन लाभ हो 
  11. फांसी लगाना -  जीवन में दिशा परिवर्तन हो
  12. फुलवारी देखना -  मनपसंद विवाह होना, ख़ुशी मिले 
  13. फुल्का खाते देखना - आर्थिक समृद्धि हो पर शोक समाचार मिले 
  14. फुलझड़ी छूटते देखना -  विवाह में सम्मिलित हो 
  15. फुहार पड़ते देखना -  धन समृद्धि बढ़े 
  16. फूलदान देखना -  मान सम्मान बढ़े 
  17. फूटी आँख देखना -  शारीरिक व आर्थिक कष्ट बढ़े 
  18. फूँक मारना -  सामाजिक कार्यों में मान-सम्मान बढ़े 
  19. फूल खिलते देखना - प्रसन्नता बढ़े, संतान हो
  20. फूल जलते देखना - प्रिय व्यक्ति की मृत्यु देखना 
  21. फल की गुठली देखना - शीघ्र धन लाभ के योग 

  1. बत्तख देखना (पानी में) - शुभ समाचार मिले 
  2. बत्तख देखना (जमीन पर) - धन हानि हो
  3. बंदर देखना - धन वृद्धि हो, अच्छा भोजन मिले 
  4. बटन लगाना - संकट आने की सूचना 
  5. बटन देखना - धन बढ़े
  6. बरसात देखना (शहर पर) - ख़ुशहाली बढ़े  
  7. बरसात देखना (अपने घर पर) - संकट आये  
  8. बरसात में छतरी लगा कर चलना -  संकट दूर हो 
  9. बकरी चुराना या खोना -  लड़ाई हो 
  10. बर्फ खाना - चिंताएं दूर हों 
  11. बर्फ गिरते देखना - आर्थिक समृद्धि हो 
  12. बनिए को दरवाज़े पर देखना - क़र्ज़ बढ़े 
  13. बटुआ देखना - धन लाभ हो, रोग दूर हो
  14. बनियान पहनना - धन बढे, सुख-शान्ति मिले 
  15. बगुला देखना - सफ़ेद देखने पर लाभ, काला देखने पर हानि हो 
  16. बधाई का सन्देश मिलना - दुःखद सूचना मिले
  17. बछिया देखना - शुभ समाचार मिले 
  18. बाल गिरते देखना - आर्थिक कष्ट बढ़े 
  19. बाजू काटना - अपमानित होना पढ़े 
  20. बाजू कटी देखना - शत्रु पर विजय मिले
  21. बाजु पर चोट लगाना - माता पिता के लिए अनिष्टकारक
  22. बांस देखना - लगातार उन्नति हो 
  23. बाज़ देखना - दुर्घटना में फंसना पढ़े
  24. बाज़ द्वारा झपट्टा मारना - पहाड़ से गिरने के लक्षण 
  25. बारात में जाना - अशुभ समाचार मिले 
  26. बाघ देखना - शत्रु पर विजय हो 
  27. बारहसिंघा देखना - दूर स्थान की यात्रा हो 
  28. बाढ़ देखना - संकटों से छुटकारा हो 
  29. बाढ़ में घिरना - वातावरण सुखद हो 
  30. बाढ़ में फंसे आदमियों को बचाना - गृह क्लेश बढ़े 
  31. बाढ़ में लोगों को डूबते देखना - लम्बी यात्रा हो 
  32. बादल बरसते देखना - पारिवारिक सुख-शान्ति या समृद्धि 
  33. बादल से बिजली गिरते देखना - अशुभ समाचार मिले 
  34. बादल को छुना - धन वृद्धि हो 
  35. बाज़ार में स्वयं घूमना - अच्छे समाचार मिले 
  36. बाज़ार देखना - धन हानि हो, व्यापर में घाटा हो 
  37. बाजीगरी देखना - षड़यंत्र में फसना पड़े 
  38. बादाम देखना - धन वृद्धि हो 
  39. बादाम खाना - स्वास्थ्य खराब हो, हॉस्पिटल में भर्ती होना 
  40. बादशाह देखना -  धन वृद्धि हो , मान-सम्मान बढ़े 
  41. बाल कटे देखना (सर के) - क़र्ज़ से छुटकारा मिले
  42. बाल कटे देखना - गृह क्लेश बढ़े
  43. बाल काले देखना (अपने सर के) - अधिक धन मिले 
  44. बाल सफ़ेद देखना (अपने सर के) - समाज में उच्च स्थान मिले
  45. बाल देखना (हथेली या तालुओं में) - क़र्ज़ में फंसनापड़े 
  46. बाल देखना (बगल के या नाभि के नीचे के) - अपमानित होना पड़े 
  47. बातें बहुत करना - काम में वृद्धि हो, मान-सम्मान बढ़े 
  48. बालू देखना - धन लाभ हो 
  49. बालू छानते देखना - आर्थिक परेशानी बढ़े 
  50. बिच्छू, साँप या भयानक जीव देखना - धन मिले 
  51. बौना देखना - शुभ समय नज़दीक है 
  52. बाइबिल देखना - ज्ञान में वृद्धि हो
  53. बैल देखना (मोटा) - अनाज सस्ता होगा 
  54. बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद मिलना - मान-सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होना 

  1. भंडार देखना - काफ़ी धन लाभ हो 
  2. भट्ठा देखना - भूमि तथा भवन में वृद्धि हो 
  3. भभूत लगाना - शीघ्र विवाह हो और गृहस्थी सुख मिले  
  4. भाई देखना - भाई की आयु वृद्धि हो तथा रोग दूर हो
  5. भाभी देखना - स्वयं को कष्ट  मिले,भतीजा जन्मे 
  6. भागते देखना -   कष्ट मिले, अच्छा समय आने वाला है 
  7. भांग का नशा करना -  अपमानित होना पड़े 
  8. भांड देखना -  लड़ाई-झगड़ा अथवा वाद-विवाद में फंसना पड़े
  9. भाला मारना - अपमानित होना पड़े
  10. भाला लेकर चलना -  शत्रु पर विजय हो 
  11. भाले के खेल का प्रदर्शन करना -  संकट या दुर्घटना आये
  12. भीड़ देखना या उसमे चलना - कार्य अधूरा हो  
  13. भीड़ को उग्र रूप में देखना - कार्य में सफलता मिले
  14. भीड़ का छटा देखना -  काफी लाभ मिले
  15. भीड़ का काटना -  दुःख आये 
  16. भिन्डी देखना - सुखों में वृद्धि हो, आलस्य बढ़े 
  17. भिखारी देखना -  कार्य के अच्छे परिणाम मिले
  18. भीख माँगना या देना -  पारिवारिक सुख-संपत्ति  बढ़े 
  19. भीगते देखना -  सुख-संपत्ति में वृद्धि हो
  20. भूचाल देखना -  तबाही आये, जनता पर संकट पड़े
  21. भूसा देखना -  पशुओं से लाभ मिले 
  22. भूमिगत देखना (स्वयं को) - भयंकर बीमारी आये या विपत्ति बढ़े
  23. भेड़िया देखना - विश्वासघात हो, ख़तरे की सूचना 
  24. भेड़  देखना (एक अकेले) - अशुभ हो 
  25. भेड़ देखना (समूह में) - लाभ हो  
  26. भैंस देखना - कष्ट मिटे, अच्छा भोजन मिले
  27. भैंसा देखना - अच्छा भोजन मिले

