ज्योतिष का यह सार्वभौमिक सिद्घांत है कि ग्रह के प्रभाव के अनुरूप वातावरण निर्माण होता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार अभी कलियुग का 5109 वां वर्ष चल रहा है तथा ४,२६,८९१ वर्ष बाकी हैं। इस समय कलियुग और शुक्र ग्रह की युति सौंदर्य के विश्वव्यापी बाजार के मूल में है। इन प्रतियोगिता में मिलने वाली सफलता ने युवतियों को फिल्म, टेलीविजन और विज्ञापन के बेशकीमती दरवाजे खोले हैं।
विश्लेषण से यह पता चलता है कि इन प्रतियोगिताओं में खुद को आजमाने वाली युवतियों पर शुक्र ग्रह का ही प्रभाव होता है। शुक्र ग्रह का संबंध सांसारिक सुखों से है। यह रास, रंग, भोग, ऐश्वर्य, आकर्षण तथा लगाव का कारक है। शुक्र दैत्यों के गुरु हैं और कार्य सिद्घि के लिए साम-दाम-दण्ड-भेद के प्रयोग से भी नहीं चूकते। सौन्दर्य में शुक्र की सहायता के बिना सफलता असंभव है।
जन्म कुण्डली में शुक्र का प्रभाव जन्म लग्न पर होने से व्यक्ति आकर्षक, सौन्दर्य, घुंघराले बालों वाला, स्वच्छताप्रिय, रंग-बिरंगे वस्त्र धारण करने का शौकीन होता है। आजकल फैशन से वशीभूत ऐसे वस्त्रों का प्रचलन स्त्री वर्ग में बढ़ रहा है जो शरीर को ढंकने में अपर्याप्त होते हैं। यह संभवत: शीत प्रधान शुक्र-चन्द्र के प्रभाव क्षेत्रों की देन है। महिला वर्ग का चर्म परिधान शुक्र-चन्द्र एवं मंगल की परतों से बना होता है अर्थात् कोमलता तेज, रक्तिमा एवं सौन्दर्य का सम्मिश्रण ही उसकी विशेष आकर्षण शक्ति होती है।
शुक्र ग्रह से प्रभावित युवतियां ही प्रतियोगिता के अंतिम राउंड तक पहुंच पाती है। कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जो कुछ दूर तक तो युवतियों का सहयोग करते हैं, लेकिन जैसे ही दूसरे प्रतिभागियों के ग्रह भारी पड़ते हैं, कमजोर ग्रह वाली युवतियां पिछड़ने लगती है। यह भी ज्ञात हुआ है कि प्रतियोगिताओं के निर्णायक भी शनि, मंगल, गुरु जैसे ग्रहों से प्रभावित होते हैं। सौन्दर्य शास्त्र का विधान पूरी तरह से ज्योतिषकर्म और चिकित्सकों के पेशे जैसा ही है। अगर किसी निर्णायक को सौन्दर्य ज्ञान नहीं हो तो वह निर्णय भी नहीं कर पाएगा। ऐसे में निर्णायक शुक्र से प्रभावित तो होते हैं लेकिन उन पर गुरु-चंद्रमा का भी प्रभाव होता है जो उन्हें विवेकवान बनाता है।
जन्म कुण्डली में तृतीय एवं एकादश भाव स्त्री का वक्षस्थल माना जाता है। गुरु-शुक्र इन भावों में बैठे हों या ये दोनों ग्रह इन्हें देख रहे हों, साथ में बली भी हों तो यह भाव सुन्दर, पुष्ट एवं आकर्षक होता है और आंतरिक सौन्दर्य को लग्न के अनुसार परिधान सुशोभित करते हैं। पंचम एवं नवम भाव कटि प्रदेश से नीचे का होता है जो स्त्री को शनि गुरु प्रधान कृषता तथा स्थूलता सुशोभित करती है। अभिनय एवं संगीत में दक्षता प्रदान करने वाला ग्रह शुक्र ही है। शुक्र सौन्दर्य, प्रेम, कलात्मक अभिरुचि, नृत्य, संगीतकला एवं बुद्घि प्रदान करता है।
