जैसे कुण्डली मे उपस्थित
शुभ योग के परिणामस्वरूप शुभ फल की प्राप्ति होती है उसी प्रकार कुण्डली में अशुभ योग होने पर व्यक्ति को उसका अशुभ परिणाम भी भोगना पड़ता है।
अशुभ योगों में से एक है "शकट योग"
इस योग में व्यक्ति को जीवन भर असफलताओं का सामना करना होता है. अगर इस योग को भंग करने वाला कोई ग्रह योग कुंडली में न हो।
शकट पुल्लिंग शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ गाड़ी होता है| गाड़ी पहिये पर चलती है, पहिया जिस प्रकार घूमता है उसी तरह से जिनकी कुंडली में शकट योग बनता है उनके जीवन में उतार चढ़ाव लगा रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह योग जिनकी कुंडली में बनता है वो भले ही आमिर घराने में पैदा हुए हो पर उन्हें गरीबी और तकलीफों का सामना करना पड़ता है अगर किसी भी प्रकार से यह योग भंग नहीं होता हो।
शकट योग ग्रह स्थिति
शकट योग कुंडली में तब बनता है जबकि सभी ग्रह प्रथम और सप्तम भाव में उपस्थित हों। इसका अलावा गुरु और चन्द्र कि स्थिति के अनुसार भी यह योग बनता है। चंद्रमा से गुरु जब षष्टम या अष्टम भाव में होता है और गुरु लग्न केंद्र से बाहर रहता है तब जन्मपत्री में यह अशुभ योग बनता है। इस योग के होने पर व्यक्ति को अपमान, आर्थिक कष्ट, शारीरिक पीड़ा, मानसिक दंश मिलता है। जो व्यक्ति इस योग से पीड़ित होते हैं उनकी योग्यता को सम्मान नहीं मिल पता है।
शकट योग भंग
अगर आपकी कुंडली में शकट योग है तो इसके लिए आप को परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि एक पुरानी कहावत है कि प्रकृति अगर आप को बीमार बनाती है तो इसका इलाज़ भी स्वयं ही करती है। इसी तरह कुछ ग्रह स्थिति के कारण आपकी कुंडली में अगर अशुभ शकट योग बन रहा है तो शुभ ग्रह स्थिति आप का बचाव भी करती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चन्द्रमा बलवान एवं मजबूत स्थिति में होने पर व्यक्ति शकट योग में आने वाली परेशानियों और मुश्किलों से घबराता नहीं है और अपनी मेहनत और कर्तव्य निष्ठा से मान और सम्मान के साथ जीवन के सुख को प्राप्त करता है। लग्नेश और भाग्येश के लग्न में मौजूद होने पर जीवन में उतार चढ़ाव के बावजूद व्यक्ति मान सम्मान के साथ जीता है।
जिनकी कुंडली में चंद्रमा पर मंगल की दृष्टि होती है उनका शकट योग भंग हो जाता है। षड्बल में गुरु अगर चंद्रमा से मजबूत स्थिति में होता है अथवा चन्द्रमा उच्च राशि या स्वराशि में हो तो यह अशुभ योग प्रभावहीन हो जाता है। राहू अगर कुंडली में चन्द्रमा के साथ युति बनाता है या फिर गुरु पर राहू की दृष्टि तो शकट योग का अशुभ प्रभाव नहीं भोगना पड़ता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में लग्न स्थान से चंद्रमा या गुरु केंद्र में हो या फिर शुक्र चन्द्र की युति हो उन्हें शकट योग में भी धन लाभ, सफलता एवं उन्नति मिलती है. इसी प्रकार कि समान स्थिति तब भी होती है जबकि चंद्रमा वृषभ, मिथुन, कन्या या तुला राशि में हो और कर्क राशि में बुध शुक्र की युति बन रही हो।
अगर आपकी कुंडली में शकट योग है तो इसके लिए आप को परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि एक पुरानी कहावत है कि प्रकृति अगर आप को बीमार बनाती है तो इसका इलाज़ भी स्वयं ही करती है। इसी तरह कुछ ग्रह स्थिति के कारण आपकी कुंडली में अगर अशुभ शकट योग बन रहा है तो शुभ ग्रह स्थिति आप का बचाव भी करती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चन्द्रमा बलवान एवं मजबूत स्थिति में होने पर व्यक्ति शकट योग में आने वाली परेशानियों और मुश्किलों से घबराता नहीं है और अपनी मेहनत और कर्तव्य निष्ठा से मान और सम्मान के साथ जीवन के सुख को प्राप्त करता है। लग्नेश और भाग्येश के लग्न में मौजूद होने पर जीवन में उतार चढ़ाव के बावजूद व्यक्ति मान सम्मान के साथ जीता है।
जिनकी कुंडली में चंद्रमा पर मंगल की दृष्टि होती है उनका शकट योग भंग हो जाता है। षड्बल में गुरु अगर चंद्रमा से मजबूत स्थिति में होता है अथवा चन्द्रमा उच्च राशि या स्वराशि में हो तो यह अशुभ योग प्रभावहीन हो जाता है। राहू अगर कुंडली में चन्द्रमा के साथ युति बनाता है या फिर गुरु पर राहू की दृष्टि तो शकट योग का अशुभ प्रभाव नहीं भोगना पड़ता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में लग्न स्थान से चंद्रमा या गुरु केंद्र में हो या फिर शुक्र चन्द्र की युति हो उन्हें शकट योग में भी धन लाभ, सफलता एवं उन्नति मिलती है. इसी प्रकार कि समान स्थिति तब भी होती है जबकि चंद्रमा वृषभ, मिथुन, कन्या या तुला राशि में हो और कर्क राशि में बुध शुक्र की युति बन रही हो।
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