स्वप्न देखने के शुभाशुभ फल विचार ( म, य, र, ल, व, श, स और ह) - Dreams Interpretation


  1. मच्छर देखना - अपमानित होना पड़े  
  2. मछली देखना - गृहस्थी सुख मिले, घर में शुभ कार्य हो   
  3. मक्खी देखना - धन हानि हो 
  4. मधुमक्खी देखना - मित्रों से प्रेम बढ़ना 
  5. मकड़ी देखना - बहु अधिक मेहनत करनी पड़े 
  6. मकान बनते देखना - मान-सम्मान में वृद्धि हो
  7. मलाई खाना - धन वृद्धि हो 
  8. मंदिर या मस्जिद देखना - ख़ुशहाली बढ़े 
  9. मंदिर में पुजारी देखना - गृहक्लेश बढ़े
  10. मर जाना - धन वृद्धि हो 
  11. मखमल पर बैठना - लम्बी बीमारी आये
  12. मगरमच्छ देखना - शुभ समाचार मिले
  13. मंत्री देखना - मान-सम्मान में वृद्धि हो
  14. माला (पूजा वाली) देखना - शुभ समय आने का संकेत 
  15. माला (फूलों की) पहनाना - मान-सम्मान में वृद्धि हो
  16. मातम करना - ख़ुशहाली बढ़े
  17. माली देखना - घर में समृद्धि बढ़े 
  18. मिर्च खाना - काम में सफलता मिले
  19. मिर्गी से पीड़ित होना या देखना - बुद्धितेज़ हो
  20. मिठाई खाना या बांटना - बिगड़े काम बने
  21. मीठ खाना - मनोकामना पूर्ण हो
  22. मुर्दा उठा कर ले जाते देखना - बिना कमाया माल मिले
  23. मुर्दे को जिन्दा देखना - चिंता दूर हो
  24. मुर्दा शरीर से आवाज़ आना - बना काम बिगड़ जाना
  25. मुर्दों का समूह देखना - गलत संगत में काम करना पड़े
  26. मुर्दे को नहलाना - धन वृद्धि हो
  27. मुर्दे को कुछ देना - शुभ समाचार
  28. मुर्दे के साथ खाना - अच्छा समय आये 
  29. मुर्गा देखना - विदेश व्यापर बढ़े
  30. मुर्गी देखना - गृहस्थी का सुख मिले
  31. मोहर लगाना -  धन वृद्धि हो 
  32. मुरझाये फूल देखना -  संतान को कष्ट हो 
  33. मुंडन करवाना या होते देखना - गृहस्थी का तनाव दूर हो  
  34. मुहर्रम देखना - कारोबार में उन्नति हो  
  35. मूंगा पहनना या देखना - कारोबार में उन्नति हो
  36. मूंग, मसूर या मोठ देखना - अनेक परेशानी हो 
  37. मोची देखना - यात्रा लाभदायक हो 
  38. मोम देखना - झगडे या विवाद में समझौता हो 
  39. मैना को देखना - उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति 
  40. मोर देखना - शोक हो 
  41. मोर नाचते देखना - शुभ समाचार मिले 
  42. मोर-मोरनी देखना - दांपत्य सुख में वृद्धि हो 
  43. मोमबत्ती देखना - विवाह हो 
  44. मोजा पहनना - पति-पत्नी में प्रेम बढ़े
  45. मांस देखना - आकस्मिक लाभ 
  46. मांस खाते हुए देखना - चोट लगना 
  47. मांग भरते देखना - कोई शुभ कार्य होना 
  48. मैथुन करना (स्त्री से) - धन की प्राप्ति  
य    
  1. यंत्र बनाना या देखना - अशुभ फल हो 
  2. यज्ञ करना या देखना - धन वृद्धि हो 
  3. यमराज देखना -  बीमारी दूर हो 
  4. योजना बनाना -अशुभ फल 
  5. योगासन करना -शुभ फल 
र    
  1. रजाई ओढ़ना - धन मिले    
  2. रजाई नई बनवाना - स्थान परिवर्तन हो  
  3. रजाई फटी-पुरानी देखना - शुभ कार्यों के लिए निमंत्रण हो
  4. रस्सी लपेटना -  सफलता मिले
  5. रथ देखना - यात्रा करनी पड़े 
  6. रसभरी खाना - विवाह हो
  7. रसगुल्ला खाना - धन वृद्धि हो 
  8. रद्दी देखना - रुका हुआ धन मिले
  9. रंग करना - संबंधित वस्तु की हानि हो 
  10. रक्षा करना - मान-सम्मान में वृद्धि हो
  11. रफू करना -  नए वस्त्रों या आभूषणों की प्राप्ति हो
  12. रक्षा बंधन देखना - धन वृद्धि हो 
  13. रसोई घर गन्दा देखना - अच्छा भोजन मिले 
  14. रसोई घर स्वछ देखना - धन का संकट आये 
  15. रास्ता देखना (साफ़) - तरक्की मिले
  16. रास्ता देखना (टेड़ा मेड़ा) - परेशानी हो 
  17. राख देखना - धन नाश हो
  18. रॉकेट देखना - धन संपत्ति में वृद्धि हो 
  19. रात देखना - परेशानी आये 
  20. राड़ देखना - काम में रूकावट आये 
  21. राक्षस देखना - संकट आये 
  22. रामलीला देखना - सुख-सौभाग्य में वृद्धि 
  23. रिश्वत लेना - सावधान रहे  
  24. रिवाल्वर चलाना - शत्रुता समाप्त हो  
  25. रिक्शा देखना या उसमे बैठना - प्रसन्नता बढ़े  
  26. रेलवे स्टेशन देखना - लाभदायक यात्रा हो  
  27. रेल देखना/रेल में चढ़ते देखना  - कष्टदायक यात्रा हो 
  28. रेडियो बजता देखना - प्रगति में रुकावट हो
  29. रेफ्रीजिरेटर देखना - आर्थिक लाभ हो 
  30. रेगिस्तान देखना - धन-सम्पदा में वृद्धि
  31. रोजा रखना - आर्थिक संकट आने का संकेत
  32. रोना - मान-सम्मान में वृद्धि हो 
  33. रोशनदान से देखना - विदेश से धन प्राप्ति हो 
  34. रोटी खाना या पकाना - बीमारी आने का संकेत
  35. रोटी बांटना - धन लाभ हो 
  36. रोटी  फैंकना या गिरी हुई देखना - देश में मन न लगे, विदेश की यात्रा शीघ्र हो 
  37. रत्न देखना (फ़िरोजा)- शत्रुओं पर विजय हो

