ऐसा देखा गया है कि एक ही व्यवसाय करने वाला जातक उसमें अपार सफलता प्राप्त कर लेता है और दूसरा ना चाहते हुए भी पतन का अधिकारी बनता है। जिस तरह मौसम सदैव एक जैसा नहीं रहता उसी तरह से मनुष्य का भाग्य भी एक जैसा नहीं रहता जरूरत रहती है तो मनुष्य के भाग्य को अनुकूल स्थिति में ले जाने की। ज्योतिष का कार्य मार्गदर्शन ही तो है - सुयोग के समय अत्यधिक लाभ और दुर्योग के समय न्यूनतम हानि। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी को भी उसके व्यवसाय के बारें में शत-प्रतिशत सत्य बताया जा सकता है। इस सम्बन्ध में ज्योतिष के सारांश-सूत्र प्रस्तुत हैं -
लग्न का अध्ययन -
लग्न से किसी जातक के व्यक्तित्व व चारित्रिक विशेष का अध्ययन किया जाता है। विभिन्न लग्न के जातकों का मानसिक विकास तथा मानसिक रूझान भिन्न होता है। उसके अनुसार ही उनका व्यवसाय होता है। विभिन्न लग्नों के व्यवसाय नीचे दिए गए हैं। जिन व्यक्तियों के पास अपनी जन्मकुंडली नहीं है और जिन्हें अपने लग्न का ज्ञान नहीं है वह अपनी राशि के अनुसार अपनी जीविका का चयन कर सकते हैं।
मेष - पुलिस, सेना अधिकारी, रक्षा मंत्रालय, लोहे इत्यादि का व्यवसाय, सर्जन, नेता, खिलाड़ी आदि।
वृष - कलाकार, संगीतकार, लेखक, सुगन्धित वस्तुओं का व्यवसायी, कर-अधिकारी, दुग्ध व्यवसाय, वाहनों का व्यवसाय, विलासिता से संबंधित वस्तुएँ, आभूषण इत्यादि।
मिथुन - वैज्ञानिक, पत्रकार, योजनाधिकारी, प्रकाशक, संपादक, इंजीनियर, सचिव, ठेकेदार, गणितज्ञ, अकाउंटेंट, चालक, दलाल आदि।
कर्क - योजना विभाग, कवि, चित्रकार, नर्स, समाजसेवी, इतिहासकार, नौ सेना अधिकारी, जलपोत, वक्ता, मंत्री, सलाहकार आदि।
सिंह - सरकारी सेवा, शेयर बाज़ार, संगीत, अधिकारी, नेता, मैनेजिंग डायरेक्टर, उच्च सेवा इत्यादि। यदि सूर्य की स्थिति शुभ हो तो अधिकारी बनना निश्चित है।
कन्या - आर्किटेक्ट, इंजीनियर, ऑडिटर, कंप्यूटर और वैज्ञानिक उपकरणों से संबंधित, डॉक्टर, सर्जन, प्रकाशक, बीमा एजेंट, ज्योतिष, खगोलशास्त्री।
तुला - न्यायविद, सलाहकार, आलोचक, सचिव, रसायनशास्त्री, चित्रकार, यातायात विभाग, द्रव्य का व्यवसाय, नर्तक, संगीतकार, कवि, गायक आदि।
वृश्चिक - सेना, चिकित्सक, रसायन विभाग में प्राध्यापक, पराविद्या, भूगोलशास्त्री, भूगर्भ वैज्ञानिक, संत-महात्मा, ज्योतिष, जासूस, पुलिस इत्यादि।
धनु - अधिकारी, प्रोफेसर, बैंक कर्मचारी, धार्मिकवक्ता, राजनीति, कानून, आलोचक, कंपनी सेक्रेटरी, ऑडिटर, ठेकेदार इत्यादि।
मकर - अर्थशास्त्री, आर्थिक सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट, ब्रोकर, जमीन से निकली वस्तुओं का व्यापारी, दार्शनिक, कानूनी सलाहकार, संत, धर्मशास्त्री, ज्योतिष आदि।
