आचार्य वराहमिहिर ने द्वादश राशियों को कालपुरुष का अंग मान कर शरीर में उनकी जो स्थिति बताई है, वह इस प्रकार है -
मेष की सिर में, वृषभ की मुख में, मिथुन की स्तनों के मध्य में, कर्क की हृदय में, सिंह की उदर में, कन्या की कमर में, तुला की पेडू में, वृश्चिक की लिंग में, धनु की जंघा में, मकर की दोनों घुटनों में, कुम्भ की दोनों पिंडलियों में तथा मीन की दोनों पैरों में।
- मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुम्भ पुरुष राशियाँ हैं।
- वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन स्त्री राशियाँ हैं।
- मेष, कर्क, तुला और मकर 'चर' संज्ञक राशियाँ हैं।
- वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ 'स्थिर' संज्ञक राशियाँ हैं।
- मिथुन, कन्या, धनु और मीन 'द्विस्वभाव' संज्ञक राशियाँ हैं।
- धनु, सिंह और मेष अग्नितत्त्व प्रधान राशियाँ हैं।
- कर्क, वृश्चिक और मीन जल तत्त्व प्रधान राशियाँ हैं।
- वृषभ, कन्या और मकर पृथ्वी तत्त्व प्रधान राशियाँ हैं।
- मिथुन, तुला और कुम्भ वायु तत्त्व प्रधान राशियाँ हैं।
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