  1. लंगर खाना या देखना -  धन वृद्धि हो, व्यवसाय में तेज़ी आये 
  2. लंगूर देखना - शुभ समाचार मिले 
  3. लंगोटी देखना - आर्थिक कठिनाईयां बढ़े
  4. लकीर खींचना - गृह क्लेश बढ़े, अनावश्यक झगडे हों 
  5. लटकना या लटकते हुए देखना - सोचा हुआ कार्य शीघ्र बने, आर्थिक समृद्धि बढ़े 
  6. लड़का गोद में देखना (अपना) - धन  वृद्धि हो, व्यवसाय में तेज़ी आये  
  7. लड़का गोद में देखना (अनजान)  - परेशानी बढ़े , घर में क्लेश हो  
  8. लड़ना (विद्रोहियों के साथ) - देश तथा समाज में अशांति फैले 
  9. लगाम देखना -  मान-सम्मान बढ़े, धन वृद्धि हो
  10. लक्ष्मी का चित्र देखना - धन तथा सुख-सौभाग्य की वृद्धि हो
  11. लहसुन देखना - धन  वृद्धि हो परन्तु अन्न व सब्जी के व्यापर में हानि हो
  12. लकडबग्घा देखना - नयी मुसीबतें आने का संकेत
  13. लपटें देखना (आग की)  -  परिवार में शान्ति बढ़े , झगड़ा खत्म हो 
  14. लालटेन जलाना - चलते हुए काम में रोड़ा अटके 
  15. लालटेन बुझाना - अनेक समस्याएँ स्वयं निपट जाएं  
  16. लाट या मीनार देखना - आयु वृद्धि हो, सुख-शान्ति बढ़े 
  17. लाठी देखना - सुख शान्ति में वृद्धि हो, अच्छे सहयोगी मिलें 
  18. लाल टीका देखना - सत्संग से लाभ हो, कार्यों में सफलता मिले 
  19. लाल वस्त्र देखना - धन नाश हो, खतरा बढ़े
  20. लाल आकाश में देखना - लड़ाई झगड़ा व आतंक में वृद्धि, धन तथा देश की  हानि हो 
  21. लिबास (अपने कपड़े) सफ़ेद देखना - सुख, शान्ति तथा समृद्धि में वृद्धि हो 
  22. लिबास (अपने कपड़े) हरे देखना - धन-दौलत बढ़े, स्वास्थ्य अच्छा हो
  23. लिबास (अपने कपड़े) पीले देखना -स्वास्थ्य में खराबी आये, चोरी हो 
  24. लिबास (अपने कपड़े) मैले देखना - धन हानि हो, खराब समय आने वाला है 
  25. लिफाफा खोलना - समाज में मानहानि हो, गुप्त बातें सामने आयें 
  26. लोहा देखना - काफी मेहनत के बाद सफलता मिले
  27. लोहार देखना - मान-सम्मान बढ़े , शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो
  28. लोभिया खाना - धन तथा व्यवसाय में वृद्धि हो 
  29. लौकी देखना या खाना - शुभ समाचार मिले, धन वृद्धि हो, नौकरी में पदोन्नति हो 

  1. वकील देखना - कठिनाई बढ़े , झगड़ा हो, वजीफ़ा पाना 
  2. विदाई समारोह देखना - धन सम्पदा में वृद्धि 
श   
  1. शिशु को चलते देखना - रुके हुए धन की प्राप्ति होना 
स  
  1. सर्प पकड़ना - सफलता प्राप्त होना 
  2. स्वस्तिक दिखाई देना - धन लाभ होना 
  3. स्वर्ग देखना - भौतिक सुखों में वृद्धि 
  4. स्वयं की मृत्यु देखना - भयंकर रोग से मुक्ति 
  5. सिर के  बाल कटे देखना - क़र्ज़ से छुटकारा 
  6. स्वयं को हँसते हुए देखना - किसी से विवाद होना 
  7. स्वयं को बीमार देखना - जीवन में कष्ट 
  8. स्वयं को रोते हुए देखना - प्रसन्नता प्राप्त होना 
  9. स्वयं के बाल सफ़ेद देखना - आयु बढ़ेगी 
  10. स्वयं के हाथ कटे देखना - किसी निकट परिजन की मृत्यु का समाचार मिलना 
  11. सूखा हुआ बग़ीचा देखना - बड़ा भारी कष्ट होना
  12. सूखा हुआ जंगल देखना - किसी कारण से परेशानी आना  
  13. सुराही देखना - बुरी संगत से नुकसान होना 
  14. सफ़ेद बिल्ली देखना - धन की हानि होना 
  15. स्वयं को दिवालिया घोषित करना - व्यवसाय चौपट होना 
  16. सोना मिलना - धन की हानि 
  17. सूखा अन्न खाना - परेशानी बढ़ना 
  18. सूअर देखना - शत्रुता और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या 
ह  
  1. हवा में उड़ते देखना - यात्रा होना  
  2. हाथ-पैर धोते हुए देखना - सारी चिंताएं मिटना 
  3. हरा-भरा जंगल देखना - प्रसन्नता मिलेगी 

Sunday, September 28, 2014

विशिष्ट ग्रह योग

किसी भी ग्रह की या ग्रहों की विशेष प्रकार की स्थिति को ज्योतिष में योग कहा जाता है। योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ या मिलना होता है। इन योगों में भी ग्रह की स्थान विशेषगत राशि से युति या योग होता है। योग में निर्दिष्ट ग्रह उस स्थिति में हो तो योग का फल मिलता है यदि निर्दिष्ट ग्रह ग्रहान्तर से युक्त है तो योग नहीं बनता। हाँ, उसके साथ मित्र या अनुकूल शुभ ग्रह रहता  उतना बाधित नहीं होता। 