कुम्भ - खोजी, एडमिनिस्ट्रेटर, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिष, भूगर्भशास्त्री, नौसेना, सीबीआई, चित्रकार, बिजली विभाग इत्यादि।
मीन - समुद्र में व्यापर, जहाज, सलाहकार, मंत्री, ज्योतिष, संगीतज्ञ, कलाकार, धर्मशास्त्री, शिक्षा विभाग, व्यापारी, तेल एवं गैस विभाग आदि।
वृष - कलाकार, संगीतकार, लेखक, सुगन्धित वस्तुओं का व्यवसायी, कर-अधिकारी, दुग्ध व्यवसाय, वाहनों का व्यवसाय, विलासिता से संबंधित वस्तुएँ, आभूषण इत्यादि।
मिथुन - वैज्ञानिक, पत्रकार, योजनाधिकारी, प्रकाशक, संपादक, इंजीनियर, सचिव, ठेकेदार, गणितज्ञ, अकाउंटेंट, चालक, दलाल आदि।
कर्क - योजना विभाग, कवि, चित्रकार, नर्स, समाजसेवी, इतिहासकार, नौ सेना अधिकारी, जलपोत, वक्ता, मंत्री, सलाहकार आदि।
सिंह - सरकारी सेवा, शेयर बाज़ार, संगीत, अधिकारी, नेता, मैनेजिंग डायरेक्टर, उच्च सेवा इत्यादि। यदि सूर्य की स्थिति शुभ हो तो अधिकारी बनना निश्चित है।
कन्या - आर्किटेक्ट, इंजीनियर, ऑडिटर, कंप्यूटर और वैज्ञानिक उपकरणों से संबंधित, डॉक्टर, सर्जन, प्रकाशक, बीमा एजेंट, ज्योतिष, खगोलशास्त्री।
तुला - न्यायविद, सलाहकार, आलोचक, सचिव, रसायनशास्त्री, चित्रकार, यातायात विभाग, द्रव्य का व्यवसाय, नर्तक, संगीतकार, कवि, गायक आदि।
वृश्चिक - सेना, चिकित्सक, रसायन विभाग में प्राध्यापक, पराविद्या, भूगोलशास्त्री, भूगर्भ वैज्ञानिक, संत-महात्मा, ज्योतिष, जासूस, पुलिस इत्यादि।
धनु - अधिकारी, प्रोफेसर, बैंक कर्मचारी, धार्मिकवक्ता, राजनीति, कानून, आलोचक, कंपनी सेक्रेटरी, ऑडिटर, ठेकेदार इत्यादि।
मकर - अर्थशास्त्री, आर्थिक सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट, ब्रोकर, जमीन से निकली वस्तुओं का व्यापारी, दार्शनिक, कानूनी सलाहकार, संत, धर्मशास्त्री, ज्योतिष आदि।
कुम्भ - खोजी, एडमिनिस्ट्रेटर, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिष, भूगर्भशास्त्री, नौसेना, सीबीआई, चित्रकार, बिजली विभाग इत्यादि।
मीन - समुद्र में व्यापर, जहाज, सलाहकार, मंत्री, ज्योतिष, संगीतज्ञ, कलाकार, धर्मशास्त्री, शिक्षा विभाग, व्यापारी, तेल एवं गैस विभाग आदि।
द्वितीय भाव के उपस्वामी का अध्ययन -
कुंडली में द्वितीय भाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जातक की धन-स्थिति का अध्ययन इस भाव से किया जाता है तथा यह भी पता लगाया जा सकता है कि धन प्राप्ति किस स्रोत से होगी। द्वितीय भाव के उपस्वामी का विभिन्न भावों से संबंध निम्न रूप से दिखाया गया है :-
यदि उपस्वामी संबंध द्वितीय भाव से हो - कारखाने, उद्योग, व्यापार, शेयर बाज़ार।
यदि उपस्वामी का सम्बन्ध तृतीय भाव से हो - प्रकाशन, प्रेस, ट्रांसपोर्ट, दूर-संचार, लेखन, जर्नलिज्म, लाइब्रेरी।
यदि उपस्वामी का संबंध चतुर्थ भाव से हो - शिक्षा संस्थान, जमीन इत्यादि से संबंधित कार्य, खान, संस्थान, वाहनों का व्यापर, कृषि।