शुक्र यदि बली होकर नवम, दशम, एकादश भाव अथवा लग्न से संबंध करें तो जातक सौन्दर्य के क्षेत्र में धन-मान और यश प्राप्त करता है। लग्न जातक का रूप, रंग, स्वभाव एवं व्यक्तित्व को दर्शाता है। चतुर्थभाव या चन्द्रमा जनता का प्रतिनिधित्व करता है। पंचम भाव बुद्घि, रुचि एवं मित्र बनाने की क्षमता को दर्शाता है। तुला राशि का स्वग्रही शुक्र मंच कलाकार या जनता के सम्मुख अपनी कला का प्रदर्शन कर धन एवं यश योग देता है। मीन राशि के शुक्र कलात्मक प्रतिभा को पुष्ट करता है।
योग संयोग
तृतीय भाव सृजनात्मक योग्यता का सूचक है। इसका बली होना एवं लग्न से संबंध सौन्दर्यता में निपुणता लाता है। कुशल अभिनय के लिए चंद्रमा एवं संवाद अदायगी के लिए बुध बली हो तथा शुभ स्थानों में चन्द्र-बुध का होना अभिनय, संगीत एवं नृत्य इत्यादि में सफलता दिलाता है।
जन्म लग्न, चन्द्र लग्न एवं सूर्य लग्न से दशम भाव पर शुक्र का प्रभाव सफलता का योग बनाता है। बुध एवं शुक्र का बली होकर शुभ स्थानों (विशेषकर लग्न, पंचम दशम या एकादश), भाव से संबंध सौन्दर्य क्षेत्र में सफलता देता है।
चन्द्र कुण्डली में लग्नेश-धनेश की युति लाभ-स्थान में धन वृद्घि का संकेत देती है। साथ ही शुक्र व बुध का दशम व दशमेश से संबंध जातक को भाग्य बल प्रदान कर सफलता एवं प्रसिद्घि देता है।
चन्द्र, शुक्र एवं बुध का संबंध चतुर्थभाव, चतुर्थेश धन भाव व धनेश, पंचम भाव व पंचमेश, नवमभाव व नवमेश से होने पर सफलता के योग।
पंच महापुरुष योगों के अन्तर्गत शश योग (उच्च का शनि केन्द्र में) एवं मालव्य योग (उच्च व स्वराशि का केन्द्र में) एवं लग्नेश का स्वराशि व उच्च राशि का होना।
कुण्डली में सभी शुभ ग्रह लग्न में एवं सभी पाप ग्रह अष्टम भाव में होने पर यह योग यश का भागीदार बनाता है।
माला योग
कुण्डली में द्वितीय, नवम और एकादश के स्वामी ग्रह अपने-अपने स्थान पर होने से यह योग बनता है जो जातक को प्रसिद्धि के द्वार खोलता है।
श्रीनाथ योग
कुण्डली में सप्तमेश दशम स्थान में और दशमेश के साथ भाग्येश हो तो श्रीनाथ योग बनता है। कुछ विद्वानों के अनुसार दशमेश उच्च का होने पर ही यह योग बन जाता है, जो जातक को आकर्षक, सुखी और सम्माननीय बनाता है।
आंतरिक परिधान के कारक शुक्र, चंद्र और केतु हैं तथा बाह्य परिधान के कारक सूर्य, राहु, बुध, गुरु व शनि हैं। अलग-अलग चन्द्र राशियों एवं सूर्य राशियों के अनुसार अपने प्रभाव दिखाते हैं।
इस क्षेत्र में सफलता के लिए बुद्घि, चातुर्य, कला-कौशल के साथ कठोर परिश्रम जरूरी है। इसके लिए लग्न, चतुर्थ व पंचम भाव बली होना महžवपूर्ण है। सिंह राशि का शुक्र अभिनय कौशल देता है।
योग संयोग
तृतीय भाव सृजनात्मक योग्यता का सूचक है। इसका बली होना एवं लग्न से संबंध सौन्दर्यता में निपुणता लाता है। कुशल अभिनय के लिए चंद्रमा एवं संवाद अदायगी के लिए बुध बली हो तथा शुभ स्थानों में चन्द्र-बुध का होना अभिनय, संगीत एवं नृत्य इत्यादि में सफलता दिलाता है।
जन्म लग्न, चन्द्र लग्न एवं सूर्य लग्न से दशम भाव पर शुक्र का प्रभाव सफलता का योग बनाता है। बुध एवं शुक्र का बली होकर शुभ स्थानों (विशेषकर लग्न, पंचम दशम या एकादश), भाव से संबंध सौन्दर्य क्षेत्र में सफलता देता है।