सारे योगों - जिनमे यवनाचार्यों एवं विदेशियों द्वारा बताये गए योगों की संख्या तो बहुत बड़ी है किन्तु यहाँ हम जिन योगों की चर्चा करेंगे वे अत्यंत प्रसिद्ध है तथा ज्योतिष में रुचि रखने वालों को उनका ज्ञान होना ही चाहिए।

यवनादिक पूर्वाचार्यों ने नाभस नाम के १८०० योग विस्तारपूर्वक वर्णन किये हैं उसमें से जो मुख्य ३२ योग हैं जिनमें सचराचर जगत के लोगों का प्रसव होता है वे ३२ योग नौका, कुट , छत्र , चाप, अर्धचन्द्र, वज्र, यव, कमल, वापी, शकट, पक्षि, गदा, श्रृंगाटक, हल, चक्र, समुद्र, यूप, शर, शक्ति, दण्ड , माला, सर्प, रज्जू , मूसल, नल, गोल, युग, शूल, केदार, पाश, दामिनी, वीणा हैं।

इन योगों के चार भेद कर लेते हैं जिनकी संज्ञा - आकृतिआश्रय, दल एवं संख्या के नाम से की जाती है। आकृति वर्ग में आने वाले योग ठीक उसी पद्धति पर तारामंडल का मेष, वृष, मिथुन आदि नामों से वर्गीकरण किया गया है। नामों की सार्थकता देखते हुए इनसे आगे के योग भी अपना स्वतंत्र अर्थ देते हैं किन्तु उनकी गुणात्मकता में परिवर्तन हो जाता है।

आकृति वर्ग  में आने वाले योग
नौका, कूट, छत्र, चाप, अर्धचन्द्र, वज्र, यव, कमल, वापी, शकट, पक्षी,  गदा, हल, श्रृंगाटक, चक्र, समुद्र, यूप, शर, शक्ति, दण्ड  - बीस आकृति नाम की संज्ञा के हैं। इन योगों में जन्म लेने वाले पुरुष विशेष कर सुखी, भाग्यवान्, नृप वल्लभ धनवान आनन्द भोगने वाले होते हैं। ये योग जिस व्यक्ति की कुंडली में बनते हैं, वह आनंदी प्रकृति का, सांसारिक सुख व ऐश्वर्य का उपभोक्ता, राजपूजित व प्रसिद्ध व्यक्ति होता है।

दल वर्ग में आने वाले योग
माला और सर्प दोनों योग फल संज्ञक हैं। इन योगों में जन्म लेने वाले व्यक्ति जीवन की धूप-छाँव में कभी सुख तो कभी दुःख का अनुभव करते हैं, कभी संगति, संबंध या अन्य आधारों के कारण दूसरों के भाग्य संपन्नता का उनके दुःखों  का उपभोग करते हैं कभी स्वार्जित सुखों और विषमताओं का अुनभव करते हैं।

आश्रय वर्ग में आने वाले योग
रज्जू, मूसल और नल नाम के तीन योगों में जन्म लेने वाले व्यक्ति भाग्यवान्, प्रसिद्ध, सुखी, धनिक, उदार तथा राज एवं समाज में सम्मानित होता है।

संख्या वर्ग में आने वाले योग 
गोल, युग, शूल, केदार पाश, दामिनी, वीणा नाम के सात योग व्यक्ति को परोपजीवी बनाते हैं। इन योगों में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने स्वार्जित या स्वकृत पुण्यों का फल स्वतंत्र रूप से नहीं भोगता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे व्यक्ति यथासंभव सुख-सुविधाओं का उपभोग करते हैं किन्तु दूसरे के यहाँ और पराश्रित होकर ही (पर पुरुषों की सेवाचाकरी करने वाले होते हैं) जैसे कोई घोड़ा किसी करोड़पति के अस्तबल में रहकर सब सुखों को प्राप्त करता है।

आगे इसी वर्गीकरण के आधार पर ही इन योगों की विस्तार से चर्चा की जाएगी। ध्यान रखने योग्य बात है कि इन योगों में राहु केतु नहीं गिने जाते हैं। योग कर्त्ता ग्रह अन्य ग्रह से युत हो जावे तो योग का फल नहीं होता है।