यदि उपस्वामी का संबंध पंचम भाव से हो - फिल्म, संगीत, थिएटर, राजनीति, खेल-कूद, पब्लिक रिलेशन, शेयर बाज़ार, पुजारी, मंत्र-विज्ञान।
यदि उपस्वामी का संबंध षष्ठं भाव से हो - अस्पताल, सेनिटोरियम, सफाई विभाग, ब्रोकर, धन उधार देने वाली संस्था, बैंक।
यदि उपस्वामी का संबंध सप्तम भाव से हो - सहयोग से व्यापार, महिलाओं संबंधी कार्य, कपड़ों का व्यापार, सुगंध का व्यापार, विदेश विभाग, अंतर्राष्ट्रीय संस्था।
यदि उपस्वामी का संबंध अष्टम भाव से हो - बीमा विभाग, प्रोविडेंट फण्ड, कार्यालय, रजिस्ट्रार, पराविद्या, खोज, सर्जन, स्वास्थ्य विभाग, संबंधी कार्य, ध्यान-विद्या, योग-विद्या।
यदि उपस्वामी का संबंध नवम भाव से हो - धार्मिक संस्थान, कानून संबंधी कार्य, दर्शन, विदेशों में यात्रा, कानूनविद, धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन, उच्च शिक्षा संस्थान।
यदि उपस्वामी का संबंध दशम भाव से हो - सरकारी सेवा, उच्च सेवाएं, राजदूत, मंत्री, डॉक्टर, नेता, सलाहकार, इंजीनियर।
यदि उपस्वामी का संबंध एकादश भाव से हो - सरकारी सेवा, लाभ का पद, ,राष्ट्रीय नेता, आर्किटेक्ट, योजना विभाग, बिजली विभाग, संग्राहलय, कृषि व जल विभाग, विदेश सहायता प्राप्त संस्थान।
यदि उपस्वामी का संबंध द्वादश भाव से हो - जेल विभाग, संत, दर्शन, मनोचिकित्सा, पराविद्या, खोज, रसायन विज्ञान, पागलखाना, अस्पताल, ग़ैर-कानूनी धंधा।
द्वितीय भाव का उपस्वामी यदि चर राशि यानि मेष, कर्क, तुला व मकर में हो तो धन अवस्था अस्थिर होती है तथा जातक किसी अन्य स्रोत से भी धन प्राप्त कर सकता है। यदि उपस्वामी स्थिर राशि वृष, सिंह, व्रुश्चिक या कुम्भ राशि में हो तो धन की प्राप्ति एक ही स्रोत से होती है। यदि उपस्वामी द्विस्वभाव राशि में हो तो निश्चय ही एक से अधिक स्रोतों से धन-लाभ होगा।
यदि उपस्वामी का सम्बन्ध तृतीय भाव से हो - प्रकाशन, प्रेस, ट्रांसपोर्ट, दूर-संचार, लेखन, जर्नलिज्म, लाइब्रेरी।
यदि उपस्वामी का संबंध चतुर्थ भाव से हो - शिक्षा संस्थान, जमीन इत्यादि से संबंधित कार्य, खान, संस्थान, वाहनों का व्यापर, कृषि।
यदि उपस्वामी का संबंध पंचम भाव से हो - फिल्म, संगीत, थिएटर, राजनीति, खेल-कूद, पब्लिक रिलेशन, शेयर बाज़ार, पुजारी, मंत्र-विज्ञान।
यदि उपस्वामी का संबंध षष्ठं भाव से हो - अस्पताल, सेनिटोरियम, सफाई विभाग, ब्रोकर, धन उधार देने वाली संस्था, बैंक।
यदि उपस्वामी का संबंध सप्तम भाव से हो - सहयोग से व्यापार, महिलाओं संबंधी कार्य, कपड़ों का व्यापार, सुगंध का व्यापार, विदेश विभाग, अंतर्राष्ट्रीय संस्था।
यदि उपस्वामी का संबंध अष्टम भाव से हो - बीमा विभाग, प्रोविडेंट फण्ड, कार्यालय, रजिस्ट्रार, पराविद्या, खोज, सर्जन, स्वास्थ्य विभाग, संबंधी कार्य, ध्यान-विद्या, योग-विद्या।