चन्द्र कुण्डली में लग्नेश-धनेश की युति लाभ-स्थान में धन वृद्घि का संकेत देती है। साथ ही शुक्र व बुध का दशम व दशमेश से संबंध जातक को भाग्य बल प्रदान कर सफलता एवं प्रसिद्घि देता है।
चन्द्र, शुक्र एवं बुध का संबंध चतुर्थभाव, चतुर्थेश धन भाव व धनेश, पंचम भाव व पंचमेश, नवमभाव व नवमेश से होने पर सफलता के योग।
पंच महापुरुष योगों के अन्तर्गत शश योग (उच्च का शनि केन्द्र में) एवं मालव्य योग (उच्च व स्वराशि का केन्द्र में) एवं लग्नेश का स्वराशि व उच्च राशि का होना।
कुण्डली में सभी शुभ ग्रह लग्न में एवं सभी पाप ग्रह अष्टम भाव में होने पर यह योग यश का भागीदार बनाता है।
माला योग
कुण्डली में द्वितीय, नवम और एकादश के स्वामी ग्रह अपने-अपने स्थान पर होने से यह योग बनता है जो जातक को प्रसिद्धि के द्वार खोलता है।
श्रीनाथ योग
कुण्डली में सप्तमेश दशम स्थान में और दशमेश के साथ भाग्येश हो तो श्रीनाथ योग बनता है। कुछ विद्वानों के अनुसार दशमेश उच्च का होने पर ही यह योग बन जाता है, जो जातक को आकर्षक, सुखी और सम्माननीय बनाता है।
आंतरिक परिधान के कारक शुक्र, चंद्र और केतु हैं तथा बाह्य परिधान के कारक सूर्य, राहु, बुध, गुरु व शनि हैं। अलग-अलग चन्द्र राशियों एवं सूर्य राशियों के अनुसार अपने प्रभाव दिखाते हैं।
इस क्षेत्र में सफलता के लिए बुद्घि, चातुर्य, कला-कौशल के साथ कठोर परिश्रम जरूरी है। इसके लिए लग्न, चतुर्थ व पंचम भाव बली होना महžवपूर्ण है। सिंह राशि का शुक्र अभिनय कौशल देता है।
तुला राशि का स्वग्रही शुक्र मंच कलाकार या जनता के सम्मुख अपनी कला का
प्रदर्शन कर धन एवं यश योग प्रदान करता है। मीन राशि का शुक्र व्यक्ति की कलात्मक
प्रतिभा को पुष्ट करता है।
gurudev panaam....
ReplyDeletemera vivaah kab tak ho payega
birth 8:19 am date.26/02/1986
place. jhabua[m.p.]
प्रतीक, 2009 की पहली तिमाही से 2011 की तीसरी तिमाही तक आप के विवाह के अच्छे योग थे. खैर किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले मैं आप से कुछ प्रश्नों के उत्तर चाहूँगा...
Delete१) क्या आप दिखने में गोरे हैं?
२) आप कहाँ तक पढ़े हैं?
३) आप क्या काम करते हैं यानि आप का रोजगार क्या है?
इन का उत्तर मिलने के उपरांत ही मैं सही निर्णय तक पहुँच पाउँगा..
Namaste guruji, mera name ravi hai,23/08/1983 janam,12.30am,durgapur,m.s. meri shadi hogi kya aur kab.
Deleteधन्यवाद गुरुवर.........
ReplyDeleteरंग एकदम गोरा तो नही हे पर सामान्य गोरा हूँ [गेहुँवा]
पढाई 12th तक की हे ....स्वयं का व्यापार करता हूँ.....[mobiles n computer]
प्रतीक जी मैं स्वयं को गुरुवर कहलाने के योग्य नहीं समझता.. आप मुझे राजीव बुला सकते हैं...
ReplyDeleteमैंने आप की कुण्डली देख ली है.. प्रतीक जी, जनवरी २०१३ तक आप के विवाह/रिश्ता होने के योग है आप चाहे तो इस समय का उचित उपयोग कर सकते हैं..