आकृति वर्ग  में आने वाले योग (विस्तार से) 
  1. नौका योग - लग्न को आदि ले सात स्थान १, २, ३, ४, ५, ६, ७ में क्रम से सर्व ग्रह गये हों तो नौका नाम का योग होता है। यह योग जिसके जन्म समय में होता है वह जल के संबंध से जल मार्ग के संबंध से उपजीवीका करने वाला (जहाज नाव आदि के द्वारा जल मार्ग से व्यापार करने वाला) तथा सोडा वाटर, दवाई, मद्य आदि पानी के समान तरल पदार्थों का विक्रेता, ऐश्वर्यवान्, उद्योगी, हँसमुख, मान प्रतिष्ठा वाला बलवान, कृपण और लोभी होता है। 
  2. कूट योग - सप्तम स्थान से सात स्थान में अनुक्रम से ७,८,९,१०,११, १२,१ सर्वग्रह गये हों तो कूट योग होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है वह क्रूर, झूठा, पाखण्डी, चालाक, जंगली और पहाड़ों की ख़ाक छानने वाला, कारावास भोगने वाला होता है। कोई आश्चर्य नहीं यदि यह चोर या डाकू हो।
  3.  छत्र योग -  चौथे स्थान से दसवें स्थान तक के सात स्थानों में ही सारे ग्रह रहें तो छत्र योग होता है। इस योग वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है होता है। बचपन और वृद्धावस्था परम उत्कृष्ट और सुखकर रहती है। वैभव सम्पन्न, उदार हृदय, बलिष्ठ शरीर, दयावान, राज्य शासन से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। 
  4. चाप योग - दशम स्थान से चौथे स्थान तक के (१०, ११, १२, १, २, ३, ४) सात स्थानों में सारे ग्रह स्थित हों तो चाप योग बनता है। चाप योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति लूटेरे, ठग  धूर्त किस्म के होते हैं। क्रूरता, असत्य और निर्धनता उनके स्वभाव में रहती है। समाज में उनका कोई महत्व नहीं होता, इसलिए एकान्त स्थानों में अपने जैसे अपराधी वृत्ति के लोगों के बीच रहते है। 
  5. अर्धचन्द्र योग - केंद्र स्थानों को छोड़कर शेष स्थानों (२,३,५,६,८,९,११,१२) में से पाँच स्थानों में ही क्रमशः सारे ग्रह जायें तो अर्धचन्द्र नाम का योग होता है।   यह योग ८ प्रकार का होता है।  दूसरे भाव से आठवें भाव तक सर्व ग्रह जायें तो पहला,  ऐसे ही तीसरे भाव से नौवें भाव तक २, पांचवें भाव से ग्यारहवें भाव तक ३, छठे भाव से बारहवें भाव तक  ४, आठवें भाव से दूसरे भाव तक ५, नववें भाव से तीसरे भाव तक ६, ग्यारहवें भाव से पाँचवें स्थान तक ७, और बारहवें भाव से छठे भाव तक सर्व ग्रह जायें तो आठवें प्रकार का योग होता है। यह योग जिनके जन्म समय में होता है वह सुन्दर, बलिष्ठ, भाग्यवान्, राज्यपक्ष के विश्वस्त, सुखी तथा धनी होते हैं। 
  6. वज्र योग - लग्न व सप्तम (१-७) इन दोनों स्थानों में सर्व शुभ ग्रह और चतुर्थ व दशम (४-१०) स्थान में सर्व पाप ग्रह गए हो तो वज्र नाम का  होता है।  यह योग जिसके होता है वह पूर्व और अंत्य वय में सुखी, भाग्यवान,  शूर, निरोगी, मध्य वय में निर्धन और दुष्टों से विरुद्ध रहने वाला होता है।
  7. यव योग - लग्न व सप्तम स्थान में सर्व पापग्रह और चतुर्थ व दशम स्थान में सर्व शुभ ग्रह गए हों तो यव नाम का योग होता है। यह योग जिसके होता है वह जप टप व्रत नियम में प्रीति रखने वाला मध्य वय में पुत्र, धनादि सुख युत दाता और स्थिर चित्त वाला  शुद्ध पुरुष होता है। 
  8. कमल योग - लग्न, सप्तम और चतुर्थ दशम इन चारों स्थानों शुभ व पाप मिश्र ग्रह गये हो तो कमल नाम का योग बनता है। यह योग जिसके होता है वह विख्यात यश कीर्तिवान गुणी दीर्घायु सुन्दर रूपवान शुभकार्य कर्त्ता राजा या राजा के समान अत्यंत सुखी पुरूष होता है। 
  9. वापी योग - पणफर और आपोक्लिम स्थान २, ५, ११, ३, ६,९, १२ में  ही सर्व ग्रह गए हों तो वापी योग होता है। यह योग जिसके होता है वह धन संपादन करने में चतुर, अचल धनवान, सुतृप्त, विभव भोक्ता, आनंदी स्वभाव का, सुखी अन्नदाता और नाती के सुख से सदा प्रसन्न रहने वाला होता है। 
  10. शकट योग - लग्न और सप्तम इन दो केंद्र स्थान में ही सर्वग्रह गये हों तो शकट नाम का योग होता है।  यह  योग जिसके होता है वह रोगी स्त्री से दुखी (दुष्ट स्त्री वाला) मूर्ख गाड़ी के धंधे से जीविका चलाने वाला धनहीन और कुटुंब व मित्रों से रहित होता है। 
  11. पक्षी योग - चतुर्थ दशम (४, १०) इन दो केंद्र स्थान में ही सर्व ग्रह गए हों तो पक्षी नाम का योग बनता है। यह योग जिसके होता है वह सदैव फिरने वाला मुर्ख, निकृष्ट वृत्ति से जीविका चलाने वाला  दूत (चपरासी, हलकारा, सिपाही किवा वकील वगैरा) का काम करने वाला हास्य मुख कलह प्रिय (लड़ाई का शौकीन) होता है। 
  12. गदा योग - किसी भी एक के आगे के दूसरे ऐसे दो केन्द्र स्थान में सर्वग्रह गए हों तो ४ प्रकार का गदा योग होता है। जैसे प्रथम और चतुर्थ स्थान में सर्वग्रह गए हों तो प्रथम चौथे और सातवें स्थान में सर्वग्रह गए हों तो  दूसरे सातवें और दशम स्थान में सर्वग्रह गए हों तो तीसरे दशम और लग्न में सर्वग्रह गए हों तो चौथा गदा योग होता है। यह योग जिसके होता है वह प्रतिदिन उद्योग धंधा करने वाला होने से धनवान होता है तथा यज्ञ कर्त्ता शास्त्रज्ञ गायन कला में निपुण धनरत्न ऐश्वर्यादि समृद्धि संपन्न होता है। 
  13. श्रृंगाटक योग - लग्न के बिना अन्य स्थानों में गये हुये संपूर्ण ग्रह परस्पर नवम पंचम में गये हों तो श्रृंगाटक नाम का योग बनता है। यह योग तीन प्रकार का होता है। २, ६, १० में सभी ग्रह गयें हो तो प्रथम ३, ७, ११ वें स्थान में सर्व ग्रह जायें तो दूसरे और ४, ८, १२ स्थान में ही सर्वग्रह जायें तो तीसरे प्रकार का होता है।  इस योग में जो जन्मता है वह कलह प्रेमी युद्धाभिलाषी निरन्तर सुखी नृपप्रिय सुरूपवान धनवान पर स्त्री का द्वेषी होता है। 
