सभी वर्ग कुंडलियों में नवमांश सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। विम्शोपक बल में भी जन्म कुंडली के बाद सबसे महत्वपूर्ण नवांश ही हैं। विम्शोपक बल में लग्न कुंडली के बाद सबसे अधिक अंक नवांश को दिए गए हैं। जन्म कुंडली और नवांश को देख कर ही आप ग्रह किस नक्षत्र और चरण में हैं ज्ञात कर सकते हैं। ज्योतिषीय ग्रन्थ जैसे बृहत् पराशर होरा शास्त्र, जातक पारिजात, चंद्र नाडी कला, बृहत् जातक इत्यादि में नवांश के उपयोग कई स्थानों पर वर्णित हैं।
नवमांश के उपयोग
- यदि ग्रह जन्म कुंडली में निर्बल अर्थात पाप ग्रहों से दृष्ट नीच का हो, अस्त हो परन्तु नवांश में बली हो तो ग्रह के पास बल होता हैं।
- अस्त ग्रह यदि नवांश में सूर्य से २ भाव से अधिक दूरी पर हो तो अस्त ग्रह भी फल देने में सक्षम होता हैं।
- कोई भी ग्रह यदि मित्र तथा सौम्य ग्रह के नवांश में हो तो उस ग्रह का फल अवश्य और शुभ मिलता हैं।
- शुभ राशि में वर्गोत्तम ग्रह शुभ फल देता हैं।
- क्रूर राशि में वर्गोत्तम ग्रह संघर्षो के बाद परिणाम देता है।
सारावली के अनुसार, चंद्र राशि हमारे स्वभाव को दर्शाती हैं परन्तु यदि जिस नवांश में चंद्र हैं. उसका स्वामी अधिक बली हो तो स्वभाव नवांश के अनुसार होगा।
सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार, यदि चतुर्थ भाव का स्वामी जिस नवांश में हैं उसका स्वामी लग्न कुंडली में केन्द्रगत हो तो ऐसे जातक को घर-सम्पदा का सुख अवश्य प्राप्त होता हैं।
परन्तु यदि वह त्रिक भाव (६-८-१२) में हो तो ऐसे जातक को घर-सम्पदा के सुख की हानि होती हैं। ऐसे श्लोक हमे बाध्य करते हैं कि हम नवांश के स्वामी की स्थिति फल कथन से पहले अवश्य विचार लें।
जब सर्वार्थ चिंतामणी के श्लोक पर ध्यान देते हुए परिणाम अद्भुत था। यदि भावेश का नवांश अधिपति लग्न कुंडली मे केंद्र अथवा त्रिकोण में बली हो तो उस भाव के फल अवश्य मिलते हैं और यदि भावेश का नवांश अधिपति निर्बल होकर त्रिक भावो में हो तो निश्चय ही उस भाव के फल में कमी आएगी।
Sir mera naam Neelima gupta he,mera d.o.b-22-12-1967,time-2:30am,place-basundhra(etah)u.p. sir please mujhe Marc darshan dijiye ki KB tk mera mkaan,bhumi ka yog bnega.thanku.
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