यहाँ यह बताना आवश्यक समझता हूँ कि विवाह एक समझौता न हो कर जन्म जन्मांतर का संबंध है.. समझदार पत्नी आपके जीवन की राह को आसान कर देती है...पत्नी का चुनाव समझदारी से कीजिएगा..
आप के सुखी जीवन के लिए कुछ आवश्यक उपाय लिख रहा हूँ हो सके तो जीवन पर्यन्त इनका पालन करने का प्रयत्न कीजिएगा :-
१) श्री राम भक्त हनुमान जी की सेवा कीजिये (रोज संभव न हो तो मंगलवार के दिन तो हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ अवश्य कीजिये)
२) शुक्रवार को प्रातः माँ दुर्गा के मंदिर में जा कर माँ की ज्योति प्रज्वलित कीजिये और बर्फी के प्रसाद का भोग लगाये (विवाह में अगर अड़चन आ रही हो तो माँ की मूर्ति के सामने खड़े हो कर अपने मन की बात माँ से ही कहे)
३) हो सके तो रोज गाय को रोटी खिलाये... रोज संभव न हो तो कम से कम बृहस्पतिवार को तो गाय की सेवा अवश्य करें.
एक जरूरी बात - पैसा जितना हो सके सोच समझ कर खर्च करें....
राजीव जी............ प्रणाम
ReplyDeleteआप मुझ से कहीं ज्यादा ज्ञानी हे इसलिए आप गुरुवर तो हैं...
मुझे मेरे जन्म समय में कुछ संशय हे जनवरी तो आने ही वाला हे अभी तक कोई बात नही चल रही हे.....क्या आप जन्मसमय को शुद्ध कर सकते हैं.... साथ ही मैं आप मेरी कुंडली का थोडा विवेचन करें तो बड़ी कृपा होगी ......किसी ने बताया हे की अभी राहू में शनि का अंतर चल रहा हे मेरे लिए कोन सा रत्न उचित रहेगा बताने की कृपा करें....मेरी माताजी मेरे विवाह को ज्यादा ही चिंतित हे.....
धन्यवाद.......
प्रतीक जी, मुझे भी आप के जन्म समय के बारे में कुछ ऐसा ही लगा था जब आप ने लिखा था कि आप एकदम गोरे नहीं है... पर दूसरी बातें ठीक थी इसलिए अगर अशुद्धि हुई तो थोड़े ही समय अंतराल की होगी....
ReplyDeleteमैं प्रयत्न कर सकता हूँ अगर आप अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का सही समय और तिथि लिख कर भेज पाएं जो आप आज तक नहीं भूल पाए तो उस से मदद मिल जायेगी...
आप यह जरूर लिखिएगा की आप शादी को मात्र समझौता ही मानते है या जन्म जन्म का संबंध...
राजीव जी... आपको धन्यवाद की आपने मेरे लिए अपना अमूल्य समय दिया.....
ReplyDeleteमें शादी को जन्म-जन्म का सम्बन्ध मानते हुवे इसे एक पवित्र रिश्ता मानता हूँ....जिसे निबाहने के लिए मैं पुर्णतः कटिबद्ध हूँ....कोई व्यक्ति अपना सबकुछ त्याग कर मेरे जीवन मैं आता हे तो मेरा फर्ज बनता हे की मैं भी अपनी और से उसे शिकायत का मौका न दूं....मेरे लिए विवाह सिर्फ एक रस्म न होकर एक जीवन भर चलने वाला रिश्ता हे .....
मैंने अपना बिज़नेस ११ अप्रेल २००७ को प्रारंभ किया था...
मेरे जीवन की कुछ मुख्य घटनाएँ इसे वर्ष २०१२ में हुई हे.....११ जून २०१२ को मेरा का ऑपरेशन हुवा था.....१० अगस्त २०१२ को मेरी सगाई हुई थी जो की २५-२६ अगस्त २०१२ अगस्त को टूट गयी....इसे वर्ष २ फरवरी २०१२ को मैंने कार खरीदी थी....
प्रतीक जी, अपनी योग्यता अनुसार आप को कल तक मैं जवाब दे दूँगा....
Deleteआखिरी दो सवाल पूछ रहा हूँ...
१) 19 जून को ऑपरेशन कौन सा हुआ था?
२) 21 नवम्बर से आज तक यानि 11 दिसम्बर तक का समय ओर दिनों के मुकाबले कैसा बीता?