  14. हल योग - लग्न, नवम, पंचम (१, ५, ९) इन तीनों स्थानों में ही सर्वग्रह गयें हों तो हल योग होता है।  इस योग में जो जन्मते हैं वह बहुभोजी, दरिद्री कृषिकर्म कर्त्ता दुःखी उदासीन रहने वाला, स्वजन बंधुओं से परित्यक्त और दूत का काम करने वाला होता है। 
  15. चक्र योग - लग्न को आदि लेकर एक-एक राशी के अंतर से १, ३, ५, ७, ९, ११ इन छः स्थानों में ही सर्वग्रह गये हों तो चक्र नाम का योग बनता है। यह योग जिसके जन्म काल में होता है वह महाराजाधिराज (बड़ा राजा) यशस्वी सर्व संपत्तिवान होता है। 
  16. समुद्र योग -  धन भाव को आदि लेकर एक-एक राशी के अंतर से २, ४, ६, ८, १०, १२ इन छः स्थानों में ही सर्व ग्रह गये हों तो समुद्र नाम का योग होता है। यह योग जिन जातकों में होता है वह बहुत बड़ा धन रत्नादि समृद्धशाली स्त्रियों का प्यार परन्तु पुत्रहीन स्थिर चित्त का श्रेष्ठ स्वभाव वाला होता है। 
  17. यूप योग - लग्न, द्वित्य, तृतीय और चतुर्थ (१, २, ३, ४) इन चारों स्थानों में ही सभी ग्रह गए हों तो यूप योग होता है। इस योग में जन्म पाने वाला ज्ञानी आत्मवेत्ता यज्ञादि सत्कर्म कर्त्ता त्यागी सत्यवादी सुखी व्रत नियम जप तप मंत्र निरत और दाता पुरुष होता है। 
  18. शर योग - चतुर्थ, पंचम, षष्टम और सप्तम (४, ५, ६, ७) इन चारों स्थानों में ही सभी ग्रह गए हों तो शर योग होता है। इसमें जन्म पाने वाला चोर व्याघ (पशु पक्षी हिंसक पारधी) मांसाहारी दुष्ट स्वभाव का होता है। 
  19. शक्ति योग - सप्तम, अष्टम, नवम, दशम (७, ८, ९, १०)  इन स्थानो में ही सभी ग्रह हों तो शक्ति योग होता है। इस शक्ति योग में जन्म पाने वाला जातक, धनहीन उन्मत्त दुःखी नीच आलसी दीर्घायु युद्ध प्रेमी और भाग्यवान होता है। 
  20. दंड योग - दशम एकादशम द्वादशम व लग्न (१०,११, १२, १) इन चार स्थानों में ही सर्वग्रह गये हों तो दंड योग बनता है। यह जिनके जन्म काल में होता है वह विपरीत स्वाभाव का, कठोर मन का धनहीन विलल्ज दुःखी अच्छे पुरुष जिससे घृणा करें वैसा नीच और दुष्ट वृत्ति से पेट भरने वाला होता है। 
दल वर्ग में आने वाले योग (विस्तार से)
  1. स्रक् (माला) योग - केंद्र स्थान (१, ४, ७, १०) में सर्व ग्रह गये हों तो स्रक् नाम का योग होता है। यह योग जिसके होता है वह सदा सुखी वाहन वस्त्र धन सुख से युत आनंदी और अनेक स्त्रियों का सुख भोगने वाला होता है।
  2. सर्प योग - केंद्र स्थान (१, ४, ७, १०) में सर्व पाप ग्रह गये हों तो सर्प नाम का योग होता है। यह योग जिसके होता है वह दुष्ट स्वभाव का अस्थिर प्रकृति का सदा दुःखी क्रोधी दीन दूसरों के घर का टुकड़ा खा कर निर्वाह करने वाला भिखारी नर होता है। 
आश्रय वर्ग में आने वाले योग (विस्तार से)
  1. रज्जू योग - स्थिर राशि २, ५, ८, ११ में ही सर्वग्रह गये हों तो रज्जू योग होता है। इस योग में जो जन्मता है वह अधम पुरुषों से प्रीति करने वाला सुरुपवान परदेस में धन प्राप्त करने वाला क्रोधी दुष्ट स्वभाव का मनुष्य होता है। 
  2. मूसल योग - चर राशि १, ४, ७, १० में ही सर्व ग्रह गये हों तो मूसल योग होता है। यह योग जिसके जन्म में हो वह मान मर्यादा को पहचानने वाला उद्योगी राजा की कृपा संपादन कर्त्ता प्रसिद्ध धनवान और बहुत नौकर चाकर व पुत्रों वाला दृढ़मानी होता है। 
  3. नल योग - द्विस्वभाव राशि ३, ६, ९, १२ में ही सभी ग्रह गये हों तो नल नाम का योग बनता है। यह योग जिस जातक की जन्मकुंडली में होता है वह बड़ा कपटी दुर्बल देह का क्रूर धन संग्रह कर्त्ता बड़ा चतुर कुटुम्बियों से प्रेम रखने वाला सुन्दर रूपवान होता है। 
संख्या वर्ग में आने वाले योग  (विस्तार से) 
  1. गोल योग - एक ही स्थान में सर्वग्रह गये हो तो गोल नाम का योग होता है। इस योग में जो जन्म पाता है वह बलवान निर्धन विद्या और मान प्रतिष्ठा से रहित मलिन दीन सदा दुःखी पुरुष होता है। 
  2. युग योग - किन्ही दो स्थानों में ही सर्वग्रह गए हों तो गोल नाम का योग बनता है। इस योग में जिसका जन्म होता है वह पाखण्डी निर्धन जाति से बहिष्कृत भिखारी सुत मान धर्मादि रहित होता है। 
  3. शूल योग -  तीन स्थानों पर सभी ग्रह गए हो तो शूल योग होता है। इस योग में जो जन्मता है वह महाक्रोधी धनहीन, हिंसक शरीर में जख्म लगा हुआ बड़ा शूरवीर और युद्धाभिलाषी होता है। 
  4. केदार योग - चार स्थानों में ही सभी ग्रह गए हों तो केदार नाम का योग बनता है। जिस जातक के यह योग होता है वह खेती के काम में बलवान बहुत मनुष्यों का पालनकर्ता निरालसी धनवान् श्रेष्ठ भाग्यवान् सत्यवादी और बंधुओं पर उपकार करने वाला होता है। 
  5. पाश योग - पाँच स्थानों में ही सभी ग्रह गए हों तो पाश नाम का योग बनता है। यह योग जिसके जन्म काल में होता है वह बंधन पाने वाला प्रपंची बहुत नौकरी वाला साहसी धन प्राप्त करने में चतुर अच्छा वक्ता और पुत्रवान होता है। 
  6. दामिनी योग - छः  स्थानों में ही सभी ग्रह गए हों तो दामिनी योग बनता है। जो इस योग में जन्मते हैं वे पुरूष परोपकारी बहु पशुवान धीर पुत्रवान् सुवर्णरत्ना भारणादियुत प्रख्यात विद्वान व धनवान सुज्ञ पुरूष होता है। 
  7. वीणा योग - सात स्थानों में ही सभी ग्रह गये हों तो वीणा योग होता है। इस योग में जन्मता है वह सुखी धनवान नेता पुरुष बहु भृत्ययुत न्याय मार्ग का ज्ञाता सर्व कर्म में चतुर गीतप्रिय व नृत्य प्रिया होता है। 
ये योग सर्व काल में फल देने वाले होते हैं। 

