सौरमंडल में २७ नक्षत्र माने गए हैं। नक्षत्रों के चरणाक्षर भी राशि निर्धारण करने के लिए निश्चित हैं। इन नक्षत्रों और नाम के प्रारंभिक अक्षरों के अनुसार व्यक्तियों का जो सामूहिक चरित्र उभर कर आता है, वह इस प्रकार ज्योतिषशास्त्र में वर्णित है :-
- अश्विनी - सुखद दाम्पत्य जीवन, सीमित संतान, सीमित मर्यादित सेक्स और शांत-गंभीर कामुकता से घृणा।
- भरिणी - सुखमय दांपत्य जीवन, पुत्रवान, पति/पत्नी व्रत, संयमित सेक्स।
- कृतिका - कुकर्मी, पत्नी-संतान को सुख देने वाला, कलहप्रिय, संतप्त दाम्पत्य जीवन।
- रोहिणी - उत्तम चरित्र, संतानवान, सुखद दाम्पत्य जीवन, सीमित मैथुन।
- मृगशिरा - परस्त्री/पुरूष भोगी, मध्यम सुख वाला, दांपत्य जीवन, उद्वेगमय सेक्स।
- आद्रा - पति/पत्नी, संतान के लिए कठोर, पापी, चरित्रहीन, स्वार्थमय सेक्स।
- पुनर्वसु - सुखद दाम्पत्य जीवन, पर भोग विलास प्रिय, संतानमय।
- पुष्य - सुखद जीवन, संतान प्रेम में निष्ठा, उचित मैथुन।
- अश्लेषा - महाकामी, क्रूर, परिवार को अत्यंत दुःख, संतानमय।
- मघा - विलासप्रिय, सामान्य सुखी परिवार, प्राय: पुत्रहीन।
- फाल्गुनी (पूर्वा ) - अनेक प्रेमी/प्रेमिकाएं, सुखी दाम्पत्य, अवैध वैध संतानें।
- फाल्गुनी (उत्तरा ) - संयमी, परिवार नियंत्रण सुख, पुत्रवान।
- हस्त - पर स्त्रीगामी, दाम्पत्य जीवन, कलहपूर्ण, संतानहीन।
- चित्रा - निष्ठावान, उचित सेक्स, कई संतानें।
- स्वाति - ब्रह्मचर्य में आस्था, कठोर नियंत्रण वाला पर सुखद दांपत्य जीवन, पुत्रवान।
- विशाखा - वेश्यागामी, परिवार को नष्ट करने वाला, संतानहीन।
- अनुराधा - रोहिणी के समान।
- ज्येष्ठा - पुष्य के समान।
- मूल - हिंसक, मैथुनप्रिय, सुखी परिवार, काम संतान।
- पूर्वाषाढ़ - गुप्त प्रेमी, सामान्य दाम्पत्य जीवन।
- उत्तराषाढ़ - रतिप्रिय, मध्यम सुखी परिवार, अधिक संतान।
- श्रवणा - अत्यंत कामुक पद, सुखी परिवार, संतानहीन।
- घनिष्ठा - परिवार में भी कुकर्म करने वाला, दुःखी दांपत्य, निर्बल रोगी संतान।
- शतभिषा - पराई स्त्री का दीवाना, दुःखी परिवार, विश्वस्त प्रेमी, अधिकतम संतान।
- पूर्वभाद्र् - सामान्य सेक्स, कम संतान, दांपत्य जीवन, साधारण सुख।
- उत्तरभाद्र् - अदम्य सेक्स, गुप्त प्रेम, दुखी दांपत्य जीवन, पुत्रवान/पुत्रहीन।
- रेवती - अश्विनी के समान।
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