परम आदरणीय .........
ReplyDeleteआपके कहे अनुसार आज से ही हनुमान जी की सेवा प्रारंभ कर दी हे.....11 जून 2012 को ऑपरेशन भगंदर [Fistula-in-ano] का हुवा था .....21 नवम्बर से आज तक यानि 11 दिसम्बर तक का समय और दिनों जैसा ही बीता केवल माता-पिता की चिंता को लेकर में थोडा चिंतित हूँ.पर सगाई टूटने के बाद से तो थोडा ज्यादा चिंतित था....अब वो चिंता कम तो हुई हे....
प्रतीक जी, जन्म समय तो लगभग ठीक ही लगा है. पत्नी आप को सुंदर ही मिलेगी... हाँ करने से पहले देख लीजिएगा की कन्या मधुरभाषिणी अवश्य हो..
Deleteअगर आप ऊपर के फ्लोर्स पर रहते हैं तो ठीक है पर अगर मकान के भूमितल (Ground Floor) पर निवास है तो ऊपर की तरफ शिफ्ट कर जाये उस से आप को लाभ मिलेगा...
जो उपाय मैंने आप को बताए हैं वो तो अवश्य कीजिएगा साथ ही एक उपाय और लिख रहा हूँ इसको भी शनिवार को शाम के समय कर लीजिए...
सवा मीटर नीला कपड़ा, सतनाजा (सात तरह का अनाज), लोहे का चाकू, हरा नारियल पानी वाला और एक स्ट्रा (नारियल पानी पीने के लिए पाइप) साथ ही थोड़ी सी दक्षिणा...
सात तरह के अनाज में गेहूँ और कुछ दाले, चने आदि अपनी मुट्ठी के बराबर भर के लेनी है. इनको नीले कपड़े में बाँध कर नारियल, स्ट्रा और लोहे का चाकू कुछ दक्षिणा के साथ (ध्यान रहे लोहे का चाकू शनिवार से पहले खरीद लीजिएगा) शनिवार शाम को शनि मंदिर के बाहर बैठे किसी अपंग भिक्षुक को देना है.
एक बार यह इस शनिवार को कीजिये और दूसरी बार १९ जनवरी २०१३ को कर दीजिएगा... अगर इस को दान करने से अपने जीवन में कुछ सकरात्मक परिवर्तन नज़र आए तो २०१३ में हर तिमाही में इसका दान करें...
२०१४ के आरम्भ में पन्ना धारण कर लीजिएगा... उस समय अगर आप का वजन ६० किलोग्राम से ऊपर हो तो सवा सात रत्ती का पन्ना धारण कीजिएगा... पन्ना धारण करने से पहले उसकी प्राणप्रतिष्ठा अवश्य करवा लीजिएगा..
श्री राम भक्त हनुमान जी को अपना इष्ट बना लीजिए... हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से पहले उनके स्वामी भगवान श्री राम की वंदना अवश्य कर लीजिएगा... हमेशा ध्यान रखे
जा पर कृपा राम की होए
ता पर कृपा करे सब कोए
धन्यवाद राजीव जी......
Deleteमैं तो पहली मंजिल पर ही रहता हूँ और दूकान तल मंजिल पर हे...आपके कहे अनुसार ये उपाय भी कर लूँगा.....अगर हरा नारियल न मिल पाए तो क्या किया जाये.....
साथ ही अगर शनि मंदिर के बाहर कोई अपंग भिक्षुक न मिले तो क्या दूसरी जगह पर बैठे भिक्षुक को दी जा सकती हे....
Deleteअक्सर शनिवार को मंदिर के बाहर कई तरह के भिक्षुक होते है कोशिश कीजिएगा कि शारीरिक रूप से असमर्थ व्यक्ति तक ही दान सामग्री पहुंचे.... हरा नारियल दिल्ली में तो जगह जगह मिल जाता है... प्रयत्न कर के शुक्रवार शाम या शनिवार सुबह को ही इसका प्रबंध कर लीजिएगा...