संत्तान सुख बाधाकारक योग

मंगल एवं गुरु को विशेष रूप से संतान कारक ग्रह माना गया है। पंचम भाव, पंचमेश ग्रह एवं गुरु का जन्म कुंडली में स्थान आदि से संतान संबंधी विशेष योग आदि का निर्णय किया जाता है। 
  1. सूर्य पंचम भाव में नीच तुला राशि का हो तथा नवमांश कुंडली में सूर्य शनि की राशि का हो, अथवा सूर्य  अष्टम  भाव में, शनि पंचम में तथा पंचमेश राहु से युक्त हो, पंचम भाव में राहु शनि आदि सूर्य के साथ हो तो पितृ श्राप के दोष के कारण सन्तान सुख में कमी आती है। 
  2. सूर्य गुरु एवं  पंचमेश राहु, शनि, केतु आदि पाप ग्रहों से युक्त हो।
  3. पंचमेश, पंचम या नवम भाव में चन्द्रमा राहु, शनि या मंगल आदि पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो। 
  4. पंचम भाव में राहु हो और पंचमेश को दूषित करता हो तो सर्प के श्राप का प्रभाव समझे। 
  5. यदि केतु के कारण संतान सुख में कमी हो तो ब्राह्मण का श्राप समझे। 

Monday, May 5, 2014

शुभ कार्यों में चन्द्रबल एवं ताराबल

चंद्रबल

अपनी जन्म राशि से १, ३, ६, ७, १०, ११ वीं राशि का चन्द्र शुभ होता है। इसके अलावा शुक्ल पक्ष मे २, ५, ९वीं राशि का भी चन्द्र शुभ होता है। 

ताराबल 

जन्म-नक्षत्र से इष्टकालीन नक्षत्र तक की संख्या को ९ से भाग दें, शेष १, २, ३, ४, ६, ८, ०  रहे तो तारा बल प्राप्त होता है। ३, ५, ७, शेष रहे तो तारा बल नही मिलता। 

शुक्लपक्ष में चन्द्र-बल, कृष्ण पक्ष में तारा-बल लेना चहिये।

Thursday, March 27, 2014

भाव परिचय

जन्मकुण्डली में बनने वाले कोष्ठकों को भाव कहा जाता है। कुण्डली में बारह कोष्ठक अर्थात् भाव होते हैं। इन कोष्ठकों को भाव, भवन, स्थान तो कहते ही हैं, साथ ही इनसे विचार करने वाले विषयों के नाम पर भी इनका नामकरण कर दिया जाता है। जैसे प्रथम भाव को लग्न, तनु, उदय या जन्म, द्वित्तीय भाव को धन, कुटुम्ब या कोश, तीसरे भाव को सहज, पराक्रम आदि भी कहते हैं। 

भाव के अधिपति ग्रह को भावेश कहते हैं। जब हम आयेश कहेंगे तो ग्यारहवें स्थान पर जो राशि है उसका स्वामी आयेश होगा। मान लें कि ग्यारहवें स्थान पर सिंह राशि का अधिपति सूर्य है तो यहाँ आयेश का अर्थ सूर्य होगा। 

भावों के सामूहिक नाम भी हैं-जैसे केन्द्र, पणफर, आपोक्लिम और त्रिकोण आदि। प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को 'केन्द्र' कहा जाता है। दूसरे, पांचवें, आठवें और ग्यारहवें स्थान को 'पणफर' कहते हैं।  तीसरे, छठे, नवें और बारहवें भाव को 'आपोक्लिम' कहते हैं तथा प्रथम, पंचम और नवम भाव को 'त्रिकोण' कहते हैं। तीसरे, छठे और दसवें भाव को 'उपचय', छठे, आठवें, व बारहवें भाव को 'त्रिक', दूसरे व आठवें भाव को 'मारक' तथा तीसरे, छठे व ग्यारहवें भाव को 'त्रिषडाय' कहते हैं। 

भाव स्पष्ट करने की जो प्रचलित रीति है उसके अनुसार लग्न से दशम भाव को स्पष्ट किया जाता है। दशम भाव में छः राशि जोड़ने से चतुर्थ भाव स्पष्ट हो जाता है। चतुर्थ में से लग्न को घटा कर उसे छः से भाग देने पर जो षष्ठांश आये, उसे लग्न में जोड़ने पर प्रथम भाव को सन्धि, सन्धि में पुनः षष्ठांश जोड़ने पर द्वित्तीय भाव, द्वितीय भाव में षष्ठांश x २ को जोड़ने से तीसरा भाव तथा तथा पांचवां और छठा भाव स्पष्ट करने के लिए तीस अंशों में से षष्ठांश को घटाकर जो शेष बचता है, उसे जोड़ते हैं। भाव स्पष्ट करने की यही रीति आज भी प्रचलित है। इस रीति से कोई भी भाव समान अंशों (३० अंश) में नहीं आता, जबकि प्रत्येक भाव को समान अंश का होना चाहिए। दूसरी बात यह है कि कोई भी ग्रह, जो कुंडली में चौथे भाव का अधिपति होता है, भाव स्पष्ट करने में वह पांचवे या तीसरे भाव का अधिपति बन जाता है।

इसलिए आज भाव स्पष्ट करने की जो परिपाटी चल रही है, वह ठीक नहीं है। भारत में इस रीति का प्रचार अरब और मिस्र आदि देशों से हुआ। फलित विकास के लेखक स्वर्गीय पं. रामचरन ओझा ने लिखा है कि भाव साधन की जो पद्धति  आज भारत में प्रचलित है वह मुसलमानी मतानुसार है, ऋषिप्रणीत नहीं है। 'सिद्धान्त तत्त्व विवेक' में इसका पूर्णतया खण्डन किया गया है। जैमिनी सूत्र में राशियों की दशा दी गयी है। भाव स्पष्ट की इस प्रणाली को मनाने से किसी राशि की दशा दो बार आयेगी तो किसी के एक बार भी नहीं आयेगी। 'सर्वे भावा लग्नांशसमाः' अर्थात् सभी भाव लग्न के अंशों के समान हों, ऐसा नहीं हो सकेगा। सभी शास्त्रकारों ने लग्न के बाईसवें द्रेष्काण को मारक कहा है, पर यह तभी संभव हो सकता है जब अष्टम भाव लग्न के अंशादि के बराबर हो। आचार्य वराहमिहिर ने भी उपर्युक्त बात कही है। इससे यह सिद्ध होता है कि भाव स्पष्ट करने की यह रीति सह शुद्ध नहीं है। आर्ष वचनों के अनुसार लग्न स्पष्ट में एक-एक राशि जोड़ने से भाव स्पष्ट (द्वादश भाव) हो जाते हैं। लग्न स्पष्ट के बराबर सभी राशियों के भाव मध्य मानने की परिपाटी रही थी।  भाव मध्य से पन्द्रह अंश पूर्व भाव प्रारंभ तथा भाव मध्य से पन्द्रह अंश पश्चात भाव समाप्त होता है।

