Thursday, May 17, 2012

शनि के विशिष्ट योग

  • यदि शनि लग्न में स्वगृही हो, मार्गी हो तो उसके शत्रु दैवी विपत्तियों से स्वतः ही नष्ट हो जाता है।
  • लग्न में यदि शनि वक्री हो तो जातक हत्यारा हो सकता है, पकड़ा नहीं जाता लेकिन गुरु एवं शुभ ग्रहों कि दृष्टि हो तो हत्या नहीं करता।
  • मृत्यु का असली करक ग्रह शनि होता है। मृत्यु से पहले शनि के हाथ जरूर लगते हैं तभी मृत्यु होती है।
  • यदि  शनि वायु राशि में होता है तो ज़हर से मृत्यु होती है।
  • यदि  शनि अग्नि राशि में होता है तो भी ज़हर से मृत्यु होती है।
  • यदि  शनि पृथ्वी राशि में होता है तो मारपीट से मृत्यु होती है।
  •  यदि  शनि जल राशि में होता है तो औषधि के विपरीत परिणाम से मृत्यु होती है।
  • अष्टम भाव में गोचर में जब शनि आता है और शून्य अंश पार कर जाता है तो वृद्ध महिला या पुरुष से अपार धन दिलवाता है।
  • यदि  शनि वायु ३, ७, ११ मिथुन, तुला, कुम्भ का शनि छठे भाव में हो तो जातक सदैव रोगी रहता है।
  • यदि  जीवन में शनि की दशा चौथे की आ जाए तो जीवन बड़ा दुःख, दरिद्र, आपत्ति बंधन योग ये सब होते हैं। स्त्रियों के लिए आठवाँ महीना बड़ा ख़राब होता है।
  •  षड्वर्ग में यदि शनि को तीन से अधिक वोट मिलते हैं तो शनि शुभ होता है।
  • शुभ  शनि शारीरिक क्षमता को छोड़कर सब सुख देता है परन्तु जिन-जिन अंगों को देखता है उनको कष्ट देता है।
  • कुंभ लग्न वाले जातको का शनि छठे घर में गोचर में यदि कर्क का होता है तो जातक को रोग देता है परन्तु जब षडवर्ग निर्बल होगा तब अत्यधिक रोग देगा और शनि का संबंध ६, ८, १२ से होगा तब भी।
  • षडवर्ग में जातक का जो अंग निर्बल है उसकी निर्बलता या दुर्बलता समाप्त करना कठिन कार्य है जैसे दिल में सुराख, सफ़ेद दाग, गंजापन, नपुंसकता एवं अंगों का टेढ़ापन आदि।
  • शनि  छठे भाव में जातक को रोग मुक्त नहीं होने देता ।
  • शनि  अष्टम भाव में झगड़े, झंझट, फसाद करवाता है, बिना कारण अनेक उत्पात उत्पन्न कराता है।
  • बारहवें  का शनि सब धन को नष्ट कराकर शव यात्राएं, जेल यात्राएं, निर्धनता आदि योग देता है।पहले ६ वर्ष बहुत दुःखदायी होते हैं, दूसरे ६ वर्ष में बहुत उन्नति करता है और आखिरी के ६ वर्ष में सब कुछ नष्ट करा देता है।
  • ११वे भाव में नीच का शनि बेईमानी से धन इकट्ठा करवाता है और पता नहीं लगने देता कि कितनी  बेईमानी की है। बुध भी ११वे भाव में बेईमानी करवाता है।
  • यदि  मंगल शनि को देख ले तो बेईमानी नहीं करवाता।
  • ११वे भाव में शनि जो बेईमानी करवाता है वह बुध की महादशा में प्रकट हो जाती है।
  • शनि  का किसी प्रकार बुध से संबंध हो जाए तो बेईमानी से धन अर्जित करवाता है।