यदि उपस्वामी का संबंध नवम भाव से हो - धार्मिक संस्थान, कानून संबंधी कार्य, दर्शन, विदेशों में यात्रा, कानूनविद, धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन, उच्च शिक्षा संस्थान।
यदि उपस्वामी का संबंध दशम भाव से हो - सरकारी सेवा, उच्च सेवाएं, राजदूत, मंत्री, डॉक्टर, नेता, सलाहकार, इंजीनियर।
यदि उपस्वामी का संबंध एकादश भाव से हो - सरकारी सेवा, लाभ का पद, ,राष्ट्रीय नेता, आर्किटेक्ट, योजना विभाग, बिजली विभाग, संग्राहलय, कृषि व जल विभाग, विदेश सहायता प्राप्त संस्थान।
यदि उपस्वामी का संबंध द्वादश भाव से हो - जेल विभाग, संत, दर्शन, मनोचिकित्सा, पराविद्या, खोज, रसायन विज्ञान, पागलखाना, अस्पताल, ग़ैर-कानूनी धंधा।
द्वितीय भाव का उपस्वामी यदि चर राशि यानि मेष, कर्क, तुला व मकर में हो तो धन अवस्था अस्थिर होती है तथा जातक किसी अन्य स्रोत से भी धन प्राप्त कर सकता है। यदि उपस्वामी स्थिर राशि वृष, सिंह, व्रुश्चिक या कुम्भ राशि में हो तो धन की प्राप्ति एक ही स्रोत से होती है। यदि उपस्वामी द्विस्वभाव राशि में हो तो निश्चय ही एक से अधिक स्रोतों से धन-लाभ होगा।
दशम भाव का अध्ययन -
कुंडली में दशम भाव जातक के व्यवसाय को प्रदर्शित करता है। दशम भाव के सार्थक ग्रहों से यह पता लगाया जा सकता है कि जातक को किन व्यवसायों से लाभ होगा। प्रत्येक ग्रह किसी व्यवसाय से संबंध रखता है। दशम भाव के सार्थक ग्रहों का फल निम्न है :-
सूर्य - सरकारी सेवा, राजनीति, पिता के धन से व्यापर, विभागाध्यक्ष, मंत्री, प्रभावशाली व्यक्ति, सोने का कार्य।
चन्द्रमा - पानी के जहाज़ संबंधी कार्य, द्रव्य का व्यापर, योजना विभाग, कवि-कल्पनशीलक, सलाहकार, शराब का कार्य।
मंगल - सैन्य विभाग, बंदूकों का व्यापार, रसायन, सर्जन, नाई, लोहे का कार्य, मांस का व्यापर, पुलिस, नेता, कारपेंटर।
बुध - वैज्ञानिक, इंजीनियर, अकाउंटेंट, ज्योतिष, सूचना एवं प्रसार अधिकारी, वक्ता, कानूनविद, सिनेमा।
बृहस्पति - कानूनविद, धर्म-संस्थान, प्रोफेसर, दार्शनिक, बैंक, पुजारी, जर्नलिस्ट, राजनीतिज्ञ, संपादक, ज्योतिष।
शुक्र - कलाकार, संगीतकार, चित्रकार, वाद्य-यन्त्र संबंधी कार्य, खिलाड़ी व रत्नों का व्यापार, कपडा संबंधी कार्य, ट्रांसपोर्टर, नर्तक।
शनि - ज़मीन से निकलने वाली वस्तुओं संबंधी कार्य, लोहा व पीतल का कार्य, अर्धसरकारी संस्थान, पब्लिक सेक्टर, कृषि, लेबर, अफसर, भूगर्भशास्त्री, ब्रोकर, इंजीनियर, क्लर्क, मज़दूर।
राहू व केतू के फल उनके साथ स्थित ग्रहों के आधार पर हैं, यदि कोई भी ग्रह साथ में न हो तो जिस राशि में राहू व केतू हैं, उस राशि के स्वामी के फल होते हैं।
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