जब किसी भाव में कोई ग्रह होता है तो पूर्ण फल प्रदान करता है। जैसे वृषभ लग्न के २० अंश (१/२०) उदित हुए तो मिथुन के २० अंश पर ग्रह द्वितीय और कर्क के २० अंश पर ग्रह तृतीय भाव का फल करेगा। इसी प्रकार आगे भी समझना चाहिए। 

Saturday, March 8, 2014

ग्रहों की दृष्टि

ज्योतिष के आधार पर भूमि के बारह भाग और उनसे ग्रहों का सम्बन्ध प्रस्तुत किया गया है। हर एक भाग किसी न किसी दूसरे भाग को देखता या उस के द्वारा देखा जाता अर्थात् कुंडली के किसी भी घर में स्थापित ग्रह की दृष्टि कुंडली के दूसरे किसी न किसी घर में स्थापित ग्रह को देखती है या किसी न किसी दूसरे घर के ग्रहों द्वारा देखे जाते हैं। इसी को दृष्टि कहते हैं जो पूर्ण, आधी, चौथाई दृष्टि, मेल मिलाप, टक्कर कहलाती है। 

पूर्ण दृष्टि

पूर्ण दृष्टि का अर्थ पूर्ण प्रभाव। कुंडली के कुल बारह घर या खाने हैं। पहले छह स्थानों का दृष्टि द्वारा बाद के छह स्थानों से सम्बन्ध है। उन में से पहला घर सातवें घर को पूर्ण दृष्टि से देखता है अर्थात् पहले घर के ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव सातवें घर के ग्रहों पर करते हैं। इसी प्रकार तीसरा नौवें को, चौथा दसवें को, पांचवां ग्यारहवें को, छठा बारहवें को देखता है। जिस से यह भी सिद्ध होता है कि पहला सातवें को देखता है परन्तु सातवां पहले को नहीं देखता। तीसरा नौवें को देखता है पर नौंवा तीसरे को नहीं देखता। चौथा दसवें को देखता है पर दसवां चौथे को नहीं। पांचवां ग्यारहवें को देखता है पर ग्यारहवां पांचवें को नहीं क्योंकि बैटरी की रोशनी आगे जाया करती है आगे से पीछे नहीं आया करती है। किसी भी घर की दृष्टि अपने घर में ग्रह के प्रभाव को इस प्रकार से ले जाती है जैसे सिनेमा के परदे पर पड़ने वाली रोशनी अपने साथ चित्र को ले जाती है। बिना ग्रह के साथ घर की दृष्टि दूसरे ग्रह  में ऐसे जायेगी जैसे बिना चित्रों के सिनेमा कि रोशनी परदे पर। 

आधी और चौथाई दृष्टि 

तीसरे घर का ग्रह ग्यारहवें घर के ग्रह को आधी दृष्टि से देखता है। परन्तु ग्यारहवें घर का ग्रह तीसरे घर के ग्रह को नहीं देखता है। पांचवें घर का ग्रह नौवें घर के ग्रह को आधी दृष्टि से देखता है परन्तु नौवें घर का ग्रह पांचवें घर के ग्रह को नहीं देखता है। यानि कि तीसरे और पांचवें घर के ग्रह क्रमशः  ग्यारहवें और नौवें घर के ग्रहों को अपनी आधी शक्ति से प्रभावित करेंगे। परन्तु ग्यारहवें और नौवें घर का प्रभाव क्रमशः तीसरे और पांचवें घर के ग्रहों पर नहीं होगा।

टक्कर 

कुंडली के किसी न किसी भी घर से हर ग्रह अपने से आठवें घर के ग्रह को टक्कर मार कर हानि पहुंचायेगा। वह उसका मित्र हो या शत्रु ग्रह हो इस बात का ध्यान न रखेगा जैसे पहला घर आठवें को टक्कर मारेगा और दसवां घर पांचवें घर को टक्कर मारेगा। इस प्रकार कुंडली के बारह ही घरों के ग्रह अपने घर से आठवें घर में स्थापित ग्रहों की टक्कर मार कर उसे हानि पहुंचायेगे।

आपस की शत्रुता 

अपने से दसवें नम्बर पर पड़ने वाले ग्रह आपस में शत्रु हो कर एक दूसरे घर के संबंधित रिश्तेदारों और वस्तुओं के उल्ट प्रभाव देंगे।

बृहस्पति, मंगल और शनि की दृष्टि 

सभी ग्रह अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं, लेकिन मंगल अपने स्थान से चौथे और आठवें स्थान को, गुरु अपने स्थान से पांचवे और नवें स्थान को व शनि अपने स्थान से तीसरे और दसवें स्थान को भी पूर्ण दृष्टि से देखता है।

शनि का प्रतीक सांप भी होता है जब वह भूमि पर रेंग कर चलता है तो आगे की और देखता है परन्तु जब वह फन उठाकर खड़ा कर लेता है तो उसकी आँखें आगे देखने कि बजाय पीछे की और देखती हैं। सांप फन उसी समय उठाता है जब उसको अपने पास शत्रु का आभास हो। अतः ज्योतिष के आधार पर भी जब शनि शत्रुता की नीयत और दृष्टि से देखे तो वह उल्टी दृष्टि से अपने पीछे बैठे ग्रह को भी हानि पहुंचा सकता है, छठे से दूसरे घर के ग्रहों को।

कुछ आचार्यों ने राहु-केतु की दृष्टि को भी मान्यता प्रदान की है, लेकिन महषि॔ पराशर ने इनकी कोई दृष्टि नहीं मानी है। अन्य आचार्यों के मत से राहु अपने स्थान से पांचवे, सातवें और नवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। ऐसी ही केतु की दृष्टि भी होती है।

सूर्य और मंगल की दृष्टि उर्ध्व है, बुध और शुक्र की तिरछी, चन्द्रमा और गुरु की बराबर (सम) तथा राहु और शनि की दृष्टि नीची है।