Friday, June 26, 2015

वास्तु भूमि का शुभाशुभ विचार

  1. गृहादि निर्माण हेतु जिस भूमि की शुभाशुभ परीक्षा करनी हो तो शाम के समय वहाँ पर भूमि पूजन करवाने के पश्चात् वहाँ  अपने एक हाथ लम्बा, एक हाथ चौड़ा और डेढ़ हाथ गहरा गड्ढा खोद कर उस में जल भर दें। प्रातःकाल आकर उसे देखने पर यदि वह गड्ढा पानी से भरा हुआ दिखे तो भूमि शुभ जानें। यदि पानी न हो, तो मध्यम जानें और यदि गड्ढ़े में पानी न हो और उसके आसपास की मिट्टी फटी हुई हो तो भूमि को अशुभ समझें। 
  2. वास्तुभूमि में परीक्षा के लिए भूमि में लगभग डेढ़ फुट गहरा उतना ही चौड़ा गड्ढा खोदें। खुदाई के समय यदि पत्थर, ईंट, ताम्बा, पात्र, धनादि द्रव्य मिलें तो यह परिवार की आयु, धन, संतति आदि में वृद्धि होने के संकेत हैं। इसे शुभ शकुन मानना चाहिए। यदि भूमि खोदने पर कपाल, हड्डी, कोयला, केश, रख, गुठली, रूई, सीप, खोपड़ी, लोहा आदि मिले तो इसे अशुभ शकुन समझना चाहिये। 
  3. विश्वकर्मा के अनुसार एक अन्य परीक्षा भूमि में उत्तर दिशा की ओर एक लगभग डेढ़ फुट गहरा और डेढ़ फुट चौड़ा गड्ढा खोदें। गड्ढे में से सारी मिट्टी निकाल लें। निकाली हुई मिट्टी को दुबारा उसी गड्ढे में भर दें। यदि गड्ढा भर देने के बाद भी मिट्टी शेष बच जाती है तो समझ लें की भूमि उत्तम है।  यदि फिर भरने के बाद मिट्टी शेष नहीं बचती और गड्ढा पूरा भर जाता है तो यह समझना चाहिए की भूमि भूमि माध्यम स्तरीय होगी ।  यदि निकाली गई साड़ी मिट्टी गड्ढ़े में भरने पर भी गड्ढा पूरी तरह नहीं भरता है तो समझे कि भूमि निकृष्ट प्रकार की है। 
  4. फटी हुई, शूल (काँटों), दीमक आदि से युक्त ऊँची-नीची भूमि अशुभ होती है। 
  5. चिकनी, गीली, उपजाऊ मिट्टी अथवा घास, पुष्प, लताओं, फूलों आदि से सुगंधित एवं समतल भूमि गृह स्वामी एवं उसके परिवार के लिए सुख-संपत्ति में वृद्धि कारक होती है। 
  6. मकान की नींव को गहरा खोदते समय यदि काली ईंटें देखने को मिलें तो भूमि शुभ जानें। हड्डी, केश (बाल), कोयला, राखादि निकलें तो वहां मकान बनवाने वालों को रोगादि से कष्ट रहे।