Deleteअक्सर किसी भी जन्मपत्रिका को देखने में ज़्यादा समय नहीं लगता परन्तु आप की जन्मपत्रिका फलादेश के लिए मुझे उसके हर पहलू का अध्ययन करना पड़ा था जिसमे सूर्य कुण्डली, चंद्र कुण्डली, नवमांश, षड्बल, योगिनी और विंशोतरी महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा इत्यादि सम्मिलित हैं.... वही यह पाया था आप का निवास पृथ्वी से ऊपर ही होना चाहिए .. जो है... इसलिए अब दुकान वही रखिएगा जहाँ वो कमा कर दे सके....
thank's a lot sir.....
DeleteGod Bless you. Have a great time & healthy n wealthy life ahead.
Deleteराजीव जी.....
Deleteआपके ज्योतिष ज्ञान पर मुझे जरा भी संदेह नही हे.....परन्तु मुझे लगता हे की मेरे जन्म समय में थोडा अंतर हे वो इसलिए की अगर राहू दुसरे भाव में हो तो दूसरे भाव में विराजमान राहु अपने ही कुटुम्ब का नाशक होता है धन के मामले में जातक को दिखाई तो बहुत देता है लेकिन सामने कुछ नही होता है उसके अन्दर शराब आदि नशे करने की आदत होती है और अपने को बहुत ही बलवान समझने के कारण अक्सर भले स्थानों में उसकी बे इज्जती होती है। परन्तु अगर राहुदेव तीसरे भाव में विराजमान हो तो तीसरे भाव के राहु वाला जातक विवेक से काम लेने वाला होता है किसी भी कार्य को वह अपने हठ से पूरा करने की क्षमता रखता है उसे गाने बजाने और संगीत के साधन रखने का बडा शौक होता है अक्सर उसे टीवी या फ़िल्म देखने का बडा शौक होता है उसे परफ़्यूम लगाने का और घर के अन्दर खुशबू रखने का भी शौक होता है,जहरीली दवाइयों को हजम करने की भी आदत होती है,अधिक मिर्च मसाले खाना की तरफ़ मन का जाना आदि मिलता है, और तीसरे भाव वाली बाते मुझ पर लागू होती हे परन्तु दुसरे भाव वाली लागु नही होती....[ ये जानकारी मैंने इन्टरनेट से ली हे] अतः गुरुदेव से निवेदन हे की आप इस पर एक बार विचार करें....धन्यवाद
[मेरे जन्म समय मैं थोडा सा फेरबदल करने पर राहुदेव तीसरे भाव में आ जाते हैं.....यदि 7:48 am किया जाये तो....]
प्रतीक जी, आप की जानकारी को शत शत प्रणाम... राहु के किस घर में बैठने से यह पता लगता है कि जातक पृथ्वीतल पर निवास नहीं करता? ज्योतिष में फलादेश कभी भी किसी एक ग्रह कि स्थिति से नहीं किया जाता बल्कि बहुत से और पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाता है....
Deleteजी राजीव जी.......धन्यवाद.....
Deleteराजीव जी............नमस्कार
Deleteनमस्कार प्रतीक जी.... कैसे हैं आप?
Deleteआपकी दुआ से ठीक हूँ........
Deleteआपको बार-बार परेशान करने के लिए माफ़ी चाहता हूँ...........परन्तु गुरुदेव एक बार आप मेरा जन्मसमय चेक कर लें तो बड़ी किरपा होगी.........अगर आप व्यस्त हों तो कोई बात नही...........
Wish U Happy 12.12.12
ReplyDeleteThe Last Symmetrical Date Of This Millenium.
Thanks a lot Pratik. Wish you the same...
DeleteKANYA LAGNA MEEN RASHI
ReplyDelete1 HOUSE
2 HOUSE - KETU
3 HOUSE - SHANI HARSHAL
4 HOUSE - VARUN
5 HOUSE - GURU
6 HOUSE -
7 HOUSE - BHUDH SHUKRA CHANDRA
8 house - SURYA RAHU
9 house - MANGAL guruji mera bhi kuch margadarshan kare.aur konsa ratna sahi hai... guru pancham me neecha hai. budh saptam me neech hai
gud morning rajeev ji.....
ReplyDeletehi Pratik ji, hru? Kuch Shaadi ka yog bana?
Deleteaapki dua he sir ji..
Deleteshaadi ka yog...... nhi sir......abhi nhi...
koi nayi post to daliye sir....
ReplyDelete1/1/1983 8:35 am rewa m.p. guru ji arabpati banne ke yog hain
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